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    जानिए बहुत अधिक देर तक बैठकर काम करने से किस गंभीर बीमारी के हो जाएंगे शिकार

    By Vinay TiwariEdited By:
    Updated: Wed, 01 Jul 2020 04:49 PM (IST)

    एक रिसर्च में ये सामने आया है कि जो लोग अधिक देर तक बैठकर काम करते रहते हैं या किसी कारण से बैठे रहते हैं उनको कैंसर जैसी बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।

    जानिए बहुत अधिक देर तक बैठकर काम करने से किस गंभीर बीमारी के हो जाएंगे शिकार

    नई दिल्ली, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। यदि आप बहुत अधिक देर तक बैठे रहते हैं या बैठकर काम करना आपकी मजबूरी है तो आपको ये खबर जरूर पढ़नी चाहिए। अधिक देर तक बैठे रहने से आप निष्क्रिय हो जाते हैं, आपके शरीर के सिर्फ कुछ अंग ही काम करते हैं ऐसे में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। 

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    एक बात ये भी सच है कि कैंसर से 80 फीसद लोगों की मौत हो जाती है, इनका अधिक देर तक बैठे रहने से कोई संबंध नहीं होता है। अमेरिका में किए गए एक अध्ययन में ये बात सामने आई है। इसी के साथ अध्ययन से यह भी पता चला है कि यदि आप उठते हैं, टहलते है और धीरे-धीरे केवल कुछ मिनटों के लिए एक्सरसाइज करते हैं तो कैंसर से मरने का खतरा कम हो सकता है। जो लोग बहुत अधिक देर तक बैठकर काम करते हैं उनके लिए ये अध्ययन आंख खोलने वाला है।

    हाई ब्लड प्रेशर

    लम्बे समय तक बैठने से विभिन्न अंगों को नुकसान हो सकता है। लंबे समय तक बैठे रहने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या हो सकती है और कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। बिल्कुल नहीं या बहुत कम बैठने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा समय तक बैठने वालों को इन बीमारियों के होने की दोगुनी आशंका होती है।

    कोलोन कैंसर का खतरा

    कई अध्ययनों से इस बात की भी संभावना है कि लंबे समय तक बैठे रहने से कोलोन कैंसर को भी दावत मिलती है। इतना ही नहीं, किन्हीं कारणों से स्तन और अन्तर्गर्भाशयकला(एन्डोमेट्रीअल) कैंसर होने का भी खतरा बना रहता है।

    मांसपेशियों में कमजोरी 

    जब आप खड़े होते हैं या किसी भी गतिविधि में सक्रिय होते हैं तो मांसपेशियां सक्रिय बनी रहती हैं, लेकिन जब आप केवल बैठे रहते हैं तो पीठ और पेट की मांसपेशियां ढीली पड़ने लगती हैं। इसी स्थिति के चलते आपके कूल्हे और पैरों की मांशपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं। लंबे समय तक एक स्थिति में बैठने का परिणाम यह भी हो सकता है कि आपकी रीढ़ की हड्‍डी भी पूरी तरह से सीधी न रह सके।

    ऑस्टियोपोरोसिस

    लंबे समय तक बैठे रहने से लोगों का वजन भी बढ़ता है और इसके परिणामस्वरूप कूल्हे और इसके नीचे के अंगों की हड्‍डियां कमजोर हो जाती हैं। शारीरिक सक्रियता की कमी के कारण ही ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियां आम होती जा रही हैं।

    दिमाग पर असर 

    लंबे समय तक बैठे रहने से मस्तिष्क भी प्रभावित होता है और इसकी कार्यप्रणाली भी अस्पष्ट तथा धीमी हो जाती है। मांसपेशियों की सक्रियता से मस्तिष्क में ताजा खून और ऑक्सीजन की मात्रा पहुंचती है, जिसके ऐसे रसायन उत्पन्न होते हैं जोकि दिमाग को सक्रिय बनाए रखते हैं लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो मस्तिष्क की क्षमता पर भी विपरीत असर पढ़ता है।

    निष्क्रियता और बैठे रहना बीमारी के कारण 

    हमारे पास पहले से ही बहुत सारे सबूत हैं कि एक कुर्सी पर पूरे दिन बिताना बेहतर नहीं होता है। पिछले अध्ययनों ने लंबे समय तक बैठे रहने को दिल की बीमारी, टाइप 2 मधुमेह, मोटापा और समय से पहले मौत से जोड़ा है। कुछ अध्ययनों में निष्क्रियता और कैंसर से होने वाली मौतों के बीच संबंधों का भी पता चला है लेकिन उनमें से अधिकांश अध्ययन लोगों की भरोसेमंद नहीं लगे हैं।

    हमारे पास पहले से ही बहुत सारे सबूत हैं कि एक कुर्सी पर पूरे दिन बिताना बेहतर नहीं होता है। पिछले अध्ययनों ने लंबे समय तक बैठे रहने को दिल की बीमारी, टाइप 2 मधुमेह, मोटापा और समय से पहले मौत से जोड़ा है। कुछ अध्ययनों में निष्क्रियता और कैंसर से होने वाली मौतों के बीच संबंधों का भी पता चला है लेकिन उनमें से अधिकांश अध्ययन लोगों को भरोसेमंद नहीं लगे हैं।

    रिसर्च हुई प्रकाशित 

    इस बारे में एक नई रिपोर्ट तैयार की गई। इसका प्रकाशन जून में जामा (JAMA) ऑन्कोलॉजी में हुआ था। इसके लिए ह्यूस्टन में टेक्सास एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर विश्वविद्यालय और देश भर के अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं ने राष्ट्रव्यापी अध्ययन करके डेटा एकत्र किए थे। अब इन डेटा को फिर से जांचा जाएगा। उस अध्ययन ने 30,000 से अधिक मिडिल आयु वर्ग के पुरुषों और महिलाओं के एक समूह को रखा गया था। साल 2002 में शुरू करके, उनके स्वास्थ्य, जीवन शैली और चिकित्सा स्थितियों के बारे में विवरण एकत्र किया गया था।

     

    ट्रैकर पहनाकर किया गया अध्ययन 

    इनमें से कुछ ने एक सप्ताह के लिए गतिविधि ट्रैकर पहनने के लिए सहमति व्यक्त की, इस ट्रैकर को पहनने का उद्देश्य यह दर्ज करना था कि वे कितनी बार और कितनी सख्ती से बैठे, कितने समय के बाद वो उठे और फिर वापस उसी जगह पर काम करने या अन्य किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए बैठे थे। अब शोधकर्ताओं ने लगभग 8,000 लोगों का रिकॉर्ड इकट्ठा किया। जिन्होंने किसी समय ट्रैकर पहना था। ये पुरुष और महिलाएं कम से कम 45 साल के थे, जब वे अध्ययन में शामिल हुए थे जिनका स्वास्थ्य अच्छा से लेकर संतोषजनक तक था। कुछ अधिक वजन, धूम्रपान करने वालों, मधुमेह या उच्च रक्तचाप या अन्य स्थितियों में थे। 

    शोधकर्ताओं ने इन लोगों के गतिविधि ट्रैकर्स के डेटा की जांच की। यह देखते हुए कि वो लोग प्रतिदिन कितने घंटे बैठे हैं। एक समूह ने लगभग 13 दिन एक कुर्सी पर या निष्क्रिय रुप से बिताए थे। जबकि कुछ लोग टहलने, घर से बाहर निकलने और बागवानी करने या सक्रिय रूप से व्यायाम करने जैसी हल्के कामों में लगे हुए पाए गए।

    थोड़ी एक्सरसाइज करना भी सेहत के लिए बेहतर 

    एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर के एक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुसान गिलक्रिस्ट ने कहा कि इन आंकड़ों से पता चलता है कि अतिरिक्त शारीरिक गतिविधि की एक छोटी राशि, चाहे वह कितनी भी हल्की क्यों न हो, कैंसर से बचने के लाभदायक हो सकते हैं। उनका कहना है कि यह रिसर्च एक पत्थर की लकीर की तरह नहीं है। बल्कि इससे ये ही पता चलता है कि अधिक देर तक बैठे रहने और निष्क्रिय होने से हमारा शरीर शिथिल हो जाता है।

    इससे बीमारी बढ़ने की संभावना अधिक हो जाती है, इसके उलट यदि हम चलते रहते हैं, कुछ हल्की फुल्की एक्सरसाइज करते रहते हैं तो बीमारी लगने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा बैठे रहने से कैंसर से मरने का खतरा बढ़ जाता है। गिलक्रिस्ट ने कहा कि वह और उनके सहयोगियों ने भविष्य के अध्ययन में उन मुद्दों में से कुछ की जांच करने की उम्मीद की है।