टेक्सास में बनेगा 37 एकड़ का पहला हिंदू युवा शिविर स्थल, भारतीय-अमेरिकी जोड़े ने दान में दिए 17.5 लाख डॉलर
भारतीय-अमेरिकी कपल ने टेक्सास में पहला हिंदू युवा शिविर स्थल (Hindu youth campsite in Texas) बनाने के लिए 1.75 मिलियन अमेरिकी डॉलर का दान दिया। यह शिविर स्थल टेक्सास के कोलंबस में 37 एकड़ क्षेत्र में बनने जा रहा है। बता दें कि अगले साल तक इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।

पीटीआई, वाशिंगटन। अमेरिका में भारतवंशी दंपती सुभाष गुप्ता और सरोजनी गुप्ता ने टेक्सास में हिंदू युवा शिविर स्थल के निर्माण के लिए 17.5 लाख डालर दान में दिए हैं। सुभाष उत्तर प्रदेश के पिलखुवा के रहने वाले हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस, बेंगलुरु से इंजीनियरिंग करने वाले सुभाष की पत्नी सरोजनी दिल्ली की रहने वाली हैं। टेक्सास में बनने वाले हिंदू युवा शिविर स्थल में युवाओं को असल जिंदगी के उदाहरणों के माध्यम से हिंदू परंपरा, संस्कृति और विरासत की शिक्षा दी जाएगी।
37 एकड़ क्षेत्र में तैयार होगा शिविर स्थल
यह शिविर स्थल टेक्सास के कोलंबस में 37 एकड़ क्षेत्र में बनने जा रहा है। बता दें कि अगले साल तक इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। यहां छह रात और पांच दिन का शिविर आयोजित किया जाएगा। दंपती सुभाष गुप्ता और सरोजिनी गुप्ता का कहना है कि वे शिविर को लेकर बहुत ही उत्सुक हैं, क्योंकि यह युवा पीढ़ी के जीवन में महत्वपूर्ण मूल्यों और जरूरी कौशल को विकसित करने का काम करेगा।
200 लोगों की होगी कैपेसिटी
इस नए कैंपसाइट में केबिन, एक स्विमिंग पूल, एक डाइनिंग हॉल जिसमें 200 लोग बैठ सकेंगे, एक आउटडोर एम्फीथिएटर, कवर्ड बास्केटबॉल कोर्ट और क्लासरूम शामिल होंगे।
1985 में शुरू हुआ था शिविर
समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, यह शिविर 1985 में शुरू हुआ और ऐतिहासिक रूप से विभिन्न शिविर स्थलों पर जैसे मोंटगोमरी में कैंप लैंटर्न क्रीक में आयोजित किया गया है। हालांकि, आयोजकों ने कहा कि ऐसा स्थान ढूंढना कठिन हो गया है जो भाग लेने के इच्छुक 1,200 से अधिक युवाओं को समायोजित कर सके।
कौन है सुभाष और सरोजनी गुप्ता?
2024 तक, दो सप्ताह तक चलने वाले शिविर होंगे। सुभाष ने कहा, उनका अंतिम लक्ष्य सभी इच्छुक लोगों को समायोजित करने के लिए आवश्यकतानुसार अधिक से अधिक शिविर चलाना है। बता दें कि सुभाष और सरोजनी ने 1975 में शादी की थी और 1979 में ह्यूस्टन में बसने तक न्यू जर्सी और एरिजोना में रहे। एक इंजीनियरिंग कंपनी के साथ कुछ वर्ष काम करने के बाद, उन्होंने ह्यूस्टन में एक शोध प्रकाशन कंपनी की स्थापना की।

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