अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारतीय प्रवासियों का सबसे बड़ा योगदान, एच-1बी वीजा नियमों में सख्ती से होगा नुकसान
अमेरिका में भारतीय प्रवासियों को देश के लिए सबसे अधिक फायदेमंद समूह बताया गया है। मैनहटनइंस्टीट्यूट के ताजा अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय प्रवासी न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती देते हैं, बल्कि राष्ट्रीय कर्ज में भी काफी कमी लाते हैं।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारतीय प्रवासियों का सबसे बड़ा योगदान (फोटो- रॉयटर)
आइएएनएस, वाशिंगटन। अमेरिका में भारतीय प्रवासियों को देश के लिए सबसे अधिक फायदेमंद समूह बताया गया है। मैनहटन इंस्टीट्यूट के ताजा अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय प्रवासी न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती देते हैं, बल्कि राष्ट्रीय कर्ज में भी काफी कमी लाते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, एक औसत भारतीय प्रवासी 30 वर्षों में अमेरिका के राष्ट्रीय कर्ज को 16 लाख डालर तक घटाता है और अन्य किसी भी प्रवासी समूह की तुलना में अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सबसे अधिक योगदान देता है।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि एच-1बी वीजा धारक, जिनमें भारतीयों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से अधिक है, 30 वर्षों में अमेरिकी जीडीपी में पांच लाख डालर तक की वृद्धि करते हैं और कर्ज में 23 लाख डालर तक की कमी लाते हैं।
रिपोर्ट के लेखक और वरिष्ठ फेलो डेनियल मार्टिनो ने चिंता जताई कि यदि एच-1बी वीजा कार्यक्रम समाप्त किया गया तो अगले 10 वर्षों में अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज 185 अरब डालर बढ़ जाएगा और अर्थव्यवस्था 26 अरब डालर तक सिकुड़ सकती है।
वहीं, व्हाइट हाउस ने एच-1बी वीजा पर प्रतिबंधात्मक नीतियों के खिलाफ दायर मुकदमों को लड़ने की घोषणा की है। अमेरिकी वाणिज्य मंडल और कई पेशेवर संगठनों ने इन नीतियों को ''अवैध और अमेरिकी व्यवसायों के लिए हानिकारक'' बताते हुए अदालत में चुनौती दी है।
हालांकि नई गाइडलाइन्स में कुछ छूट दी गई है, लेकिन नए वीजा आवेदकों के लिए एक लाख डालर फीस का नियम लागू रहेगा। भारतीय मूल के आवेदकों की संख्या सबसे अधिक होने के कारण यह नीति भारतीय पेशेवरों पर सीधा प्रभाव डाल सकती है।

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