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    कब तक सिर्फ पांच देश बने रहेंगे 188 देशों की आवाज, UNSC में सुधार के लिए भारत ने उठाया बड़ा सवाल

    Updated: Sat, 17 Feb 2024 11:52 PM (IST)

    सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) में सुधार के लिए भारत ने शुक्रवार को बड़ा सवाल उठाया। कहा क्यों और कितने समय तक महज पांच देश विश्व के 188 देशों की आवाज बने रहेंगे? संयुक्त राष्ट्र के मंच पर यह सवाल भारत की राजदूत रुचिरा काम्बोज ने उठाया। कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार को अब और नहीं टाला जाना चाहिए।

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    संयुक्त राष्ट्र में विस्तार के लिए भारत ने उठाया सवाल। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, संयुक्त राष्ट्र। सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए भारत ने शुक्रवार को बड़ा सवाल उठाया। कहा, क्यों और कितने समय तक महज पांच देश विश्व के 188 देशों की आवाज बने रहेंगे? संयुक्त राष्ट्र के मंच पर यह सवाल भारत की राजदूत रुचिरा काम्बोज ने उठाया।

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    भारत ने उठाया सवाल

    उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार को अब और नहीं टाला जाना चाहिए। इसमें संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के हर वर्ग की आवाज समाहित होनी चाहिए। विदित हो कि भारत सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यता के लिए बड़ा दावेदार है। सुरक्षा परिषद में सुधार पर अंतर-सरकारी चर्चा में काम्बोज ने 15 सदस्यों वाली विश्व इकाई में व्यापक सुधार की जरूरत बताई।

    फिलहाल सुरक्षा परिषद में पांच देश

    बता दें कि इस इकाई (सुरक्षा परिषद) में पांच देश (अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस) स्थायी सदस्य हैं जबकि दस सदस्य अस्थायी होते हैं जिनका कार्यकाल दो वर्ष के लिए होता है। सुरक्षा परिषद का यह ढांचा 1946 में उसके गठन के बाद से ही बरकरार है। भारत और कुछ अन्य देश पिछले कई वर्षों से इसमें सुधार की मांग उठा रहे हैं।

    'शक्ति के आधार पर सुरक्षा परिषद में हिस्सेदारी जरूरी'

    भारतीय राजदूत ने कहा, अब हर देश अपने आकार और शक्ति के आधार पर सुरक्षा परिषद में हिस्सेदारी चाहता है जिससे उसकी आवाज बेहतर तरीके से शीर्ष इकाई तक पहुंच सके। उन्होंने कहा, आखिर कितने समय तक सिर्फ पांच देश 188 सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करते रहेंगे। इस व्यवस्था से विश्व के तमाम मसले दशकों से अनसुलझे हैं।

    इसलिए अब सुरक्षा परिषद के ढांचे में बदलाव होना चाहिए जिससे इसकी भूमिका प्रभावी और सर्व स्वीकार्य बने। काम्बोज ने आगाह किया कि अगर कहीं अन्याय होता है तो उसका दुष्प्रभाव सभी स्थानों पर पड़ता है। इसलिए सुधार को टाला नहीं जाना चाहिए।