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    क्‍या डॉलर का घटेगा दबदबा, BRICS ने कैसे बढ़ाई ट्रंप की टेंशन; अमेरिका की चेतावनी कितनी गंभीर?

    Updated: Sun, 02 Feb 2025 12:07 PM (IST)

    Donald Trump Warns BRICS 100 percent Tariff राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS देशों को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने अमेरिकी डॉलर की जगह कोई वैकल्पिक करेंसी बनाई तो 100% टैक्स लगेगा और वे अमेरिकी बाजार से बाहर हो जाएंगे। अब सवाल ये है कि आखिर ट्रंप ब्रिक्‍स की करेंसी को लेकर इतनी टेंशन में क्‍यों हैं इसका डॉलर पर क्‍या असर पड़ेगा ट्रंप की चेतावनी कितनी गंभीर है?

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    BRICS की करेंसी का डॉलर पर क्‍या पड़ेगा असर। जागरण ग्राफिक्‍स टीम

    डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप भारत और चीन समेत तमाम देशों को लगातार निशाना बना रहे हैं। डोनाल्‍ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत समेत सभी ब्रिक्‍स देशों का चेतावनी दी है कि अगर अमेरिकी डॉलर की जगह किसी वैकल्पिक करेंसी में लेन-देन करने की कोशिश की तो उन पर 100 प्रतिशत का टैक्स लगेगा। ऐसा करने वाले अमेरिकी बाजार से बाहर हो जाएंगे।

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    राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप सोशल मीडिया पर लिखा था,

    '' अगर ब्रिक्‍स देशों ने डॉलर की जगह कोई वैकल्पिक करेंसी बनाने की कोशिश की तो उन्‍हें 100 फीसदी तक टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा करने वाले अमेरिकी बाजार से भी बाहर हो जाएंगे। फिर वे किसी दूसरे बेवकूफ देश को ढूंढ सकते हैं। अब मैं यह बर्दाश्त नहीं करूंगा कि कोई देश डॉलर को कमजोर करने की कोशिश करे। इसलिए जरूरी है कि ऐसे देश वादा करें कि न वे  ब्रिक्‍स करेंसी बनाएंगे और न अन्‍य करेंसी को डॉलर की जगह लेन-देन में इस्तेमाल करेंगे। अगर ऐसा होता है तो अमेरिका को अलविदा कहना होगा।''

    बता दें कि इससे पहले राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने दिसंबर 2024 में भी डॉलर की जगह किसी दूसरी करेंसी का विकल्प चुनने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी।

    विदेश मंत्री ने किया स्पष्ट

    विदेश मंत्री एस. जयशंकर स्पष्ट कर  चुके हैं कि भारत अमेरिकी डॉलर को बदलने का समर्थन नहीं करता। न ही इसके पक्ष में है। भारत केवल अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए वैकल्पिक उपाय तलाश रहा है।

    ब्रिक्‍स कितना ताकतवर है?

    BRICS यानी ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और  साउथ अफ्रीका। हालांकि, अब इस समूह में मिस इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और यूएई भी शामिल हो गए हैं। साल 2024 में हुए ब्रिक्‍स सम्‍मेलन में 13 अन्य देश भी इसमें अस्‍थायी सदस्‍य बन गए हैं।

    ब्रिक्स देश क्या चाहते हैं?

    ब्रिक्स देश डॉलर पर निर्भरता कम करना चाहते हैं। साल 2023 की बात है। ब्रिक्‍स सम्‍मेलन में रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने कहा था कि अब हमको राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाना चाहिए। साल 2024 में भी इसका समर्थन किया था।

    कितना मजबूत है डॉलर?

    फेड रिजर्व की रिपोर्ट की मानें तो अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 96 प्रतिशत, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 74 प्रतिशत और बाकी दुनिया में 79 प्रतिशत डॉलर का इस्‍तेमाल होता है। दुनिया का कुल 88 प्रतिशत व्यापार डॉलर में हो रहा है।

    यह भी पढ़ें- ब्रिक्स देशों को ट्रंप ने फिर दी चेतावनी, बोले- डॉलर को किसी दूसरी मुद्रा से स्थानांतरित किया तो अच्छा नहीं होगा

    ट्रंप क्‍यों टेंशन में, क्या है विरोध का मुद्दा?

    दरअसल, साल 2023 के पहले तक 100 फीसदी तेल व्यापार डॉलर में होता था, लेकिन अब यह घटकर 80 प्रतिशत रह गया है। तेल व्यापार में डॉलर घटकर 80 प्रतिशत होने की वजह है- चीन और रूस पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध।

    अमेरिकी प्रतिबंध के चलते दोनों देश अपनी मुद्रा में भी अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार कर रहे हैं। दोनों देश ब्रिक्‍स का हिस्‍सा हैं। यही वजह है कि ब्रिक्‍स की अपनी करेंसी हो, इसकी परिकल्पना की जा रही है ताकि अमेरिका पर दबाव पड़े।

    डोनाल्‍ड ट्रंप जानते हैं कि अगर ब्रिक्‍स देश किसी वैकल्पिक करेंसी को चुनते हैं तो डॉलर इस्तेमाल में भयंकर गिरावट आ सकती है।

    ट्रंप की धमकी कितनी सीरियस?

    अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का वादा कर सत्ता में लौटे हैं। ऐसे में ट्रंप डॉलर की ताकत बरकरार रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। मैक्सिको पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाकर वे इसकी शुरुआत कर रहे हैं।

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