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    India-US Relation: भारत-अमेरिका बढ़ाएंगे हिंद प्रशांत क्षेत्र में द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी

    By Jagran NewsEdited By: Tilakraj
    Updated: Wed, 09 Nov 2022 02:54 PM (IST)

    अमेरिका अब भारत से हर क्षेत्र में बेहतर संबंध बनाने की ओर कदम बढ़ा रहा है। यूक्रेन युद्ध के के बीच अमेरिका यह अहसास दिलाने कोशिश कर रहा है कि रूस के साथ रिश्‍ते रखना किसी भी देश के लिए फायदे का सौदा नहीं होने वाले हैं।

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    भारत और अमेरिका के संबंध इस समय अलग दौर से गुजर रहे हैं।

    वांशिगटन, प्रेट्र। भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने अमेरिकी रक्षा नीति के अंडर सेक्रेटरी कालिन कहल से मुलाकात कर द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने की पहल पर चर्चा की। दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भविष्य को आकार देने में मदद करने की दृष्टि से भारत-अमेरिका प्रमुख रक्षा साझेदारी के महत्व को रेखांकित किया।

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    भारत-अमेरिका संबंध

    क्वात्रा ने इससे पहले सोमवार को अमेरिका के उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन से मुलाकात की और भारत-अमेरिका संबंधों और द्विपक्षीय सुरक्षा व क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीकों, हिंद प्रशांत क्षेत्र और यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा की। एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा गया है कि मंगलवार को बैठक के दौरान कहल और क्वात्रा ने नई दिल्ली में अगली टू-प्लस-टू मंत्रिस्तरीय बैठक से पहले द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने की पहल पर चर्चा की।

    आपसी सुरक्षा हितों से संबंधित विकास पर विचार

    पेंटागन के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल डेविड हेरंडन ने कहा कि दोनों नेताओं ने हिंद महासागगर क्षेत्र और यूरोप सहित आपसी सुरक्षा हितों से संबंधित विकास पर विचारों का आदान प्रदान किया। कालिन कहल ने भारतीय विदेश सचिव से अपनी मुलाकात को द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दृष्टिष्टि से सुखद बताया।

    'रूस ऊर्जा और सुरक्षा सहायता का विश्वसनीय स्रोत नहीं'

    इस बीच अमेरिकी विदेश विभाग के सचिव नेड प्राइज ने कहा कि ऐसे कई देश हैं, जिन्‍हें यह अहसास हो गया है कि मास्को ऊर्जा या सुरक्षा का एक विश्वसनीय स्रोत नहीं है। उन्‍होंने कहा, 'रूस ऊर्जा और सुरक्षा सहायता का विश्वसनीय स्रोत नहीं है। यह न केवल यूक्रेन या क्षेत्र के हित में है कि भारत समय के साथ रूस पर अपनी निर्भरता कम करे। यह भारत के अपने द्विपक्षीय हित में भी है, जो हमने रूस की रणनीति को अब तक जाना है।

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