स्किन सेल से वैज्ञानिकों ने बनाए मानव अंडाणु, संतानहीनता के इलाज में मिल सकती है नई दिशा
अमेरिका के पोर्टलैंड में ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने त्वचा कोशिकाओं का उपयोग करके मानव अंडाणु बनाए हैं। उनका मानना है कि यह विधि बांझपन का इलाज बन सकती है लेकिन इसके लिए अभी एक दशक तक शोध की आवश्यकता है। नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यह लैब एक्सपेरिमेंट है। वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया में सुरक्षा संबंधी गंभीर चिंताएं हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के पोर्टलैंड स्थित ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों ने त्वचा कोशिकाओं (स्किन सेल) का उपयोग करके मानव अंडाणु बनाए हैं। उनका मानना है कि यह विधि एक दिन बांझपन का इलाज बन सकती है, मगर इसके लिए अभी कम से कम एक दशक तक और शोध की आवश्यकता है। यह प्रक्रिया संतान प्राप्ति में उस बाधा को दूर करती है जिसने पिछले प्रयासों को बाधित किया था। हालांकि, इस उपलब्धि के बावजूद सुरक्षा संबंधी गंभीर चिंताएं बनी हुई हैं।
'नेचर कम्युनिकेशंस' पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, यह अभी शुरुआती लैब एक्सपेरिमेंट है। इसके अनुसार मानव त्वचा कोशिकाओं का उपयोग एक दिन क्रियाशील मानव अंडाणु बनाने के लिए किया जा सकता है जो महिलाओं को अपने आनुवंशिक बच्चे पैदा करने में मदद करेगा जब उनके प्राकृतिक अंडाणु अक्रियाशील न हों। विज्ञानियों ने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया में अभी सुरक्षा संबंधी गंभीर चिंताएं हैं।
चिकित्सीय स्थितियों के कारण अपने अंडाणुओं का उपयोग नहीं कर पाते
इस प्रक्रिया में महिला की त्वचा की कोशिका से केंद्रक (न्यूक्लियस) को निकालना और उसे किसी अंडाणु या अंडकोशिका में डालना शामिल है। ब्रिटेन के साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी के प्रजनन चिकित्सा विशेषज्ञ यिंग चेओंग ने एक बयान में कहा कि डॉक्टरों को ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती हुई दिखाई दे रही है जो अक्सर बढ़ती उम्र या किसी चिकित्सीय स्थितियों के कारण अपने अंडाणुओं का उपयोग नहीं कर पाते।
शुक्राणु जैसी कोशिकाएं बनाने का द्वार खुलेगा
चेओंग ने कहा, ''हालांकि यह अभी भी प्रयोगशाला में बहुत प्रारंभिक कार्य है, मगर भविष्य में यह बांझपन और गर्भपात को समझने के हमारे तरीके को बदल सकता है। शायद यह एक दिन उन लोगों के लिए अंडाणु या शुक्राणु जैसी कोशिकाएं बनाने का द्वार खोल सकता है जिनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है।''
ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी में सेंटर फार एम्बि्रयोनिक सेल एंड जीन थेरेपी के विज्ञानी एस. मितालिपोव ने एक बयान में कहा, ''हमने वह हासिल किया है जिसे असंभव माना जाता था। प्रकृति ने हमें कोशिका विभाजन के दो तरीके दिए हैं, और हमने अभी-अभी एक तीसरा विकसित किया है।''
82 क्रियाशील संविर्द्धत अंडाणुओं का निषेचन
एक प्रयोग में शोधकर्ताओं ने शुक्राणु का उपयोग करके टेस्ट टूयब में 82 क्रियाशील संविर्द्धत अंडाणुओं का निषेचन किया। केवल लगभग नौ प्रतिशत निषेचित अंडे ही भ्रूण विकास के ब्लास्टोसिस्ट चरण तक विकसित हुए, वह बिंदु जहां 70 से 200 कोशिकाओं वाले भ्रूण इन-विट्रो निषेचन उपचारों के दौरान गर्भाशय में स्थानांतरित किए जाते हैं। इस बिंदु से आगे किसी भी ब्लास्टोसिस्ट का संवर्धन नहीं किया गया।
ब्लास्टोसिस्ट एक निषेचित अंडे से बनने वाली प्रारंभिक भ्रूण संरचना है, जिसमें लगभग 200 कोशिकाओं का एक समूह होता है। ब्रिटेन के यूनवर्सिटी आफ हल में प्रजनन चिकित्सा विशेषज्ञ रोजर स्टर्मी ने एक बयान में, चूंकि इस शोध में सफलता दर कम थी, इसलिए ''इसका नैदानिक उपयोग करने की संभावना अभी भी दूर है।''
(समाचार एजेंसी रॉयटर्स के इनपुट के साथ)
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