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पीएम मोदी ने भाषण में महात्‍मा गांधी, विवेकानंद, बुद्ध और कनियन का किया याद, जानिए क्‍या कहा उनके बारे में

PM Modi Speech in UNGAप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी स्‍वामी विवेकानंद महात्‍मा बुद्ध और तमिल कवि कनियन पुंगुनद्रनार का याद किया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 09:49 PM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 09:49 PM (IST)
पीएम मोदी ने भाषण में महात्‍मा गांधी, विवेकानंद, बुद्ध और कनियन का किया याद, जानिए क्‍या कहा उनके बारे में
पीएम मोदी ने भाषण में महात्‍मा गांधी, विवेकानंद, बुद्ध और कनियन का किया याद, जानिए क्‍या कहा उनके बारे में

नई दिल्‍ली, जेएनएन। PM Modi Speech in UNGA: संयुक्‍त राष्‍ट्र में शुक्रवार को दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी, स्‍वामी विवेकानंद, महात्‍मा बुद्ध और तमिल कवि कनियन पुंगुनद्रनार का याद किया। इसके जरिए पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोने की बात की।

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महात्‍मा गांधी का किया याद

पीएम नरेंद्र मोदी ने भाषण की शुरुआत राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करते हुए की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मेरे लिए गौरव का अवसर है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को 130 करोड़ भारतीयों की तरफ से संबोधित कर रहा हूं। यह अवसर इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस वर्ष पूरा विश्व महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। उनका सत्य और अहिंसा का संदेश आज भी दुनिया के लिए प्रासंगिक है।

दुनिया को युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध दिया है। उन्‍होंने कहा कि यूएन में शांति के लिए सबसे बड़ा बलिदान अगर किसी देश ने दिया है तो यह देश भारत है। उन्होंने कहा, 'हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं। शांति का संदेश दिया है।'

शांति और सद्भाव की बात

विवेकानंद को याद करते हुए उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भी शिकागों के धर्म सम्मेलन में 'हॉर्मनी ऐंड पीस' की बात की थी। आज भी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की तरफ से विश्व को यही संदेश है।

देश की सीमाओं से परे अपनत्व की भावना

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज से 3000 साल पहले तमिल कवि कनियन पुंगुनद्रनार ने कहा था, यादम उरे, यावरुम केड़ीर यानी हम सभी स्थानों के लिए अपनेपन का भाव रखते हैं और सभी लोग हमारे अपने हैं। यह तीन हजार साल पहले की बात है। देश की सीमाओं से परे अपनत्व की यही भावना भारत की विशेषता है।' इस भाषण के जरिए भाषा का नकारा।

कनियन पुंगुनद्रनार, जिन्हें पुंगुंदरनार के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रभावशाली तमिल दार्शनिक थे, जो संगम युग में रहते थे। उनका जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य में शिवगंगा जिले के थिरुप्पुर्तु तालुक में एक ग्राम पंचायत महिबलानपट्टी में हुआ था। उन्होंने पुन्नानु और नट्रीनई में दो कविताओं की रचना की। 


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