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    भारत के सुरक्षा परिषद में शामिल होने से कई क्षेत्रों में होगी प्रगति, जानिए कब से शुरू होगा कार्यकाल

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दो साल के अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत को पिछले महीने ही चुना गया है।

    By Dhyanendra SinghEdited By: Updated: Mon, 06 Jul 2020 06:21 PM (IST)
    भारत के सुरक्षा परिषद में शामिल होने से कई क्षेत्रों में होगी प्रगति, जानिए कब से शुरू होगा कार्यकाल

    संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने एक जिम्मेदार देश की भूमिका निभाई है और सुरक्षा परिषद में उसके शामिल होने से कई क्षेत्रों में प्रगति होगी। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दो साल के अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत को पिछले महीने ही चुना गया है। 192 सदस्य देशों में से 184 ने उसका समर्थन किया था। अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत का कार्यकाल जनवरी 2021 से शुरू होगा। भारत इससे पहले 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 में भी सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना जा चुका है। उसे आखिरी बार 2011-2012 में इस पद के लिए चुना गया था।

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    संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिजानी मुहम्मद बंदे ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारत तकनीक के मामले में, लोगों के मामले में, विचारों के मामले में दुनिया का एक महत्वपूर्ण देश है। चूंकि यह कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों का सदस्य रहा है, इसलिए यह दूसरे संगठनों की संवेदनशीलता को चर्चाओं में ला सकता है। सुरक्षा परिषद में सदस्य के तौर पर भारत से की जाने वाली अपेक्षाओं पर तिजानी मुहम्मद बंदे ने कहा कि भारत ने ना केवल दक्षिण एशिया में बल्कि अन्य जगहों पर भी दूसरे देशों की मदद की है। इसलिए हमें उम्मीद है कि उसके शामिल होने से सतत विकास के मुद्दों पर तेजी से काम हो सकेगा।

    बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 देश हैं। इनमें से पांच (अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन) स्थायी सदस्य हैं। जबकि हर साल संयुक्त राष्ट्र महासभा दो साल के कार्यकाल के लिए पांच अस्थायी सदस्यों (कुल 10 में से) का चुनाव करती है। भारत 2021-22 के कार्यकाल के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र से अस्थायी सीट के लिए एकमात्र उम्मीदवार था। भारत की जीत इसलिए भी सुनिश्चित थी, क्योंकि क्षेत्र की एकमात्र सीट के लिए वह अकेला उम्मीदवार है। नई दिल्ली की उम्मीदवारी का सर्वसम्मति से पिछले साल जून में चीन और पाकिस्तान समेत 55 सदस्यीय एशिया-प्रशांत समूह ने समर्थन किया था।