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    'ट्रंप तो अकेले वर्ल्ड कप भी जीता सकते हैं', भारत-पाक सीजफायर पर झूठ बोलकर अपने ही देश में घिरे US राष्ट्रपति

    Updated: Wed, 14 May 2025 11:47 PM (IST)

    पेंटागन के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ अधिकारी माइकल रुबिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप को हर चीज का श्रेय लेना पसंद है। अगर आप डोनाल्ड ट्रंप से पूछें तो वे अकेले ही विश्व कप भी जीत सकते हैं गए। उन्होंने इंटरनेट का आविष्कार किया। उन्होंने कैंसर का इलाज किया।

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    अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ अधिकारी माइकल रुबिन ने ट्रंप पर साधा निशाना।(फाइल फोटो)

    एएनआई, नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार बड़े दावे कर रहे हैं। ट्रंप ने दावा किया कि ट्रेड रोकने की चेतावनी देकर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने में मदद की थी। हालांकि, भारत ने ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया है।

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    इसी बीच पेंटागन के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ अधिकारी माइकल रुबिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर निशाना साधा।

    उन्होंने कहा, "डोनाल्ड ट्रंप को हर चीज का श्रेय लेना पसंद है। अगर आप डोनाल्ड ट्रंप से पूछें, तो वे अकेले ही विश्व कप भी जीत सकते हैं गए। उन्होंने इंटरनेट का आविष्कार किया। उन्होंने कैंसर का इलाज किया। भारत को ट्रंप की बातों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं।

    सैन्य संघर्ष में पाकिस्तान को मिली शिकस्त: माइकल रुबिन

    माइकल रुबिन ने आगे कहा, "पाकिस्तान युद्ध विराम हासिल करने की कोशिश में एक डरे हुए कुत्ते की तरह भागा-भागा फिर रहा था, जिसकी दुम पैरों के बीच दबी हुई थी। पाकिस्तानी सेना के पास इस बात को छिपाने के लिए कोई भी तरीका नहीं है कि क्या हुआ, ताकि वे इस सच्चाई से खुद को बचा सकें कि वे न केवल हारे, बल्कि बहुत बुरी तरह हारे।

    उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तानी सेना के भीतर एक समस्या है, क्योंकि यह पाकिस्तानी समाज के लिए एक कैंसर है क्या असीम मुनीर अपनी नौकरी बचा पाएंगे? मूल रूप से पाकिस्तान को घर को साफ करने की जरूरत है।

    'आतंकवादी और ISI या पाकिस्तानी सेना में कोई अंतर नहीं'

    माइकल रुबिन ने कहा,"भारत ने कूटनीतिक और सैन्य दोनों ही तरह से यह जीत हासिल की है। भारत की कूटनीतिक जीत का कारण यह है कि अब सारा ध्यान पाकिस्तान के आतंकवादी प्रायोजन पर है। जिस तरह पाकिस्तान सेना के अधिकारी आतंकियों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। वो इस बात को दर्शाता है कि आतंकवादी और ISI या पाकिस्तानी सेना में कोई अंतर नहीं है।

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