'युद्ध में कहीं टिक नहीं पाया पाकिस्तान', अमेरिका ने भी माना भारत की आत्मनिर्भरता का लोहा; सेना की ताकत पर कही ये बात
अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में न केवल सीमा पार आतंकवाद को नष्ट किया बल्कि अपनी रक्षा तकनीक का प्रदर्शन भी किया। यह अभियान भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा उत्पादन क्षमता का प्रमाण था। भारत ने दिखाया कि कैसे उसने स्वदेशी हथियारों से पाकिस्तान को हराया जो चीनी हथियारों पर निर्भर था।

आइएएनएस, वॉशिंगटन। एक प्रमुख अमेरिकी रक्षा विश्लेषक ने गुरुवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत न केवल सीमा पार आतंक नेटवर्क को ध्वस्त करने में सफल रहा, बल्कि अपनी रक्षा तकनीक का लोहा भी मनवाया।
इंडियाज ऑपरेशन सिंदूर : ए बैटलफील्ड वर्डिक्ट ऑन चाइनीज ओपन एंड इंडियाज विक्ट्री शीर्षक से जारी विश्लेषण में जान स्पेंसर ने कहा कि आपरेशन सिंदूर केवल सैन्य अभियान नहीं, बल्कि प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन, एक बाजार संकेत और रणनीतिक खाका था। भारत ने दुनिया को दिखाया कि आधुनिक युद्ध में आत्मनिर्भरता कैसी होती है और यह साबित किया कि आत्मनिर्भर भारत मुश्किल के समय में भी सफल है।
भारत की संप्रभु के सामने टिक नहीं पाया पाकिस्तान: अमेरिका
मॉडर्न वॉर इंस्टीट्यूट में शहरी युद्ध अध्ययन के अध्यक्ष और परियोजना के सह-निदेशक स्पेंसर ने कहा कि आपरेशन सिंदूर ने भारत के स्वदेशी विकसित हथियार प्रणालियों को पाकिस्तान द्वारा तैनात चीन से आयातित प्लेटफॉर्मों के खिलाफ खड़ा किया।
जो कुछ हुआ वह केवल प्रतिशोध नहीं था, बल्कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के तहत निर्मित एक संप्रभु शस्त्रागार का रणनीतिक पदार्पण था। पाकिस्तान की दूसरे देश पर निर्भरता ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की संप्रभु शक्ति के मुकाबले टिक नहीं सकी।
भारत ने एक संप्रभु शक्ति के रूप में युद्ध लड़ा, जिसमें उसने अपने द्वारा डिजाइन, निर्मित और तैनात सटीक हथियारों का युद्धक्षेत्र में बेजोड़ प्रयोग किया। पाकिस्तान चीनी हथियारों पर निर्भर था, जो निर्यात के लिए बनाए गए थे, न कि उत्कृष्टता के लिए। चुनौती दिए जाने पर ये प्रणालियां विफल हो गईं। इससे इस्लामाबाद की रक्षा स्थिति का खोखलापन उजागर हुआ।
आधुनिक रक्षा शक्ति में परिवर्तन 2014 में शुरू हुआ
अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञस्पेंसर ने कहा कि भारत का आधुनिक रक्षा शक्ति में परिवर्तन 2014 में शुरू हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेक इन इंडिया पहल की शुरुआत की। लक्ष्य स्पष्ट था कि विदेशी हथियार आयात पर निर्भरता को कम करना और एक विश्वस्तरीय घरेलू रक्षा उद्योग का निर्माण करना।
नीति ने संयुक्त उद्यमों को प्रोत्साहित किया। रक्षा क्षेत्र में 74 प्रतिशत तक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को खोला और सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के निर्माताओं को घरेलू स्तर पर उन्नत सैन्य हथियार और अन्य सामान बनाने के लिए प्रेरित किया।
पीएम मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी और चीन के साथ गलवन घाटी में हुई झड़प के बाद भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति महज एक आर्थिक नीति न रहकर एक राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत बन गई।
भारत ने प्रमुख रक्षा आयात पर चरणबद्ध प्रतिबंध लगाए, सशस्त्र बलों को आपातकालीन खरीद शक्तियां दीं और स्वदेशी अनुसंधान, डिजाइन और उत्पादन में निवेश किया। 2025 तक भारत ने रक्षा खरीद में घरेलू सामग्री को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया और दशक के अंत तक 90 प्रतिशत का लक्ष्य रखा। स्पेंसर का मानना है कि भारत के नए सिद्धांत का परीक्षण आपरेशन सिंदूर के दौरान किया गया।
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