पौधों को फफूंद और कीड़ों से बचाता है ‘जैस्मोनिक एसिड’, जरूरत के मुताबिक तैयार होंगे कीटनाशक
Jasmonic Acid Protects Plants ये कीटनाशक कैसे काम करते हैं इसके पीछे के विज्ञान को शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक नए अध्ययन में समझाया है। ...और पढ़ें

लॉस एंजिलिस, प्रेट्र। Jasmonic Acid Protects Plants: फसलों में लगने वाली फूफूंद और कीड़े इनके सबसे बड़े दुश्मन माने जाते हैं। इससे फसलों को तो नुकसान होता ही है, साथ ही किसानों की मेहनत बेकार चली जाती है। आमतौर पर फसलों को रोगों से बचाने के लिए किसान कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। ये कीटनाशक कैसे काम करते हैं इसके पीछे के विज्ञान को शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक नए अध्ययन में समझाया है। शोधकर्ताओं ने पौधों में एक संचार नेटवर्क का पता लगाया है, जिसके हार्मोन्स कीटनाशकों पर प्रतिक्रिया देते हैं।
शोधकर्ताओं कहना है कि नई खोज ऐसी फसलों की खेती को बढ़ावा दे सकती है जो कीटों के हमले से आसानी से बच सकती है। जर्नल नेचर प्लांट्स में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि जैस्मोनिक एसिड नामक हार्मोन विशेष रूप से फफूंद और कीड़ों से पौधे की रक्षा करता है। अमेरिका के हॉवर्ड ह्यूजेस मेडिकल इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता और इस अध्ययन के सह-लेखक, जोसेफ ईकर ने कहा, ‘यह शोध हमें इस बात की जानकारी देता है कि जैस्मोनिक एसिड कितने अलग-अलग स्तरों पर काम करता है। साथ ही हम यह भी पता चलता है कि पर्यावरणीय और विकास संबंधी जानकारियां कैसे परिष्कृत होती हैं और कैसे पौधों का समुचित विकास होता है।’
‘एराबिडोपिसेज थालियाना’ का किया प्रयोग : इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने ‘एराबिडोपिसेज थालियाना’ का प्रयोग किया। यह सरसों की प्रजाति का एक छोटा फूल है। अध्ययन में इसके जीनोम के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्षों को भोजन के लिए उगाए जाने वाले अन्य पौधों पर भी लागू किया जा सकता है। हावर्ड ह्यूजेस मेडिकल इंस्टीट्यूट से इस अध्ययन के सह-लेखक मार्क जेंडर ने कहा, ‘हम यह समझना चाहते हैं कि पौधों द्वारा जैस्मोनिक एसिड छोड़ने के बाद क्या होता है। इसके कौन से जीन सक्रिय और निष्क्रिय हैं। साथ ही वे कौन से कारक हैं जो इसकी कोशिकीय प्रक्रियाओं के नियंत्रण करते हैं।
ऐसे किया अध्ययन : शोधकर्ताओं ने एक पेट्री डिश में बीजों को रोपकर डिश को तीन दिनों के लिए अंधेरे में रख दिया। ऑस्ट्रेलिया की ला ट्रोबे यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और अध्ययन के सह-लेखक मैथ्यू लेवसी ने कहा, ‘जब बीज भूमिगत होता है तो यह विकास का एक महत्वपूर्ण चरण होता है। इस दौरान बीज को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। मसलन-फफूंद और कीड़ों के हमलों से उसे खुद का बचाव करना होता है। इस चरण को पार करने के बाद ही आपके द्वारा रोपा गया बीच अंकुरित हो पाएग
जरूरत के मुताबिक तैयार होंगे कीटनाशक : शोधकर्ताओं ने कहा तीन दिनों के पौधे की कोशिकाओं से डीएनए और प्रोटीन निकाले और जीनोम में सटीक स्थान का अनुमान लगाया जहां इन अणुओं ने कोशिकीय प्रक्रिया को विनियमित किया था। शोधकर्ताओं ने कहा कि इसी आधार पर अब हम यह पता लगा सकते हैं पौधे किस प्रकार के कीटों का सामना करने में सक्षम हैं और किस फफूंद की मार नहीं सह पाएंगे। इसी आधार पर हर पौधे के लिए उसकी जरूरत के मुताबिक कीटनाशक तैयार किए जा सकते हैं।

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