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    मंगल ग्रह की सतह से 120 किमी ऊपर कैसे बहती है 'हवा', वैज्ञानिकों ने किया खुलासा

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Sun, 15 Dec 2019 09:42 AM (IST)

    नासा के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की सतह से 300 किलोमीटर ऊपर के वायुमंडल में वायु परिसंचरण का पता लगाया है। जानें कैसे किया यह काम...

    मंगल ग्रह की सतह से 120 किमी ऊपर कैसे बहती है 'हवा', वैज्ञानिकों ने किया खुलासा

    वाशिंगटन, पीटीआइ। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की सतह से 120 से 300 किलोमीटर ऊपर के वायुमंडल में वैश्विक वायु परिसंचरण के पैटर्न का पता लगाया है। अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड, बाल्टीमोर काउंटी (यूएमबीसी) के शोधकर्ताओं सहित एक टीम ने लाल ग्रह पर हवा की माप को रिकॉर्ड करने के लिए नासा के मावेन (मार्स एटमॉस्फियर एंड वोलाटाइल इवोल्यूशन) स्पेसक्राफ्ट का उपयोग किया। इसके लिए मावेन स्पेसक्राफ्ट में नेचुरल गैस एंड ऑयन मास स्पेक्ट्रोमीटर (एनजीआइएमएस) डिवाइस इस्तेमाल में लाई गई। यह डिवाइस स्पेसक्राफ्ट के बाहर लगी है और आगे-पीछे झूलती रहती है।

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    इंजीनियरिंग का कमाल

    इससे मंगल की सतह पर चलने वाली हवाओं के बारे में पता लगाया जा सकता है। साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए अध्ययन में 2016 से 2018 के बीच के प्रत्येक महीने के केवल दो दिन के डाटा का इस्तेमाल किया गया है। नासा के गोडार्ड फ्लाइट सेंटर में कार्यरत और अध्ययन के सह लेखक मेहदी बेना ने कहा कि अंतरिक्ष यान और उसके उपकरण को किस तरह संचालित करना है यह भी एक चतुर इंजीनियरिंग है। क्योंकि, कुछ ऐसा ही करके वैज्ञानिकों ने उस स्पेसक्राफ्ट और उपकरण से हवा की माप को संभव बनाया जो इस काम के लिए बने ही नहीं थे।

    हवा के पैटर्न का किया मिलान

    शोधकर्ताओं ने मंगल के ऊपरी वातावरण में पाए गए हवा के पैटर्न का मिलान सैद्धांतिक माडलों से की गई भविष्यवाणी से किया। कहा गया कि मंगल पर हवा का औसतन परिसंचरण पैटर्न बहुत स्थिर है। हलांकि, कुछ समय के लिए हवा की परिवर्तनशीलता अनुमान से अधिक हो जाती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि अभी इस क्षेत्र में और अधिक काम करने की जरूरत है।

    वायु प्रवाह से नीचे के परिदृश्यों की जानकारी

    शोधकर्ताओं ने बताया कि लाल ग्रह की सतह से सौकड़ों किलोमीटर ऊपर बहने वाली हवा में नीचे के पहाड़ों और घाटियों की जानकारी रहती है। वायु दृव्यमान जब इन परिदृश्यों के ऊपर से बहता है तब इसमें लहरें बनतीं हैं जो ऊपरी वायुमंडल तक मौजूद रहती हैं।

    एस्टेरॉयड बेन्नु में सैंपल लेने की साइट का चयन

    ह्यूस्टन, प्रेट्र। नासा ने ओसिरिस-रेक्स मिशन के तहत एस्टेरॉयड बेन्नु की कंकड़ीली और बिखरी हुई सतह पर नमूने इकट्ठे करने की जगह का चयन कर लिया है। एक बयान में बताया कि एस्टेरॉयड के उत्तरी गोलार्ध के क्रेटर में स्थित इस साइट का नाम नाइटएंगल रखा गया है। यह जगह ओसिरिस-रेक्स स्पेसक्राफ्ट द्वारा नमूना जुटाने के लिए सबसे बढ़िया जगह है। नाइटएंगल साइट 140 किलोमीटर चौड़ी है। यहां की मिट्टी गहरी है, जिससे इसके चिकनी होने की संभावना है। यहां का तापमान बेन्नु के अन्य जगहों के अपेक्षा कम है।