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    Climate Change: ओरेगॉन की आग ने मचाई भीषण तबाही, 22 हजार एकड़ जंगल खाक; भारत के लिए कितना खतरा?

    अमेरिका में फ्लैट फायर ने भारी तबाही मचाई है जिससे 22000 एकड़ जंगल जल गया है। लगभग 3900 घरों को खाली कराया गया है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। भीषण गर्मी और तेज हवाएं आग को और भड़का रही हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार जलवायु परिवर्तन लापरवाह पर्यटन और अंधाधुन पेड़ों की कटाई से जंगल में आग लगने की समस्या बढ़ रही है।

    By Digital Desk Edited By: Deepak Gupta Updated: Tue, 26 Aug 2025 04:15 PM (IST)
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    ओरेगॉन की आग ने मचाई भीषण तबाही, 22 हजार एकड़ जंगल खाक

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के ओरेगॉन में लगी 'फ्लैट फायर' ने भीषण तबाही मचाई है। इस दावानल ने अबतक करीब 22,000 एकड़ जंगल को खाक कर दिया है। इस आग के कारण करीब 3,900 घरों को खाली करवाना पड़ा है और हजारों लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

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    भीषण गर्मी, तेज हवाएं, बिजली गिरने का खतरा और मौसम की मार इस आग में घी डालने का काम कर रही है, जिसके कारण ये आग दिनों-दिन फैलती ही जा रही है।

    क्यों लगती है जंगल में आग?

    एक्सपर्ट की मानें तो जंगल में आग सिर्फ प्राकृतिक कारणों या लापरवाही की वजह से ही नहीं लगती है बल्कि इसके पीछे जलवायु परिवर्तन भी एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। धरती के तापमान में असामान्य रूप से बढ़ोतरी देखी जा रही है, नमी लगभग गायब हो चुकी है। तेज हवा के झोके आग को फैलने में मदद करते हैं।

    बीते कुछ सालों में लगातार बढ़ती बिजली गिरने की घटनाओं ने आग की समस्या को बढ़ाया है, सूखे जंगल में बिजली की एक चिंगारी भी हजारों हेक्टेयर जंगल को खाक कर सकती है। इसके अलवा मानवीय गतिविधियां भी जंगली आग का बड़ा कारण हैं। लापरवाह टूरिज्म और अंधाधुन पेड़ों की कटाई ने जंगल की आग को और खतरनाक बना दिया है।

    जंगल की आग से कितना नुकसान?

    जंगल में लगी आग आर्थिक, पर्यावरण, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गहरा असर डालती है। आग लगने से अरबों डॉलर की लकड़ी खाक हो जाती है, पर्यावरण में कार्बनडाइ ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है, जिसका जैव विधिधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वायुमंडल में धुएं की अधिकता से फेंफड़ों की बीमारियां और मानसिक तनाव बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।

    भारत के लिए क्या सबक?

    बीते कुछ सालों में भारत में जंगल में आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, हिमालय में तापमान के बढ़ने से चीड़ और देवदार के जंगलों में बार-बार आग की घटनाएं सामने आ रही हैं। मध्य भारत में तेज हवाएं और सूखा आग को बढ़ाने में मदद करती हैं। भारत के लिए यही समय है कि हमें जंगलों की सुरक्षा को सिर्फ स्थानीय मुद्दे कर सीमित न करने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के तौर पर लेना होगा।

    अब क्या करें?

    जंगलों को आग से बचाने के लिए स्मार्ट तकनीक से अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाने चाहिए। जंगलों में फायर लाइन और वॉटर टैंक जैसी बुनियादी सुविधाएं उपब्लध रहनी चाहिए। और इन सबके साथ लोगों में जंगलों की सुरक्षा के लिए जागरुकता बढ़ाई जानी चाहिए, जिससे के जंगलों में अनावश्यक पर्यटन पर रोक लग सके और जंगलों को नुकसान न हो।

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