इस CIA जासूस को क्यों कहा गया 'Mad Dog'? पूर्व पाक परमाणु वैज्ञानिक को बताए थे मौत का सौदागर
पूर्व सीआईए अधिकारी जेम्स लॉलर ने बताया कि कैसे ए.क्यू. खान के परमाणु तस्करी नेटवर्क को ध्वस्त किया गया। उन्होंने खुलासा किया कि खान को 'मौत का सौदागर' क्यों कहा गया। लॉलर ने बताया कि खान पाकिस्तानी जनरलों और नेताओं को वेतन पर रखते थे। उन्होंने अपने गुप्त अभियानों और 'मैड डॉग' उपनाम के पीछे की कहानी भी साझा की।
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प्रसिद्ध पूर्व सीआईए अधिकारी जेम्स लॉलर। (फोटो- एएनआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रसिद्ध पूर्व सीआईए अधिकारी जेम्स लॉलर ने अपने पुराने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि कैसे उनका उपनाम मैड डॉक पड़ा। वहीं, उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तानी वैज्ञानिक ए.क्यू. खान क्यों मौत का सौदागर कहना शुरू किया।
दरअसल, समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, उन्होंने अपने पुराने अनुभवों पर प्रकाश डाला। बता दें कि जेम्स लॉलर को ए.क्यू. खान के परमाणु तस्करी नेटवर्क को ध्वस्त करने का श्रेय दिया जाता है।
साक्षात्कार के दौरान उन्होंने पाकिस्तानी वैज्ञानिक से जुड़े वैश्विक परमाणु तस्करी नेटवर्क को उजागर करने और उसे नष्ट करने में अपनी भूमिका का विस्तार से उल्लेख किया।
पाकिस्तानी वैज्ञानिक की गंदी हरकतों के बारे में चल गया था पता
जेम्स लॉलर ने बताया कि पाकिस्तान के परमाणु जनक अब्दुल कादिर खान के तस्करी रिंग के बारे में पता चल गया था। हालांकि, इसपर किसी को विश्वास नहीं हुआ। बाद में कुछ गुप्त प्रयासों ने अंततः ए.क्यू. खान के परमाणु प्रसार नेटवर्क को अपनी गिरफ्त में ले लिया। इसके बाद इस पूरे मामले में टर्निंग प्वाइंट उस वक्त आया, जब यूएस गुप्तचर एजेंसी ने पाकिस्तान के नेताओं को खान की हरकत से जुड़े पक्के सुबूत थमाए।
इस मिशन को लीड करने वाले लॉलर ने बताया कि सीआई चीफ जॉर्ज टेनेट ने मुशर्रफ से साफ कहा था कि खान लीबिया और शायद दूसरे देशों को पाक के न्यूक्लियर सीक्रेट्स लीक कर रहा है। जैसे ही ये बात मुशर्फ ने सुनी उनका गुस्सा उबल पड़ा।
पाक वैज्ञानिक को क्यों दिया मौत का सौदागर नाम?
अपने मिशन के बारे में बताते हुए लॉरल कहते हैं कि हम बहुत धीमे थे। हमें लगा कि यह गंभीर बात है कि वह पाकिस्तान को सप्लाई कर रहा है, लेकिन हमने यह नहीं सोचा था कि वह पलटकर बाहरी प्रसारक बन जाएगा। इसके बाद मैंने ए.क्यू. खान को 'मौत का सौदागर नाम दिया।
उन्होंने बताया कि कैसे सीआईए ने पुष्टि की थी कि खान का ऑपरेशन कई विदेशी कार्यक्रमों की आपूर्ति कर रहा था। पाकिस्तानी संलिप्तता के बारे में सवालों का जवाब देते हुए, लॉलर ने कहा कि ए.क्यू. खान कुछ पाकिस्तानी जनरलों और नेताओं को वेतन पर रखते थे।
साक्षात्कार के दौरान सीआईए के पूर्व अधिकारी लॉरलर ने खान के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए गुप्त अभियानों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 1990 के दशक में उन्होंने यूरोपीय डिवीजन में कार्यालय का नेतृत्व किया और ईरानी परमाणु कार्यक्रम को भेदने का काम किया।
बताया कि प्रेरणा रूसी खुफिया प्रमुख फेलिक्स डेजरजिंस्की के 'ट्रस्ट' ऑपरेशन से ली गई, इसमें लॉरलर ने कवरत विदेशी इकाइयां स्थापित कीं जो परमाणु तकनीक की आपूर्ति करती प्रतीत होती थीं। उन्होंने कहा कि अगर मैं प्रसार को हराना चाहता हूं, तो मुझे खुद प्रसारक बनना पड़ेगा।
वहीं, इस अपने साक्षात्कार के दौरान खान के नेटवर्क में पाकिस्तानी जनरलों और नेताओं की संलिप्तता पर लॉरल ने कहा कि एक्यू खान ने कुछ पाकिस्तानी जनरलों और नेताओं को अपनी पगार पर रखा था। लॉरल में बताया कि उन्होंने स्पष्ट किया कि यह व्यक्तिगत साजिश थी, न कि आधिकारिक राज्य नीति थी। वहीं, इस पूरे मामले में सऊदी के दबाव को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि काउंटर-प्रोलिफरेशन 1990 में प्राथमिकता बना। 9/11 के बाद लीबिया पर फोकस बढ़ा, जो आतंकवाद प्रायोजक था।
लॉरल का नाम मैड डॉग कैसे पड़ा?
साक्षात्कार के दौरान जेम्स लॉलर ने बताया कि 1980 के अंत में फ्रांस पोस्टिंग के दौरान उनका उपनाम मैड डॉग पड़ा। सुबह दौड़ते हुए एक जर्मन शेफर्ड कुत्ते ने हमला किया। कुत्ते को भगाने के बाद पता चला कि वह रेबीज से ग्रस्त हो सकता है। लॉरल ने मजाक में कहा कि मैंने उन लोगों की सूची बनाई जिन्हें मैं काटूंगा अगर मुझे रेबीज हो गया। यहीं से मेरा उपनाम या निक नेम मैड डॉग पड़ गया।

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