आतंकियों की अगली पीढ़ी ने संभाला काम, पाकिस्तान ने नहीं बदली 'भारत को हजार घाव देने' की अपनी नीति
पाकिस्तान ने आतंकवाद को प्रोत्साहित करनेवाली अपनी व्यवस्था को बदस्तूर जारी रखा हुआ है। उसने अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं को सीधे-सीधे धता बताते हुए आतंकवाद के स्थायी इकोसिस्टम को बहुत करीने से देश के सैन्य सिद्धांत के साथ जोड़ रखा है, जिसमें 'भारत को हजार घाव देने' का उसका दीर्घकालिक लक्ष्य भी शामिल है।

आतंकियों की अगली पीढ़ी ने संभाला काम (सांकेतिक तस्वीर)
एएनआइ, वाशिंगटन। पाकिस्तान ने आतंकवाद को प्रोत्साहित करनेवाली अपनी व्यवस्था को बदस्तूर जारी रखा हुआ है। उसने अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं को सीधे-सीधे धता बताते हुए आतंकवाद के स्थायी इकोसिस्टम को बहुत करीने से देश के सैन्य सिद्धांत के सा जोड़ रखा है, जिसमें 'भारत को हजार घाव देने' का उसका दीर्घकालिक लक्ष्य भी शामिल है।
आतंकवाद को बढ़ावा लगातार दे रहा पाकिस्तान
राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेश नीति विश्लेषक सिद्धांत किशोर ने द मिल्ली क्रोनिकल में प्रकाशित एक लेख में लिखा कि जब पाकिस्तान ने पिछले महीने संघाई सहयोग संगठन के स्थायी आतंकवाद रोधी निकाय- रीजनल टेररिस्ट स्ट्रक्चर (रैट्स) का अध्यक्ष पद संभाला, तभी दृष्टिकोण स्पष्ट हो गया था कि आतंकवाद को बढ़ावा देनेवाले देश को ही क्षेत्रीय नेटवर्क से निपटने का जिम्मा दे दिया गया है।
जब तक पाकिस्तान की कही बातें उसके क्रियाकलाप से मेल न खाएं, तब तक उसका क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी ढांचे में शामिल होना महज छलावा ही माना जाना चाहिए। उन्होंने लिखा कि विडंबना को नजरअंदाज करना कठिन है।
इस्लामाबाद के अंतरराष्ट्रीय रुख और घरेलू बयानबाजी को विश्वसनीय बनाने के लिए अपनी जमीन को भारत पर हमले के लिए प्रशिक्षित और वित्तपोषित समूहों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनने देना चाहिए। लेकिन सुबूत कुछ और ही सच्चाई बयां करते हैं।
पाकिस्तान में 313 आतंकी हब बनाने का प्लान
किशोर ने लिखा कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के आतंकी बुनियादी ढांचे को तहत नहस करने के बावजूद वहां का आतंकी इकोसिस्टम बहुत हद तक जुड़ा हुआ है।
उन्होंने उदाहरण के तौर पर जैश ए मोहम्मद का जिक्र किया कि आतंकी समूह अब भी ऑपरेशन की योजना बना रहे हैं, प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं और वित्तपोषण के मेकेनिजम में नए-नए प्रयोग आजमा रहे हैं। जैश ए मोहम्मद पूरे पाकिस्तान में 313 आतंकी हब तैयार करने के प्रयास में है।
ऑपरेशन सिंदूर में मसूद अजहर के परिवार के लोग मारे गए
ऑपरेशन सिंदूर में मसूद अजहर के परिवार के दर्जनों सदस्यों के मारे जाने और बहावलपुर में जैश के मुख्यालय के तहस नहस होने के बावजूद भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के अजहर मसूद के इरादे में रत्तीभर भी कमी नहीं आई है।
किशोर ने उन रिपोर्टों की ओर भी इशारा किया, जिसमें जैश ए मोहम्मद की तरफ से महिला जिहादी तैयार करने के लिए 'जमात उल मोमिनात' कोर्स शुरू करने की बात कही गई है। उन्होंने लिखा कि अगर ये लागू हुआ तो ये इस्लामिक स्टेट और बोको हरम जैसा बेहद गंभीर स्वरूप भी ले सकता है। किशोर ने अगली पीढ़ी के आतंकवादियों की सार्वजनिक गतिविधियों का भी जिक्र किया।
हाफिज सईद के बेटे ने ''प्रत्यर्पण की मांगों को खुलेआम नकार दिया
उन्होंने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद के बेटे ने ''प्रत्यर्पण की मांगों को खुलेआम नकार दिया है,'' और सार्वजनिक रैलियों में सैन्य अभियानों की प्रशंसा और ''जिहाद'' का आह्वान किया है। किशोर ने आगे कहा कि एक पाकिस्तानी पत्रकार ने बताया है कि तल्हा सईद ने लाहौर में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ी एक मस्जिद का नेतृत्व संभाल लिया है, जो ''समूह की कमान और नियंत्रण में पीढ़ीगत बदलाव'' का संकेत देता है।
किशोर ने इस बात पर ¨चता जताई कि कैसे आतंकवादी समूहों ने अपनी फंडिंग के तरीके बदल दिए हैं। उन्होंने लिखा कि एक तरफ इस्लामाबाद वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के साथ अपने सहयोग का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर आतंकवादियों की फंडिंग उसके नियामक तंत्र से भी तेजी से बढ़ी है।
एफएटीएफ पाकिस्तान को चेताया
उन्होंने कहा कि जैश जैसे संगठनों ने परंपरागत बैंकिंग चैनलों को पीछे छोड़ते हुए आधुनिक फिनटेक प्लेटफार्म, मोबाइल वॉलेट और अन्य ई-पेमेंट सिस्टम के जरिये फंडिंग करा रहे हैं। इस पर एफएटीएफ अध्यक्ष एलीसा डी एंडा माद्राजो की चेतावनी का भी उन्होंने जिक्र किया। पिछले दिनों उन्होंने पाकिस्तान को चेताया भी था। किशोर ने लिखा कि आतंकी संगठनों का डिजिटल तरीके अपनाना आतंकियों को पस्त करने का सुबूत नहीं, बल्कि उनके और मजबूत होने का सुबूत है।

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