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    युद्ध क्षेत्र के आस-पास रहने वाले लोगों को हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा ज्यादा

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Fri, 31 May 2019 11:57 AM (IST)

    शोधकर्ताओं ने बताया कि युद्ध से धमनी संबंधी रोग स्ट्रोक डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के साथ ही शराब और तम्बाकू के सेवन में भी वृद्धि होने लगती है।

    युद्ध क्षेत्र के आस-पास रहने वाले लोगों को हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा ज्यादा

    लंदन, प्रेट्र। एक अध्ययन में दावा किया गया है कि युद्ध क्षेत्र के आस-पास रहने वाले लोगों को हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है। हार्ट जर्नल में प्रकाशित हुए शोध के लिए शोधकर्ताओं ने सशस्त्र संघर्ष वाले क्षेत्रों में रह रहे लोगों के स्वास्थ्य का अध्ययन किया। इसमें मध्यम और कम आय वाले देशों (सीरिया, लेबान, बोसनिया, क्रोशिया, फलिस्तीन, कोलंबिया और सूडान) को शामिल किया गया।

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    ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के शोधार्थियों ने अध्ययन में पाया कि संघर्ष का सीधा संबंध लोगों के स्वास्थ्य से है, इसका उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि युद्ध से धमनी संबंधी रोग, स्ट्रोक, डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के साथ ही शराब और तम्बाकू के सेवन में भी वृद्धि होने लगती है।

    शोधकर्ताओं ने युद्ध में ब्लास्ट से होने वाले इंजरी, संक्रामक बीमारियों और कुपोषण जैसे तात्कालिक प्रभावों के अलावा इससे होने वाली दीर्घकालीन बीमारियों का भी अध्ययन में उल्लेख किया है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्ष लोगों को हृदय विकारों से बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय श्वास्थ्य नीति नियंताओं को सूचित कर सकते हैं, ताकि जिन इलाकों में युद्ध हो रहा है या हो सकता है, वहां समय रहते नियंत्रण के लिए कारगर कदम उठाए जा सकें। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्रों में ब्रांडेड दवाओं की बजाय सस्ती जेनरिक दवाओं को देने से साथ ही धूमपान छोड़ने के लिए लोगों को जागरूक किया जा सकता है।

    इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के मोहम्मद जवाद ने कहा कि संघर्षरत क्षेत्रों में हृदय रोग के जोखिमों से संबंधित अपने तरह की यह पहली समीक्षा है, शोधर्ताओं द्वारा जुटाए गए आंकड़े बताते हैं कि युद्ध के बाद दस लाख लोगों में से 228.8 ने हृदय रोग के कारण अपनी जान गंवा दी, जबकि पहले यह आंकडा दस लाख पर 147.9 का था।

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