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    अभेद किला था फोर्डो, अमेरिका ने बरसाए 13,600 किलो के कई बम; जानें US ने कैसे दिया इस ऑपरेशन को अंजाम

    इजरायल-ईरान युद्ध के बीच अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला कर उसे ध्वस्त करने का दावा किया। अमेरिका ने समुद्र तट से लगभग 400 मील दूर स्थित पनडुब्बियों से ईरान के परमाणु ठिकानों पर टामहाक क्रूज मिसाइलें भी दागीं। एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि कि फोर्डो पर बी-2 बमवर्षकों द्वारा 13,600 किलो के कई ''बंकर-बस्टर'' बम गिराए। 

    By Jagran News NetworkEdited By: Abhinav Tripathi Updated: Sun, 22 Jun 2025 08:47 PM (IST)
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    अमेरिका ने फोर्डो पर बरसाए 13,600 किलो के कई बम। (फोटो- रॉयटर्स)

    रॉयटर्स, वाशिंगटन। इजरायल-ईरान युद्ध के बीच अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला कर उसे ध्वस्त करने का दावा किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ईरान के इस्फहान, फोर्डो और नतांज परमाणु ठिकानों पर किया गया सटीक हमला सफल रहा।

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    उन्होंने यह भी कहा कि तेहरान के परमाणु कार्यक्रम का मुकुट रत्न, फोर्डो नष्ट हो गया है। एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि कि फोर्डो पर बी-2 बमवर्षकों द्वारा 13,600 किलो के कई ''बंकर-बस्टर'' बम गिराए।

    अमेरिका ने समुद्र तट से लगभग 400 मील दूर स्थित पनडुब्बियों से ईरान के परमाणु ठिकानों पर टामहाक क्रूज मिसाइलें भी दागीं। ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन वायुसेना जनरल डैन केन ने कहा कि रविवार को फोर्डो और एक दूसरे लक्ष्य पर हुए हमले में 14 बमों का इस्तेमाल किया गया। आइए जानने का प्रयास करते हैं कि फोर्डो को ईरान के परमाणु कार्यक्रम का रत्न क्यों कहा जाता है। यह ईरान का अभेद किला क्यों था। इससे नष्ट करने के लिए अमेरिका को 13,600 किलो के बम का इस्तेमाल क्यों करना पड़ा। अमेरिका ने इस अभेद किले और परमाणु ठिकानों को किस तरह ध्वस्त किया।

    खास बात यह है कि जब बी-2 बमवर्षक विमानों ने ईरानी धरती पर 30 हजार पाउंड या 13,600 किलो के बंकर बस्टर बम गिराए तब भी यह रिपोर्ट आ रही थी कि ट्रंप ''अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। ट्रंप ने खुद पोस्ट किया, हमने अपना बहुत सफल हमला पूरा कर लिया है।

    एक पहाड़ के नीचे स्थित था फोर्डो संयंत्र

    • फोर्डो संयंत्र कोम से 30 किमी और तेहरान से 95 किलोमीटर किमी दूर पहाड़ की ढलान पर था। इसे हवाई हमलों से बचाने के लिए डिजाइन किया गया था।
    • इस संयंत्र का निर्माण ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड का‌र्प्स (आइआरजीसी) द्वारा नियंत्रित मिसाइल बेस के हिस्से के रूप में किया गया था।
    • माना जाता है कि 2006 के आसपास ईरान ने गुप्त ''अमाद प्लान'' के तहत फोर्डो का निर्माण शुरू किया, जिसका उद्देश्य परमाणु हथियार विकसित करना था।
    • वर्षों तक, इसका अस्तित्व दुनिया से छिपा रहा। 2009 में, पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने इस संयंत्र का पता लगाया।
    • फोर्डो संयंत्र जमीन से 80 से 300 फीट नीचे था, जिससे यह पारंपरिक बमों और यहां तक कि उन्नत इजरायली हथियारों की पहुंच से बाहर था।
    • यह रूस की एस-300 प्रणाली सहित सतह से हवा में मार करने वाली ईरानी और रूसी मिसाइलों द्वारा भी संरक्षित था।

    चार परमाणु बम बनाने की थी क्षमता

    • विशेषज्ञों के अनुसार, यह हर तीन महीने में अनुमानित 166 किलोग्राम 60 प्रतिशत समृद्ध यूरेनियम का उत्पादन करता था, जो चार परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त हो सकता था।
    • 2015 के परमाणु समझौते (जेसीपीओए) के तहत, फोर्डो को शांतिपूर्ण वैज्ञानिक उपयोग के लिए इस्तेमाल किया जाना था, लेकिन 2018 में अमेरिका द्वारा समझौते से हटने के बाद, ईरान ने फोर्डो में संवर्धन फिर से शुरू किया।
    • इस समय उन्नत आइआर-6 मॉडल सहित लगभग 2,000 सेंट्रीफ्यूज साइट पर चालू था, जो 60 प्रतिशत शुद्धता तक यूरेनियम को समृद्ध कर रहे थे, जो परमाणु हथियार के लिए आवश्यक 90 प्रतिशत सीमा के करीब है।


    तेहरान के साथ सीधे सैन्य संघर्ष में उतरा अमेरिका

    अमेरिका चार दशकों में पहली बार तेहरान के साथ सीधे सैन्य संघर्ष में उतर गया। यह हमला अमेरिकी बी-2 स्पिरिट स्टेल्थ बमवर्षकों द्वारा किया गया था, जो एकमात्र ऐसा विमान है जो 13,600 किलो के बंकर बस्टर जीबीयू-57 ए/बी मैसिव आर्डनेंस पेनेट्रेटर (एमओपी) बम गिरा सकता है। जमीन के अंदर गहराई में जाकर लक्ष्य को भेदने की वजह से इसे बंकर बस्टर बम कहा जाता है।

    केवल अमेरिका के पास है एमओपी बम

    • केवल अमेरिका के पास ही बंकर बस्टर जीबीयू-57 ए/बी मैसिव आर्डनेंस पेनेट्रेटर (एमओपी) बम है जो फोर्डो के कोर तक पहुंचने में सक्षम है।
    • यह बम लगभग 13,600 किलोग्राम का है और इसे कठोर बंकरों और सुरंगों पर हमला करने के लिए तैयार किया गया है। यह बम सतह से लगभग 200 फीट नीचे घुसने में सक्षम है और इसे एक के बाद एक गिराया जा सकता है। यह अमेरिकी शस्त्रागार में सबसे बड़ा पारंपरिक बम है।
    • 20.5-फीट (6.25-मीटर) लंबाई और जीपीएस-निर्देशित सटीक लक्ष्य प्रणाली विशिष्ट भूमिगत केंद्रों के खिलाफ सटीक हमले करने में सक्षम बनाती है।
    • 200 फीट से अधिक गहराई में लक्ष्य को भेदने की इसकी प्रवेश क्षमता इसे दुनिया की सबसे सुरक्षित भूमिगत केंद्रों के खिलाफ प्रभावी बनाती है।


    अमेरिका के सबसे उन्नत सामरिक हथियार प्लेटफार्मों में से एक है बी-2 बमवर्षक

    • बी-2 बहु-भूमिका वाला स्टेल्थ बमवर्षक विमान है। यह हवाई सुरक्षा भेदने और सटीक हमले करने में सक्षम है।
    • बी-2 एक साथ दो जीबीयू-57 बम ले जा सकता है। पारंपरिक रडार पर इसे पकड़ पाना मुश्किल है।
    • इसकी फ्लाइंग विंग डिजाइन, रडार-अब्जार्वेंट मैटेरियल और कम इन्फ्रारेड सिग्नेचर के कारण इसका रडार क्रास सेक्शन एक छोटे पक्षी के बराबर है।
    • यूएस. बी-2 की कीमत लगभग 2.1 अरब प्रति डॉलर है। इसे अब तक का सबसे महंगा सैन्य विमान बताया जाता है।
    • ना‌र्थ्रॉप ग्रुम्मन कारपोरेशन द्वारा निर्मित, अपनी अत्याधुनिक स्टेल्थ तकनीक के साथ, इस बमवर्षक का उत्पादन 1980 के दशक के अंत में शुरू हुआ था।
    • यह विमान बिना ईंधन भरे छह हजार समुद्री मील (11,112 किमी) से अधिक की रेंज में महाद्वीपीय अमेरिकी ठिकानों से वैश्विक हमले करने में सक्षम है।
    • दोबारा ईंधन भरे जाने पर 11,500 मील (18,500 किलोमीटर) तक हमला करने में सक्षम है।
    • यह कुछ ही घंटों में विश्व के किसी भी स्थान पर पहुंच सकता है, जैसा कि मिसौरी से लेकर अफगानिस्तान और लीबिया और अब ईरान तक के मिशनों में अपनी क्षमता को प्रदर्शित किया।
    • 40 हजार पाउंड (18,144 किलोग्राम) से अधिक की इसकी पेलोड क्षमता के साथ यह विमान पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है। इस लड़ाकू विमान को दो पायलट उड़ाते हैं।

    पारंपरिक पेलोड का भी किया उपयोग

    ज्वाइंट डायरेक्ट अटैक म्यूनिशन (जेडीएएम) बी-2 को निश्चित लक्ष्यों के विरुद्ध सटीक पारंपरिक हमला करने में सक्षम बनाते हैं। इन जीपीएस-निर्देशित हथियारों को बड़ी संख्या में तैनात किया जा सकता है, जिससे बमवर्षक एक साथ कई लक्ष्यों को उच्च सटीकता के साथ भेदने में सक्षम है।

    ज्वाइंट स्टैंडऑफ वीपन (जेएसओडब्लू)

    ये ग्लाइड बम बी-2 को भारी सुरक्षा वाले हवाई क्षेत्र की परिधि के बाहर से लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम बनाते हैं।

    ज्वाइंट एयर-टू-सरफेस स्टैंडऑफ मिसाइल (जेएएसएसएम)

    खुद की स्टेल्थ विशेषताओं के साथ लंबी दूरी की सटीक स्ट्राइक क्षमता प्रदान करती है। विस्तारित-रेंज जेएएसएसएम-ईआर वैरिएंट 500 मील (805 किमी) से अधिक दूरी पर स्थित लक्ष्यों के खिलाफ हमले करने में सक्षम बनाती है।

    परमाणु पेलोड क्षमताएं

    बी-2 स्पिरिट सटीकता से रणनीतिक परमाणु हथियार पहुंचाने में सक्षम है। यह विमान 16 बी83 परमाणु बम तक ले जा सकता है।