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    भारत के भूजल में व्यापक मात्रा में घुला है यूरेनियम, 16 राज्यों की स्थिति बेहद खराब

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Sat, 09 Jun 2018 11:17 AM (IST)

    अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अध्ययन के बाद किया दावा, 16 राज्यों की स्थिति बेहद खराब ...और पढ़ें

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    भारत के भूजल में व्यापक मात्रा में घुला है यूरेनियम, 16 राज्यों की स्थिति बेहद खराब

    वाशिंगटन [प्रेट्र]। वैज्ञानिकों ने भारत के 16 राज्यों के भूजल में व्यापक मात्रा में यूरेनियम पाया है, जो देश के लिए डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अस्थायी मानकों से काफी अधिक है। जर्नल एनवायरनमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लेटर्स में प्रकाशित यह निष्कर्ष भारत के भूजल में यूरेनियम की इतनी बड़ी मात्रा को लेकर पहली रिपोर्ट है। अमेरिका के ड्यूक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नए आंकड़ों के आधार पर बताया है कि भारती के भूजल (जो पीने के पानी और सिंचाई का प्राथमिक स्नोत है) में यूरेनियम की मौजूदगी बढ़ रही है।

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    यह दावा उन्होंने भारत के 16 राज्यों के भूजल में यूरेनियम के उपलब्ध आंकड़ों को संकलित करने के बाद किया। इसके अलावा राजस्थान और गुजरात के 324 कुओं से मिले नए आंकड़ों का भी जिक्र किया गया है, जिसमें यूरेनियम की मात्रा डब्ल्यूएचओ द्वारा तय अस्थायी मानकों से काफी अधिक पाई गई है।

    शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि इसके बावजूद बीआइएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) ने पेयजल में जिन दूषित पदार्थों की निगरानी की जानी है, उसकी सूची में यूरेनियम को शामिल नहीं किया गया है। अध्ययन से पता चलता है कि मानव के क्रियाकलापों के चलते भूजल की कमी और नाइट्रेट प्रदूषण खतरनाक स्तरों पर पहले से ही मौजूद प्राकृतिक यूरेनियम के संदूषण को और बढ़ा सकता है।

    कई अध्ययनों ने गुर्दे की पुरानी बीमारी के लिए पीने के पानी में यूरेनियम होने को जिम्मेदार माना है। ड्यूक निकोलस पर्यावरण स्कूल के भूगर्भ विज्ञान और जल गुणवत्ता के प्रोफेसर अवनर वेंगोश ने कहा कि राजस्थान में जिन कुओं का परीक्षण किया गया, उनमें से करीब एक तिहाई में यूरेनियम की मात्रा डब्ल्यूएचओ और अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के मानकों से अधिक है। पिछले अध्ययनों का विश्लेषण करके हमने पाया कि उत्तर पश्चिमी भारत के 26 अन्य जिलों और दक्षिणी या दक्षिणी भारत के नौ जिलों में यूरेनियम के उच्च स्तर के साथ ही भूजल स्तर की भी पड़ताल की।

    उनका यह भी कहना है कि भारत में ज्यादातर जगह भूजल का दोहन किया जा रहा है, जिससे ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया शुरू होती है। यही वजह है कि भूजल में यूरेनियम की मात्रा बढ़ रही है। गौर करने वाली बात यह है कि यूरेनियम का प्राथमिक स्नोत भूगर्भिक (स्वाभाविक रूप से होने वाला) है, लेकिन एंथ्रोपोजेनिक (मानव द्वारा उत्पन्न) कारक जैसे भूजल में कमी और नाइट्रेट प्रदूषण यूरेनियम की मात्रा को और बढ़ा सकते हैं।

    क्या है डब्ल्यूएचओ का मानक

    डब्ल्यूएचओ के मानकों के मुताबिक भारत के लिए प्रति लीटर पानी में यूरेनियम की मात्रा 30 माइक्रोग्राम तय की गई है। यह मात्रा अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के मानकों के अनुरूप है।