'साइप्रस विवाद का समाधान यूएन प्रस्ताव के मुताबिक हो', भारत ने दिया एर्दोगान को कूटनीतिक जवाब
भारत ने तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगान को करारा जवाब दिया है जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में जम्मू-कश्मीर मुद्दा उठाया था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साइप्रस के विदेश मंत्री के साथ बैठक में साइप्रस विवाद का समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के तहत करने की बात कही। भारत साइप्रस के साथ अपने रक्षा और कनेक्टिविटी संबंधों को मजबूत कर रहा है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दो दिन पहले जम्मू व कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठा कर भारत को असहज करने की कोशिश करने वाले तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगान को भारत ने कूटनीतिक जवाब दे दिया है। जिस लहजे में एर्दोगान ने जम्मू व कश्मीर मुद्दे का समाधान संयुक्त राष्ट्र के संबंधित प्रस्तावों को कराने की मांग की थी उसी लहजे में भारत ने साइप्रस विवाद का समाधान भी संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क और संबंधित प्रस्ताव के जरिए कराने की बात की कही है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को अमेरिका में साइप्रस के विदेश मंत्री कौंसटैनटाइनोस कोम्बोस के साथ बैठक की और इसमें भारत के रूख को स्पष्ट किया। साइप्रस के एक हिस्से पर तुर्किये ने वर्ष 1974 से कब्जा कर रखा है और इस बारे में वह संयुक्त राष्ट्र की तरफ से पारित एक प्रस्ताव को भी स्वीकार नहीं करता है।
साइप्रस के साथ संबंधों को प्रगाढ़ कर रहा भारत
अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह देखा सकता है कि जैसे जैसे तुर्किये यह 23 वर्षों बाद किसी भारतीय पीएम की साइप्रस यात्रा थी। मोदी की साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडोलाइड्स के साथ बैठक में साइप्रस पर भारत के रूख को लेकर चर्चा हुई थी हालांकि भारत की तरफ से सार्वजनिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया गया था। लेकिन राष्ट्रपति क्रिस्टोडोलाइड्स ने कहा था कि साइप्रस पर पीएम मोदी के रुख का वह स्वागत करते हैं। उन्होंने तुर्की के कब्जे में लिये गये साइप्रस के क्षेत्र के साइप्रस के साथ मिलाने पर भी भारत के स्टैंड पर भी धन्यवाद कहा था। भारत साइप्रस के साथ रक्षा व कनेक्टिविटी संबंधो को प्रगाढ़ कर रहा है। दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंध स्थापित किये गये हैं।
जयशंकर ने क्या कहा?
बहरहाल, साइप्रस के विदेश मंत्री के साथ बैठक के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि, “पीएम मोदी की यात्रा के बाद भारत व साइप्रस के द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की हमने समीक्षा की है। साइप्रस के सवाल पर हमने अपना समर्थन दोहराया है ताकि इसका स्थाई समाधान संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क या इसके संबंधित प्रस्ताव के मुताबिक हो।''
बाद में विदेश मंत्री कोम्बोस ने भी अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक मुद्दों पर समर्थन के लिए भारत को धन्यवाद दिया है। कोम्बोस जल्द ही भारत आने वाले हैं।
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