H1B Visa: ट्रंप के टैरिफ के बाद एक और बम, खत्म होगा H-1B वीजा? 'ग्रीन कार्ड प्रोग्राम' में बदलाव की तैयारी
ट्रंप सरकार द्वारा भारतीय आयात पर शुल्क लगाने के बाद एच-1बी वीजा को लेकर दबाव बढ़ रहा है। रिपब्लिकन नेता एच-1बी वीजा व्यवस्था समाप्त करने की मांग कर रहे हैं जिससे भारतीय आईटी क्षेत्र और अमेरिकी कंपनियों को नुकसान हो सकता है। वाणिज्य सचिव लुटनिक ने वीजा को खराब बताया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 27 अगस्त को भारतीय आयात पर 50 फीसद का ऐतिहासिक शुल्क लगाने के बाद ट्रंप सरकार भारत पर और दबाव बनाने को लेकर अब एच-1बी वीजा के मामले को तूल देने का संकेत दे रही है।
पिछले 48 घंटों के दौरान में ना सिर्फ ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी बल्कि रिपब्लिकन पार्टी के कुछ बड़े नेता और समर्थकों की तरफ से एच-1बी वीजा की मौजूदा व्यवस्था को समाप्त करने की मांग उठ रही है।
किसे मिलता है H-1B वीजा?
एच-1बी वीजा अमेरिकी सरकार बेहद खास तौर पर प्रशिक्षित विदेशी नागरिकों को देती है। पिछले कुछ वर्षों का रिकॉर्ड बताता है कि अमेरिकी सरकार की तरफ से इस श्रेणी के वीजा का 73-78 फीसद तक भारतीय पेशवरों को मिलता है।
अगर ट्रंप सरकार इस बारे में कदम उठाती है तो यह भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के साथ ही अमेरिकी कंपनियों के लिए भी एक बड़ा धक्का होगा। अमेरिका के वाणिज्य सचिव होवार्ड लुटनिक ने अमेरिकी टीवी चैनल फॉक्स न्यूज को कहा है कि, “एच-1बी वीजा बहुत ही खराब है। हम इसको बदलने जा रहे हैं। हम ग्रीन कार्ड प्रोग्राम को भी बदलने जा रहे हैं।''
लुटनिक ने यह भी कहा कि इसके लिए जो टीम नीतियां बना रही हैं, वह उसके सदस्य हैं। लुटनिक की अगुवाई में ही शुल्क मुद्दे को सुलझाने के लिए भारतीय टीम के साथ बातचीत की गई थी, जिसका कुछ नतीजा नहीं निकला था। फॉक्स न्यूज ने इस कार्यक्रम का नाम ही रखा था 'एच-1बी वीजा प्रोग्राम एक धोखाधड़ी है।
H-1B वीजा के खिलाफ उठी मांग
इस कार्यक्रम में फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसैंटिस ने कहा है कि, “एक तरफ जहां कंपनियां नौकरियों से अमेरिकी नागरिकों को निकाल रही हैं वहीं दूसरी तरह एच-1बी वीजा धारकों का कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है। यह सही नीति नहीं है। इससे सिर्फ कुछ कंपनियों और एक देश (भारत) को फायदा हो रहा है। हम विदेशी कामगारों को आयात क्यों कर रहे हैं जबकि हमारे नागरिक हैं जो काम कर सकते हैं।''
अमेरिका में यह पहला मौका नहीं है जब एच-1बी प्रोग्राम के खिलाफ मांग उठी है। वर्ष 2018 में अपने पहले कार्यकाल में भी राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी नौकरियों को सुरक्षा देने के उद्देश्य से एक विधेयक तैयार किया था जिसका उद्देश्य एच-1बी प्रोग्राम को हतोत्साहित करना था।
हालांकि उस विधेयक को बाद में आगे नहीं बढ़ाया गया। इसी तरह से पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में भी विदेशी नागरिकों की जगह अमेरिकी नागरिकों को नौकरियों में वरीयता देने संबंधी विधेयक का प्रस्ताव तैयार किया गया था। जब भी ऐसी कोशिश हुई है भारत सरकार व इस प्रोग्राम का फायदा उठाने वाली भारतीय व अमेरिकी कंपनियों ने इसका विरोध किया है।
इससे दोनों देशों को होता है फायदा
आधिकारिक तौर पर भारतीय विदेश मंत्रालय का इस मामले में यह रुख है कि इससे दोनों देशों को फायदा होता है। इस मुद्दे को भारत ने कई बार द्विपक्षीय वार्ताओ में उठाया भी है। भारत यह मानता है कि दोनों देशों के रिश्तों में कुशल प्रशिक्षित पेशेवरों को काम करने की आजादी देना एक अहम पहलू है। अमेरिकी सरकार के आंकड़ें बताते हैं कि वर्ष 2022-23 में अमेरिका ने कुल 2,65,777 एच-1बी वीजा दिया था जिसमें 78 फीसद (2,07,306) भारतीयों को दिए गए थे।
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