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भारत के 'मिशन शक्ति' पर नासा का प्रहार, भयानक प्रयोग, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए बढ़ा खतरा

नासा के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए जिम ब्रिडेनस्‍टाइन ने कहा कि भारत ने पांच दिन पहले अंतरिक्ष में एक मिसाइल का परीक्षण किया जो अंतरिक्ष के लिए अच्‍छा नहीं है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 09:40 AM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 09:40 AM (IST)
भारत के 'मिशन शक्ति' पर नासा का प्रहार, भयानक प्रयोग, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए बढ़ा खतरा
भारत के 'मिशन शक्ति' पर नासा का प्रहार, भयानक प्रयोग, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए बढ़ा खतरा

वाशिंगटन, पीटीआइ। अंतरिक्ष की तकनीक में भारत दुनिया की चौथी महाशक्ति बनकर उभरा है। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है, जिसने अंतरिक्ष में घूम रहे एंटी सैटेलाइट (A-SAT) को मार गिराया। भारत के लिए उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण (ए-सैट) 'मिशन शक्ति' एक कीर्तिमान है, लेकिन अमेरिका रक्षा संस्‍थान नासा ने इस मिशन को बेहद भयानक बताया है।

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नासा का कहना है कि भारत का मिशन शक्ति बेहद भयानक है। इसकी वजह से अंतरिक्ष की कक्षा में करीब 400 मलबे के टुकड़े फैल गए हैं। इससे भविष्‍य में अंतरराष्‍ट्रीय अंतरिक्ष स्‍टेशन में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक नया खतरा पैदा हो गया है। नासा की तरफ से यह बात उनके प्रमुख जिम ब्रिडेनस्टाइन ने कही।

बता दें कि इस एंटी सैटेलाइट को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) के 300 किलोमीटर के अंदर मारा गया। इस पूरी प्रक्रिया में ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) को महत तीन मिनट लगे। इसरो ने इस एंटी सैटेलाइट को मारने के लिए मिशन शक्ति चलाया था जो पूरी तरह कामयाब रहा। इस एंटी सैटेलाइट सिस्टम के जनक के तौर पर अमेरिका और रूस को जाना जाता है।

सोमवार को नासा के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए जिम ब्रिडेनस्‍टाइन ने कहा कि भारत ने पांच दिन पहले अंतरिक्ष में एक मिसाइल का परीक्षण किया, जो अंतरिक्ष के लिए अच्‍छा नहीं है। उनके मुताबिक, सैटेलाइट के सभी टुकड़े इतने बड़े नहीं हैं, जिन्हें ट्रैक किया जा सके। हमारी उसपर नजर है। बड़े टुकड़े ट्रैक हो रहे हैं। हम लोग 10 सेंटीमीटर (6 इंच) से बड़े टुकड़ों की बात कर रहे हैं। ऐसे अबतक 60 टुकड़े मिले हैं। भारत द्वारा ये टेस्‍ट आईएसएस समेत कक्षा में मौजूद बाकी सभी सैटलाइट से नीचे किया गया था। लेकिन अब इसके करीब 24 टुकड़े इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के ऊपर चले गए हैं। यह भयानक, बेहद भयानक है कि ऐसा काम किया गया जिससे मलबा अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से भी ऊपर जा रहा है। ऐसी गतिविधियों की वजह से भविष्य में मानव को अंतरिक्ष में भेजना मुश्किल हो जाएगा।'

गौरतलब है कि अमेरिका ने सन 1950 में जबकि रूस ने 1956 में एंटी सैटेलाइट सिस्टम विकसित किया है। साल 2007 में चीन ने अपने ही एक सैटेलाइट को लो अर्थ ऑर्बिट में मारकर इस तकनीक के क्षेत्र में कदम रखने वाला तीसरा देश बन गया। भारत 2010 में इस तरह के एंटी सैटेलाइट मिसाइल को लो ऑर्बिट में मारने की तकनीक पर काम कर रहा था।


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