एच1बी वीजा शुल्क बढ़ने से अमेरिकी स्टार्टअप और नवाचार पर अधिक असर पड़ेगा, यूएस कंपनियों की बढ़ी चिंता
यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआइएसपीएफ) के अध्यक्ष और सीईओ मुकेश अघी ने कहा कि अमेरिका की ओर से घोषित एच1बी वीजा शुल्क वृद्धि भारत के आइटी सेवा निर्यात की तुलना में अमेरिकी स्टार्टअप और नवाचार को अधिक प्रभावित करेगी। उन्होंने कहा कि यह कदम वास्तव में भारत के पक्ष में काम कर सकता है। गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने एच1बी वीजा शुल्क को एक लाख डॉलर कर दिया है।

एएनआई, न्यूयॉर्क। यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआइएसपीएफ) के अध्यक्ष और सीईओ मुकेश अघी ने कहा कि अमेरिका की ओर से घोषित एच1बी वीजा शुल्क वृद्धि भारत के आइटी सेवा निर्यात की तुलना में अमेरिकी स्टार्टअप और नवाचार को अधिक प्रभावित करेगी।
ट्रंप प्रशासन ने एच1बी वीजा शुल्क बढ़ाया है
उन्होंने कहा कि यह कदम वास्तव में भारत के पक्ष में काम कर सकता है। गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने एच1बी वीजा शुल्क को एक लाख डॉलर कर दिया है। उन्होंने कहा, ''यह भारत के पक्ष में है, क्योंकि अमेरिकी दृष्टिकोण से एच1बी का किसी न किसी रूप में दुरुपयोग हो रहा था और वे उच्च-गुणवत्ता वाले लोगों को अमेरिका लाना चाहेंगे।
इसका मतलब है कि एच1बी पर अमेरिका आने वाले भारतीय कर्मचारियों को कहीं अधिक बेहतर पैकेज मिलेगा। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कम महत्व वाले कार्य भारत स्थानांतरित हो जाएंगे। हालांकि, एच1बी को लेकर काफी चर्चा है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था और उसके आइटी सेवा निर्यात पर इसका प्रभाव न्यूनतम होगा।
अमेरिका में नवाचारों और स्टार्टअप पर प्रभाव पड़ेगा
इसका अमेरिका में नवाचारों और स्टार्टअप पर प्रभाव पड़ेगा। भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ पर अघी ने कहा कि व्यापार चुनौतियों के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापक संबंध आगे बढ़ते रहेंगे।
वहीं, आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) अमेरिका के कार्यकारी निदेशक ध्रुव जयशंकर ने कहा कि वीजा शुल्क में बढ़ोतरी के बाद भारतीय और अमेरिकी दोनों कंपनियों ने कुशल प्रतिभाओं की पर्याप्त उपलब्धता पर ¨चता व्यक्त की है।
उन्होंने कहा, ''भारत इस तथ्य से अवगत है कि किसी भी देश के लिए इमिग्रेशन व्यवस्था एक संप्रभु मामला है, जिसमें भारत भी शामिल है। इस लिहाज से अपनी वीजा नीतियों को तैयार करना वास्तव में प्रत्येक सरकार पर निर्भर है।''
उद्योग जगत ने इस बारे में कुछ चिंताएं जताई हैं कि क्या उन्हें नौकरियों के लिए पर्याप्त प्रतिभाएं मिल पा रही हैं, जिनमें भारत स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनियां और अमेरिकी कंपनियां भी शामिल हैं।
एच-1बी वीजा विवाद के बीच जर्मन राजदूत ने कहा, भारतीयों का स्वागत
अमेरिकी एच-1बी वीजा विवाद के बीच जर्मनी ने उच्च कुशल भारतीय पेशेवरों को अपने यहां आमंत्रित किया है। भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने बुधवार को कहा कि उनके देश में भारतीयों का स्वागत है। आइटी, प्रबंधन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीयों के लिए बेहतरीन रोजगार के अवसर हैं। प्रवासियों को लेकर उनके देश की नीति स्थिर है।
उन्होंने यह बात अमेरिका का नाम लिए बगैर कही। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा नियमों को कड़ा कर दिया है। वीजा आवेदन के लिए अब सालाना एक लाख डालर का भुगतान करना होगा। इससे भारतीय पेशेवर ज्यादा प्रभावित होंगे।
एकरमैन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'जर्मनी में काम कर रहे भारतीयों के बारे में बात करने का यह एक अच्छा समय है। जर्मनी में भारतीय शीर्ष कमाई करने वालों में शामिल हैं। जर्मनी में काम करने वाले भारतीयों की औसत आय जर्मन लोगों से अधिक है। यह काफी अच्छी खबर है, क्योंकि उच्च वेतन का मतलब है कि भारतीय हमारे समाज और कल्याण में बड़ा योगदान दे रहे हैं।'
उच्च कौशल वाले भारतीयों का जर्मनी में स्वागत है
उन्होंने कहा, 'हम मेहनत में विश्वास करते हैं और हम सर्वश्रेष्ठ लोगों को सर्वश्रेष्ठ नौकरियां देने में विश्वास करते हैं। हमारी प्रवासन नीति कुछ हद तक जर्मन कार की तरह काम करती है। यह विश्वसनीय है। उच्च कौशल वाले भारतीयों का जर्मनी में स्वागत है।'
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