तमिलनाडु की दीवारों पर कमला हैरिस का पोस्टर, लिखा है- 'पीवी गोपालन की विजेता नातिन'
कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन चेन्नई की मूल निवासी थी और पढ़ने के लिए अमेरिका गई थीं। वे अग्रणी कैंसर शोधकर्ताओं में से एक थीं।
वाशिंगटन, एएनआइ। उपराष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस की तस्वीरें इन दिनों तमिलनाडु में हर जगह देखने को मिल रही है। उनकी भांजी मीना हैरिस ने ट्वीट कर इस तस्वीर को शेयर किया। तमिलनाडु में लगी पोस्टरों में कैलिफोर्निया से सीनेटर कमला हैरिस को 'विजेता' बताया गया है।
दरअसल कमला हैरिस की 35 वर्षीय भांजी मीना कैलिफोर्निया में वकील हैं। रविवार को पोस्टर की इमेज ट्वीट कर उन्होंने बताया, ' यह पोस्टर तमिलनाडु से भेजा गया है। पोस्टर में कमला हैरिस की फोटो है और तमिल भाषा में इसपर लिखा है- पी वी गोपालन (PV Gopalan) की नातिन विजेता है।' उन्होंने ट्वीट में बताया, 'भारत के तमिलनाडु में जहां हमारा परिवार है वहां से इस पोस्टर की तस्वीर मुझे भेजी गई है। मैं अपने ग्रेट ग्रैंडफादर को जानती हूं क्योंकि हमलोग चेन्नई जाया करते थे। वो मेरी ग्रैंड मां के लिए सबकुछ थे और मुझे पता है कि वे दोनों अभी कहीं खुशी से मुस्कुरा रहे होंगे।'
दक्षिण अफ्रीका के पिता और भारतीय मां की बेटी कमला हैरिस को यदि यह सफलता मिल जाती है तो वह देश की पहली महिला उप राष्ट्रपति होंगी। हैरिस की मां श्यामला गोपालन का जन्म चेन्नई में हुआ था। पढ़ाई के लिए वो अमेरिका गईं और वहां कैंसर की अग्रणी रिसर्चर बन गई। उनके पिता पीवी गोपालन उच्चस्तरीय सिविल सर्वेंट थे।
शनिवार को एक इवेंट के दौरान अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी से उप-राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार कमला हैरिस ने भारत में पुराने दिनों की कुछ यादों को शेयर किया। उन्होंने अपने भारत की ट्रिप के दौरान अपने नाना जी के साथ अपनी लंबी सैर को याद किया। 'साउथ एशियाई ऑफ बिडेन' के एक इवेंट के दौरान बोलते हुए कमला हैरिस ने भारत के स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएं दीं और कहा कि भारतीय और अमेरिकी समुदाय अपने साझा इतिहास और संस्कृति से एक साथ बंधे हुए हैं।
उन्होंने कहा, 'जब मेरी मां ने पहली बार 19 साल की उम्र में प्लेन में बैठीं तब उनके साथ सामानों की जगह घर में सीखी गई बातें थी। वो बातें जो उन्होंने अपने-माता पिता से सीखी थीं।' उन्होंने बताया कि मेरी मां एक तमिल भारतीय- अमेरिकी थी और पढ़ाई पूरी करने के बाद एक कैंसर रिसर्चर और एक्टिविस्ट बनीं। वो मुझे और मेरी बहन माया को साथ लेकर भारत जाती थीं ताकि हम अपनी जड़ों से अवगत हो सके। उन्होंने आगे बताया कि उस दौरान वे अपने नाना के साथ लंबी सैर पर जाती थीं और उनसे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियां सुनती थीं। उन्होंने बताया कि नाना पी वी गोपालन से सीखी गईं बातों की बदौलत ही वो आज यहां तक पहुंच सकी हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।