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Washington: हेल्थ सेवाओं में नस्लवाद से लड़ेंगी भारतीय मूल की वकील, अमेरिकी स्वास्थ्य आयोग में मिली जिम्मेदारी

आयोग के पैनल में विश्व भर के लगभग 20 विशेषज्ञ शामिल हैं। ये विशेषज्ञ स्वास्थ्य और कल्याण की बाधाएं कम करने के लिए नस्लवाद विरोधी रणनीतियों और कार्यों की पहचान करना चाहते हैं। क्रिस्टेल ने कहा उन्हें आयोग में अपनी सेवाएं देने पर गर्व है। (Photo- Twitter)

By AgencyEdited By: Shashank MishraPublished: Wed, 15 Feb 2023 11:03 PM (IST)Updated: Wed, 15 Feb 2023 11:03 PM (IST)
आयोग के पैनल में विश्व भर के लगभग 20 विशेषज्ञ शामिल हैं। (Photo- Twitter)

वाशिंगटन, पीटीआई। भारतीय-अमेरिकी स्वास्थ्य न्याय वकील प्रीति क्रिस्टेल और चार अन्य अमेरिकी विशेषज्ञों को नस्लवाद, संरचनात्मक भेदभाव और वैश्विक स्वास्थ्य संबंधी ओनील-लैंसेट आयोग में नामित किया गया है। आयोग की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य अधिकार संबंधी संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक के सह-नेतृत्व में वाशिंगटन के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय विधि केंद्र में स्थापित यह तीन वर्षीय आयोग नस्लवाद विरोधी रणनीतियां चिह्नित करना चाहता है ताकि विश्व स्तर पर स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सके।

20 वर्षों से स्वास्थ्य क्षेत्र में सक्रिय क्रिस्टेल

आयोग के पैनल में विश्व भर के लगभग 20 विशेषज्ञ शामिल हैं। ये विशेषज्ञ स्वास्थ्य और कल्याण की बाधाएं कम करने के लिए नस्लवाद विरोधी रणनीतियों और कार्यों की पहचान करना चाहते हैं। आयोग में शामिल हुई क्रिस्टेल ने अपने बयान में कहा है कि उन्हें इस आयोग में अपनी सेवाएं देने और ऐसे भविष्य को गढ़ने का हिस्सा होने पर गर्व है जिसमें सभी लोग निश्चिंत होंगे कि वे अपने प्रियजनों को स्वस्थ रख सकते हैं और उनके परिवारों एवं समुदायों की दवाओं तक पहुंच का भविष्य तराश सकते हैं। किस्टेल पिछले 20 वर्ष से कम आय वाले देशों और अमेरिका में दवाओं और टीकाकरण तक पहुंच को प्रभावित करने वाली संरचनात्मक असमानताओं को उजागर कर रही हैं।

कोविड ने बढ़ाईं स्वास्थ्य असमानताएं

यह आयोग साक्ष्य देता है कि लोगों को नस्ल, जातीयता, जनजाति, जाति, लिंग पहचान या अभिव्यक्ति, यौन रुझान, वर्ग या धर्म आदि के आधार पर स्वास्थ्य सुविधाओं में दिक्कतें झेलनी पड़ती है। आयोग का यह भी कहना है कि कोविड-19 महामारी के बाद विश्व में स्वास्थ्य सुविधाओं संबंधी असमानताएं बढ़ी हैं। कई देश अपने नागरिकों को कोविड के टीके तक उपलब्ध नहीं करवा पाए। आयोग का कहना है कि यह स्वास्थ्य असमानताओं के मात्र प्रलेखन के बजाय इसके गहरे कारणों को समझने का प्रयास करेगा।

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