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NASA कर रहा मंगल पर रहने की तैयारी, पृथ्वी पर लाल ग्रह के अनुकूल बना घर, चार वैज्ञानिक करेंगे टेस्ट

नासा ने मंगल ग्रह पर लोगों को बसाने की तैयारी शुरू कर दी है जिसके लिए एक प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत पृथ्वी पर मंगल ग्रह के अनुकूल एक घर तैयार किया गया है जिसनें चार वैज्ञानिक एक साल तक रहेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Shalini KumariSun, 28 May 2023 12:00 PM (IST)
NASA कर रहा मंगल पर रहने की तैयारी, पृथ्वी पर लाल ग्रह के अनुकूल बना घर, चार वैज्ञानिक करेंगे टेस्ट
मंगल ग्रह पर लोगों को बसाने की तैयारी कर रहा नासा

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। मंगल ग्रह पर लोगों को बसाने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। इस कड़ी में एक ट्रायल शुरू कर दिया गया है। अगर इस ट्रायल में सब कुछ सही रहा, तो अगले सात सालों यानी 2030 तक आम इंसानों को भी मंगल ग्रह पर भेजना शुरू कर दिया जाएगा।

जून के अंत में शुरू होगा ट्रायल प्रोजेक्ट

मंगल ग्रह पर लोगों को बसाने के लिए नासा की ओर से एक ट्रायल प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। इसमें एक घर बनाया गया है, जिसके अंदर के वातावरण को इस तरह से डिजाइन किया गया है, जैसे मंगल ग्रह का वातावरण होता है। इस प्रोजेक्ट के लिए नासा ने चार लोगों को चुना है, जिसमें एक कनाडाई जीवविज्ञानी केली हेस्टन भी शामिल हैं।  

मंगल ग्रह के तर्ज पर बनाया गया घर

यह प्रोजेक्ट एक साल तक चलेगा, जिसमें केली हेस्टन ने बताया कि वो न बाहर आ पाएंगी और न कोई अंदर नहीं जा पाएगा। जून के अंत तक चारों शोधकर्ता इस घर में जाएंगे और आम जीवन से अलग जिंदगी बिताएंगे। जानकारी के मुताबिक, ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर में इस प्रोजेक्ट घर को बनाया गया है।

मंगल ग्रह जैसा होगा वातावरण

घर के अंदर की व्यवस्था बिल्कुल मंगल ग्रह जैसी है। वहां पर भी लाल रंग की मिट्टी डाली गई है। यदि शोधकर्ता कंट्रोल सेंटर से संपर्क करेगी तो, वहां से यहां तक मैसेज आने में बीस मिनट का समय लगेगा और कंट्रोल सेंटर से उन शोधकर्ताओं तक मैसेज पहुंचने में 20 मिनट और लगेंगे। दरअसल, मंगल ग्रह से पृथ्वी तक कोई मैसेज आने में औसतन इतना ही समय लगता है।  

घर में उपलब्ध होंगी सारी सुविधाएं

रिपोर्ट के मुताबिक, यह घर 3डी प्रिंटेड है, जो 160 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। इसका नाम मार्स ड्यून रखा गया है। मार्स ड्यून में शोधकर्ताओं के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इस घर में किचन, चार बैडरूम, जिम, रिसर्च सेंटर और एक स्पेशल स्पेस बनाया गया है। इस स्पेशल स्पेस में चारों शोधकर्ता मार्स वॉक भी कर सकेंगे। हालांकि, यहां पर उन्हें पानी की कमी का सामना भी करना पड़ेगा, जैसे की मंगल ग्रह पर जाने के बाद की स्थिति होगी।  

प्रोजेक्ट के लिए उत्सुक हैं हेस्टन

केली हेस्टन ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि मुझे अब भी कभी-कभी ये झूठ लगता है, लेकिन जब मैं इसके बारे में सोचती हूं, तो मुझे हंसी आती है। उन्होंने आगे कहा कि मैं बहुत उत्साहित हूं और चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार हूं।

मेल के जरिए परिवार से कर सकेंगे संपर्क

हेस्टन ने बताया कि जब उनके एक साथ ही ने उन्हें इस बारे में बताया, तो उन्होंने आवेदन करने में बिल्कुल भी देरी नहीं की। उन्होंने कहा कि उन्हें सबसे ज्यादा इस बात की चिंता है कि वे अपने परिवार से दूर कैसे रहेंगी। हेस्टन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के दौरान वो अपने परिवार से केवल मेल के जरिए बात कर सकती है और कभी-कभी वीडियो मैसेज भी भेज सकती हैं, लेकिन वो लाइव कॉल नहीं कर सकती हैं।