नासा के वैज्ञानिकों ने खोजे शनि के नए चंद्रमा, रहस्यों को उजागर करने में मिलेगी मदद
नासा ने अपने एक बयान में कहा कि वैज्ञानिक इस बात का पता लगा रहे हैं कि इन चंद्रमाओं के इस आकार में होने के लिए कौन सी वजहें जिम्मेदार रही हैं। ...और पढ़ें

वाशिंगटन, पीटीआइ। नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि शनि ग्रह के सबसे निकटतम जाने वाले नासा के कैसिनी स्पेसक्राफ्ट द्वारा इस ग्रह के वलय की भेजी गई विस्तृत फोटो से नए चंद्रमाओं के बारे में पता चला है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये चंद्रमा रैवियोली (पकौड़ी की तरह की एक अंग्रेजी डिश) के जैसे लगते हैं। इस तस्वीरों से यह पता चलता है कि इन असामान्य चंद्रमाओं की सतह शनि के वलयों की धूल और इसके बड़े चंद्रमा इनसलअडस के बर्फीले कणों से ढंकी हुई है। नासा ने अपने एक बयान में कहा कि वैज्ञानिक इस बात का पता लगा रहे हैं कि इन चंद्रमाओं के इस आकार में होने के लिए कौन सी वजहें जिम्मेदार रही हैं।
नासा की जेट प्रोपेल्सन लेबोरेटरी के बोनी बरत्ती ने बताया कि इस स्पेसक्राफ्ट की इन चंद्रमाओं के पास की साहसिक उड़ान हमें शनि के वलय के बारे में नई जानकारियां देती है। शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व कर रहे बोनी ने बताया कि हम इस बात के अधिक प्रमाण देख रहे हैं कि शनि का वलय और उसमें चंद्रमा की प्रणालियां कितनी सक्रिय और गतिशील है।
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2017 में अपने मिशन के समाप्त होने से पहले कैसिनी के छह उपकरणों से इकट्ठा किए गए डाटा पर हुए शोध को साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन में इस बात की पुष्टि होती है कि शनि के छल्लों की धूल और बर्फ उसके चंद्रमाओं की सतह पर जमा हो जाती है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि इंन चंद्रमाओं की सतह बहुत ही झरझरी (कमजोर) है। उन्होंने बताया कि इन चंद्रमाओं की सतह गोल होने के बजाय अलग आकार की है। यह इस तरह है जैसे इसके भूमध्य रेखा के चारो ओर कोई सामाग्री चिपकी हुई है। इसीलिए वैज्ञानिकों ने इसे रैवियोली की तरह बताया है।
उन्होंने बताया कि ये चंद्रमा सघन नहीं हैं, क्योंकि सघन ग्रह गोल होते हैं। इसकी वजह यह है कि गुरुत्वाकर्षण उनके बाहरी पदार्थ को अंदर की ओर खींचता है। कैसिनी प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक लिंडा स्पिलकर ने बताया कि शनि के वलय के इन चंद्रमाओं की विस्तृत तस्वीरें हमें वलय के अंदर की प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकरी प्रदान कर सकती हैं।
1997 में लांच किया गया था कैसिनी
नासा ने शनि के बारे अध्ययन करने के लिए कैसिनी-होयगेन्स स्पेसक्राफ्ट को 15 अक्टूबर 1997 को लांच किया था। इनमें से होयगेन्स 2005 में मुख्य कैसिनी यान से अलग होकर शनि के सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन पर उतरा था। इसे नासा की जेट प्रोपेल्सन लेबोरेटरी ने तैयार किया था। कैसिनी ने शनि के वलय से कई महत्वपूर्ण तस्वीरें भेजी थीं। 15 सितंबर 2017 को कैसिनी रिटायर हो गया था।

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