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अब टैटू की तरह हाथों में चिपकाई जा सकेगी घड़ी, वैज्ञानिकों ने बनाई नई डिवाइस, ऐसे करेगी काम

Tattoo like elastic stopwatch वैज्ञानिकों ने एक ऐसी घड़ी बनाई है जो टैंटू की तरह दिखती है और कम वोल्टेज में काम कर सकती है। आसानी से चिपकाई जा सकती है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 08:07 AM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 08:10 AM (IST)
अब टैटू की तरह हाथों में चिपकाई जा सकेगी घड़ी, वैज्ञानिकों ने बनाई नई डिवाइस, ऐसे करेगी काम
अब टैटू की तरह हाथों में चिपकाई जा सकेगी घड़ी, वैज्ञानिकों ने बनाई नई डिवाइस, ऐसे करेगी काम

बीजिंग, पीटीआइ। सॉफ्ट रोबोटिक्स के क्षेत्र में एक कदम और आगे बढ़ते हुए वैज्ञानिकों ने एक ऐसी घड़ी बनाई है, जो टैंटू की तरह दिखती है और कम वोल्टेज में काम कर सकती है। इसे शरीर के किसी भी हिस्से में आसानी से चिपकाया और उतारा जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह घड़ी स्मार्ट एप्लिकेशंस के प्रयोग के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकती है। इसे बनाने के लिए शोधकर्ताओं ने एक ऐसी सामग्री की परत का प्रयोग किया है जिसमें बिजली का प्रवाह होने पर वह चमकती है।

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अस्थायी टैटू की तरह चिपकाई जा सकेगी  

चीन की नानजिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता यूनेली झोउ और जियाचेन वांग ने ऐसी डिवाइस को तैयार की है, जिन्हें अल्टरनेटिंग-करंट इलेक्ट्रोल्यूमिनसेंट (एसीईएल) कहा जाता है। देखने में यह डिजिटल घड़ी के डायल की तरह ही है, लेकिन इसके डिस्प्ले में हल्की लाइट रहती है। इसे शरीर की त्वचा या किसी अन्य सतह पर एक अस्थायी टैटू की तरह चिपकाया जा सकता है।

त्वचा रहेगी सुरक्षित

यह अध्ययन एसीएस मैटेरियल्स लेटर्स नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया है कि अब तक एसीईएल के डिस्प्ले में चमक बरकरार रखने के लिए हाई वोल्टेज की जरूरत होती थी और इससे त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता था। लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई एसीईएल की नई डिवाइस कम वोल्टेज में भी काम कर सकती है और इससे हमारी त्वचा भी सुरक्षित रहती है।

ऐसे तैयार की डिवाइस

अध्ययन में बताया गया है कि यह सामग्री प्रकाश फैलाने वाले सूक्ष्म कणों से बनाई गई है। इसमें सैरेमिक (चिकनी मिट्टी) के सूक्ष्म कण और रबर की तरह खिंचने वाले एक पॉलीमर को भी जोड़ा गया है, जिसके कारण यह किसी भी तरह की सतह पर आसानी से चिपक सकती है। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘नई डिवाइस का डिस्प्ले वोल्टेज कम होने पर भी अंधेरे में पर्याप्त मात्र में चमकता रहता है।’ 


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