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    क्या होता है यूरेनियम, जिससे पूरी दुनिया में मच सकता है मौत का तांडव? खामेनेई ने हमले से पहले अमेरिका को भी दे दिया था चकमा

    अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु केंद्रों पर हमले के बाद 400 किलोग्राम यूरेनियम लापता हो गया है, जिससे 10 परमाणु हथियार बनाए जा सकते हैं। इजरायल का दावा है कि ईरान ने इसे गुप्त स्थान पर स्थानांतरित कर दिया था। अमेरिकी अधिकारियों के बयान विरोधाभासी रहे हैं, जबकि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण बता रहा है और इसे छोड़ने से इनकार कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने निरीक्षण फिर से शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि परमाणु हथियार प्रसार को रोका जा सके।  

    By Jagran News Edited By: Abhinav Tripathi Updated: Tue, 24 Jun 2025 11:29 PM (IST)
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    हमले से पहले ही ईरान ने छिपा दिया था 400 KG यूरेनियम। (फाइल फोटो)

    जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा है कि पिछले सप्ताह तीन ईरानी परमाणु केंद्रों पर छह 'बंकर बस्टर' गिराए जाने के बाद लापता हुआ यूरेनियम का 400 किलोग्राम भंडार 10 परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त है। अमेरिकी प्रसारक एबीसी न्यूज से बातचीत में उन्होंने यह बात कही।

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    लापता यूरेनियम ईरान के लिए सौदेबाजी का शक्तिशाली माध्यम बन सकता है, जब भी वह अमेरिका के साथ नए परमाणु समझौते पर बातचीत फिर से शुरू करने का विकल्प चुनेगा। यह यूरेनियम 60 प्रतिशत तक संवर्धित है और परमाणु हथियार बनाने के लिए इसे लगभग 90 प्रतिशत तक संवर्धित करने की जरूरत है।

    इजरायली अधिकारियों ने भी न्यूयार्क टाइम्स से यह दावा दोहराया कि ईरान ने हमले से कुछ दिन पहले इस भंडार के साथ-साथ कुछ उपकरणों को गुप्त स्थान पर स्थानांतरित कर दिया है। अमेरिकी हमले से पहले की सेटेलाइट तस्वीरों में फोर्डो परमाणु संयंत्र के बाहर 16 ट्रकों की कतार दिखाई दी थी।

    अमेरिका ने फोर्डो, नातांज और इस्फहान परमाणु संयंत्रों पर बमबारी की थी। इसमें तीनों संयंत्रों को काफी नुकसान हुआ, लेकिन संयंत्र के बाहर से ट्रक गायब थे। यह स्पष्ट नहीं है कि उन ट्रकों में क्या ले जाया गया और कहां ले जाया गया। लेकिन अमेरिका और इजरायल को दृढ़ विश्वास है कि इसे प्राचीन राजधानी इस्फहान के पास एक अन्य भूमिगत भंडारण केंद्र में ले जाया गया था।

    वैश्विक परमाणु निगरानी संस्था अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) के प्रमुख राफेल ग्रासी के अनुसार, ईरान पर पहले इजरायली हमले से हफ्तेभर पहले इसका अंतिम बार निरीक्षण किया गया था। पिछले सप्ताह ग्रासी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि यह आवश्यक है कि आइएईए यथाशीघ्र निरीक्षण फिर से शुरू करे। उन्होंने दुनिया को यह चेतावनी भी दी कि निरंतर सैन्य तनाव से इस अपरिहार्य कार्य में देरी होगी और ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने के कूटनीतिक समाधान की संभावनाओं को कम करेगा।

    ईरान ने खारिज किया परमाणु कार्यक्रम छोड़ने का दावा


    ईरान ने लंबे समय से जोर दिया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। लेकिन यह दावा किया गया कि वह परमाणु हथियार बना रहा है। इजरायल ने हमले से पहले यहां तक कहा था कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की प्रक्रिया में 'वापस नहीं लौटने के बिंदु' पर पहुंच रहा है। अब इजरायली हमलों के बाद ईरान ने परमाणु अप्रसार संधि से हटने की धमकी दी है। साथ ही ईरान के उप विदेश मंत्री तख्त रवांची ने इस दावे को खारिज कर दिया है कि ईरान परमाणु कार्यक्रम को छोड़ देगा। उन्होंने कहा, ''कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या करना चाहिए।''

    भ्रमित करने वाले रहे अमेरिकी बयान

    अमेरिका का इस संबंध में बयान थोड़ा भ्रमित करने वाला रहा है। सीएनएन की पिछले सप्ताह की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के मिसाइल हमलों के पहले दौर के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने कहा था कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश नहीं कर रहा है और उसे इसे बनाने में कम से कम तीन वर्ष लगेंगे। खुफिया एजेंसियों का यह भी कहना था कि इजरायली हमलों ने ईरान को केवल कुछ महीनों के लिए पीछे धकेला है, क्योंकि अनुसंधान का बड़ा हिस्सा फोर्डो जैसे केंद्रों में जमीन के काफी अंदर था, जिन्हें इजरायली मिसाइलें नुकसान नहीं पहुंचा सकतीं।

    एक वरिष्ठ अधिकारी ने सीएनएन को बताया कि ईरान के पास सभी आवश्यक सामग्री है। अमेरिका की नेशनल इंटेलीजेंस की निदेशक तुलसी गबार्ड के अपने बयान से पीछे हटने से भी अधिक भ्रम पैदा हो गया। कुछ महीनों पहले उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस को बताया था कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना रहा है। लेकिन शनिवार को उन्होंने कहा कि ईरान उन्हें कुछ हफ्तों के भीतर बना सकता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा उनकी पिछली जानकारी को ''गलत'' बताए जाने के बाद उन्होंने अपने बयान में यह बदलाव किया।

    खुफिया जानकारी के बाद किए तत्काल हमले

    ट्रंप ने पहले ईरान को नए परमाणु सुरक्षा समझौते पर पहुंचने के लिए दो सप्ताह की समयसीमा दी थी, लेकिन इस खुफिया जानकारी के बाद अमेरिका ने तत्काल कार्रवाई की कि इजरायल अमेरिकी सहायता के बिना ईरानी संयंत्रों को प्रभावी ढंग से बेअसर नहीं कर सकता। ट्रंप ने अमेरिकी हमले से कुछ घंटे पहले रविवार सुबह एबीसी न्यूज से कहा था, ''हम इसमें शामिल नहीं हैं (लेकिन) यह संभव है कि हम शामिल हो जाएं।''

    साथ ही ईरान और इजरायल से आग्रह किया था कि वे खुद एक समझौते पर पहुंच जाएं, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। हमलों के बाद ट्रंप ने घोषणा की कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बंकर बस्टर और टामहाक मिसाइलों ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। उन्होंने मिसौरी के एयर बेस से रेडियो साइलेंट और नानस्टाप उड़ान भरने वाले सात बी-2 बमवर्षकों के नेतृत्व में 37 घंटे के सैन्य अभियान की सराहना की।

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