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    दुनिया को लोन देने वाले IMF के पास कहां से आता है पैसा? पकिस्तान नहीं, इस देश पर है सबसे अधिक कर्ज

    अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) इन दिनों चर्चा में है। पाकिस्तान को कर्ज देने के बाद आईएमएफ को चिंता है कि कहीं ये पैसा डूब न जाए। आईएमएफ अपने सदस्य देशों से फीस और कर्ज पर ब्याज के माध्यम से धन प्राप्त करता है। किसी देश को कर्ज देने से पहले आईएमएफ उसकी आर्थिक स्थिति का आकलन करता है और कुछ शर्तें भी लागू करता है।

    By Digital Desk Edited By: Piyush Kumar Updated: Sun, 18 May 2025 05:40 PM (IST)
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    IMF: पढ़ें आईएमएफ किस तरह काम करता है और कैसे किसी देश को लोन कैसे देता है।(फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी (Internation Monetary Fund) आईएमएफ इन दिनों चर्चा में हैं। हाल ही में संगठन ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का कर्ज दिया था। वहीं, अब आईएमएफ को डर सताने लगा है कि कहीं कंगाल पाकिस्तान को दिए पैसे डूब न जाएं, इसके लिए संस्थान ने एक बड़ा फैसला किया है।

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    आईएमएफ ने कहा कि पाकिस्तान के लिए अपने राहत कार्यक्रम की अगली किस्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें लागू की हैं।

    आइए पढ़ें कि आखिर दुनिया को कर्ज देने वाले आईएमएफ के पास पैसे आते कहां से हैं। वहीं, किसी देश को लोन मिलता कैसे है?

    IMF के पास कहां से आता है पैसा?

    आईएमएफ (IMF) में 191 सदस्य देश शामिल हैं। वो अपने सदस्य देशों को सतत विकास और समृद्धि के लिए वित्तीय मदद करता है। यह संगठन का मुख्य एजेंडा भी है। संगठन अपने सदस्य देशों से उनकी क्षमता के मुताबिक, तय फीस लेता है। देश की आर्थिक स्थिति, जीडीपी और विदेश व्यापार के मद्देनजर संगठन सदस्य देशों से फीस लेता है।

    अगर किसी देश को इस संगठन का हिस्सा बनना है तो उस देश को फीस देना ही होगा। वहीं, कर्ज पर मिलने वाली ब्याज संगठन की कमाई है। हालांकि, जरूरत पड़ने पर आईएमएफ ने फंड एकत्र करने के लिए कुछ और भी उपाय कर रखे हैं।

    आईएमएफ खुद भी कर्ज ले सकता है। संगठन, अमेरिका, जापान, जर्मनी जैसे विकसित देशों से कर्ज लेता है। वहीं, वो सदस्य से भी लोन ले सकता है।

    अब ये जान लें कि IMF किसी देश को कर्ज देता कैसे है।

    अगर किसी देश को पैसों की जरूरत है तो वो आईएमएफ से फंड का अनुरोध करता है। इसके बाद आईएमएफ कर्मचारी उस देश की सरकार के साथ आर्थिक और वित्तीय स्थिति और वित्तपोषण आवश्यकताओं पर चर्चा करते हैं। वहीं, आईएमएफ उस देश पर कुछ शर्तें भी लागू कर सकता है। देश की सरकार को आईएमएफ की नीतियों पर सहमत होना जरूरी है।

    एक बार जब शर्तों पर सहमति बन जाती है तो इसके बाद आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड को मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) पेश किया जाता है। कार्यकारी बोर्ड को एग्रीमेंट की विस्तार से जानकारी दी जाती है।

    बोर्ड द्वारा कर्ज को मंजूरी मिलने के बाद आईएमएफ इस बात की निगरानी करता है कि सदस्य देश पॉलिसी को लागू करता है या नहीं। किसी देश की आर्थिक और वित्तीय स्थिति में वापसी यह तय करती है कि आईएमएफ फंडों का पुनर्भुगतान किया जाए या नहीं।

    आईएमएफ और विश्व बैंक में क्या अंतर है?

    दरअसल, विश्व बैंक नीति सुधार कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिए लोन देता है, जबकि आईएमएफ सिर्फ नीति सुधार कार्यक्रमों के लिए लोन देता है। सबसे बड़ा अंतर है कि विश्व बैंक केवल विकासशील देशों को कर्ज देता है, जबकि आईएमएफ गरीब देशों के साथ-साथ विकासशील देशों को फंडिंग कर सकते हैं।

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