NASA के इनसाइट LANDER ने मंगल ग्रह पर रिकॉर्ड की थीं अजीबोगरीब आवाजें, आप भी सुनें
नासा ने मंगल ग्रह पर एक उपकरण के माध्यम से 100 अजीबोगरीब आवाजें कैद की है। अब इनका अध्ययन किया जा रहा है। ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जेएनएन। मंगल ग्रह पर तमाम चीजों को ध्यान में रखकर खोज जारी है। दुनिया भर की तमाम एजेंसियां समय-समय पर अपने उपग्रह भेजकर यहां पर रिसर्च जारी रखे हुए हैं। अभी तक यहां पर पानी, बर्फ, गुरुत्वाकर्षण का स्तर और कुछ अन्य चीजों को लेकर खोज की जा चुकी है। अब नासा ने यहां एक नई मशीन लगाकर ग्रह पर उठने वाली अजीबोगरीब आवाजें कैद की है और उनका अध्ययन कर रही है। अब रिकार्ड की गई इन आवाजों का आडियो भी जारी किया गया है।
100 से अधिक अजीबोगरीब आवाजें पाई गई
नासा के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर 100 से अधिक अजीबोगरीब आवाजें कैद की है। ताजी खोज के तहत नासा के जेट प्रोपल्शन प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) ने मंगल ग्रह पर कुछ कंपनों को महसूस किया है। नासा की ओर से इस बारे में जानकारी देने के लिए एक विज्ञप्ति भी जारी की गई है। इसके अनुसार नासा के इनसाइट लैंडर ने मंगल ग्रह पर आज तक 100 से अधिक कंपन का पता लगाया है, जिनमें से 21 को स्ट्रांग माना जा रहा है।

वैज्ञानिक कर रहे इन आवाजों का अध्ययन
अब वैज्ञानिक इन आवाजों का अध्ययन कर रहे है। वैज्ञानिक इन आवाजों के अलग-अलग मतलब निकाल रहे हैं।नासा ने जिस इनसाइट से ये आवाजें पकड़ी हैं वो एक-एक अति संवेदनशील सीस्मोमीटर से लैस था जिसे सीस्मिक एक्सपेरिमेंट फॉर इंटीरियर स्ट्रक्चर (एसईआईएस) कहा जाता है। इस मशीन से सूक्ष्म से सूक्ष्म रूप में होने वाले कंपन को भी मापा जा सकता है।
किया जा रहा भूकंपीय तरंगों का अध्ययन
नासा की ओर से इस उपकरण को मार्सकेक्स(marsquake)को सुनने के लिए डिजाइन किया गया था। दरअसल नासा वैज्ञानिक पहली बार मंगल ग्रह की गहरी आंतरिक संरचना का खुलासा करते हुए इस बात का अध्ययन करना चाहते हैं कि इन भूकंपों की भूकंपीय तरंगें ग्रह के आंतरिक भाग से कैसे गुजरती हैं।
पहली बार ऐसी चीजों पर किया काम
एसईआईएस ने पिछले साल नवंबर में लाल ग्रह पर उतरने के बाद से इस साल 23 अप्रैल में पहली बार ऐसी संभावना पर काम करना शुरु किया था। एसइआइएस ने पहले इसे काफी तेज रखा था मगर बाद में इसे हेडफोन से सुने जाने के स्तर तक रखा गया। एसईआईएस उपकरण केंद्र नेशनल डी'एट्यूड स्पैटियल (सीएनईएस), फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा प्रदान किया गया था। ग्लोबल टाइम्स वेबसाइट पर इस बारे में जानकारी दी गई है।

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