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    Water on Mars : वैज्ञानिकों का दावा, चार अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह पर था भरपूर पानी और गहरे समुद्र, जानें कहां हो गए लोप...

    नासा द्वारा वित्त पोषित एक अध्ययन के अनुसार चार अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह पर ना केवल भरपूर पानी था और बल्कि यहां पर 100 से 1500 मीटर गहरे समुद्र थे। हालांकि एक अरब वर्ष बाद यह ग्रह उतना ही सूखा हो गया जितना की आज है।

    By Ramesh MishraEdited By: Updated: Thu, 18 Mar 2021 07:16 AM (IST)
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    चार अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह पर था भरपूर पानी और गहरे समुद्र। दैनिक जागरण।

    वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिकी अंतरिक्ष कंपनी नासा और दुनियाभर के वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर पानी की खोज में जुटे हैं। वैज्ञानिक इस बात की टोह ले रहे हैं कि क्‍या मंगल ग्रह पर कभी पानी का कोई स्रोत था। क्‍या मंगल ग्रह पर कभी जीवन था। अभी नासा ने अपना एक रोवर भी मंगल ग्रह पर भेजा है। इसका मकसद भी यही जानकारी एकत्र करना है। ऐसे में नासा द्वारा वित्‍त पोषित एक अध्‍ययन ने मंगल ग्रह पर चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है। आइए जानते हैं आखिर इस रिपोर्ट में चौंकाने वाली कौन सी बात है।

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    मंगल की सतह के नीचे अधिकांश 'लापता' पानी दफन

    नासा द्वारा वित्त पोषित एक अध्ययन के अनुसार मंगल ग्रह की सतह के नीचे उसका अधिकांश 'लापता' पानी दफन है। यह अध्ययन उस वर्तमान दावे के उलट है, जिसमें कहा गया है कि लाल ग्रह का पानी अंतरिक्ष में चला गया है। मंगल की सतह पर पाए गए साक्ष्यों से यह भी पता चलता है कि अरबों वर्ष पहले इस ग्रह पर ना केवल पानी था, बल्कि यहां पर गहरी झीलें और सागर थे। जर्नल साइंस में प्रकाशित नए अध्ययन से पता चलता है कि मंगल पर मौजूद पानी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा (30 से 99 फीसद तक) ग्रह की पपड़ी में खनिजों के भीतर फंसा है।

    चार अरब वर्ष पहले मंगल पर गहरे समुद्र और भरपूर पानी था

    कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) के शोधकर्ताओं के अनुसार लगभग चार अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह पर ना केवल भरपूर पानी था, बल्कि यहां पर 100 से 1500 मीटर गहरे समुद्र भी थे। हालांकि, एक अरब वर्ष बाद यह ग्रह उतना ही सूखा हो गया, जितना की आज है। इस अध्ययन के सामने आने से पहले वैज्ञानिकों ने कहा था कि मंगल ग्रह के कम गुरुत्वाकर्षण के चलते उसका अधिकांश पानी अंतरिक्ष में चला गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार कम गुरुत्वाकर्षण के चलते कुछ पानी जरूर अंतरिक्ष में चला गया होगा, लेकिन इस प्रक्रिया के तहत अधिकांश पानी के अंतरिक्ष में जाने की बात सही प्रतीत होती नहीं दिखती है। अध्ययन के प्रमुख लेखक इवा शेलर ने कहा कि वायुमंडल से पानी लापता होना इस बात की तस्दीक नहीं करता है कि ग्रह पर वास्तव में कितना पानी था।