रिपोर्ट का दावा- महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण से समुद्र तट पर रहने वाले लोग सबसे अधिक प्रभावित
प्लास्टिक कचरे पर जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्लास्टिक का उपयोग सभी करते हैं लेकिन इसका खामियाजा कुछ ही लोगों को भुगतना पड़ता है। जलवायु परिवर्तन की कारण बनने वाली ग्रीन हाउस गैसों से दुनिया काफी तेजी से प्रभावित हो रही है।

वाशिंगटन,एएनआई। ज्यादातर लोग महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में जानते हैं। 1990 के दशक से प्लास्टिक कचरे में उलझे कछुओं या समुद्री पक्षियों की तस्वीरें वायरल होती रही हैं और प्रशांत महासागर में इकट्ठे हुए प्लास्टिक मलबे की सफाई को आजकल मीडिया की काफी सुर्खियां मिल रही हैं। फिर भी इस बारे में समझ कम है कि समुद्री प्लास्टिक कचरे से इंसान कैसे प्रभावित होते हैं और कैसे कुछ समुदायों पर इसका कम और कुछ समुदायों पर इसका अधिक असर पड़ता है। इस मामले पर जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्लास्टिक का उपयोग सभी करते हैं, लेकिन इसका खामियाजा कुछ ही लोगों को भुगतना पड़ता है।
प्लास्टिक का उपयोग खतरनाक
रिपोर्ट बनाने वाली टीम के प्रमुख वाशिंगटन विश्वविद्यालय प्रोफेसर और द निप्पॉन फाउंडेशन ओशन नेक्सस सेंटर के निदेशक योशिताका ओटा ने बताया कि प्लास्टिक का उपयोग सभी करते हैं। हालांकि पर्यावरण क्षति, स्वास्थ्य समस्याओं और अपने निवास स्थलों पर भयावह दृश्यों के संदर्भ में कुछ ही लोग इसकी सबसे अधिक कीमत चुकाते हैं। इसका खामियाजा कुछ ही लोगों को भुगतना पड़ता है।
सागर तटों पर रहने वाले लोग अन्य लोगों के मुकाबले अधिक प्रभावित
जलवायु परिवर्तन की कारण बनने वाली ग्रीन हाउस गैसों से दुनिया काफी तेजी से प्रभावित हो रही है। प्रदूषण कुछ देश करते हैं लेकिन इसके दीर्घकालिक परिणामों से अन्य देश अधिक संकट में होते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्लास्टिक प्रदूषण इसी प्रकार का समस्या है। समुद्र के किनारे रहने वाले लोगों को अन्य के मुकाबले अधिक इसके परिणाम देखने को मिलते हैं। नवंबर के अंत में प्रकाशित इस रिपोर्ट में नौ देशों के 31 लेखक शामिल हैं। रिपोर्ट में कई ऐसे सुझाव दिए गए हैं, जिससे सकारात्मक बदलाव हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समस्या के समाधान तलाशने में समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित सागर तटों पर रहने वाले लोगों की अधिक भूमिका होनी चाहिए। इसके अलावा मार्च में होने वाला निशुल्क, वर्चुअल कार्यक्रम दुनिया भर के हितचिंतक इस पर मंथन करेंगे कि समुद्री प्लास्टिक के समाधान के लिए कैसे न्याय संगतता पर केंद्रित पथ के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त किया जाए।
साल 2019 में हुई थी ओशन नेक्सस सेंटर की स्थापना
मालूम हो कि साल 2019 में वाशिंगटन विश्वविद्यालय की पहल से ओशन नेक्सस सेंटर की स्थापना हुई थी। इस सेंटर में विश्व भर के 20 से अधिक सदस्य विश्वविद्यालय और संगठन शामिल हैं। इस संगठन का लक्ष्य वैश्विक स्तर पर महासागरों में साम्यता और न्याय को एक साथ लाना है।
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