हार्ट अटैक और स्ट्रोक में मृत्युदर का खतरा कम कर सकता है मछली का तेल
शोधकर्ताओं का कहना है कि मछली के तेल से बने सप्लीमेंट (दवा) के नियमित उपयोग से दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसे हृदय रोगों (सीवीडी) के साथ-साथ मृत्यु का खतरा भी कम हो सकता है।
न्यूयॉर्क, आइएएनएस। शोधकर्ताओं का कहना है कि मछली के तेल से बने सप्लीमेंट (दवा) के नियमित उपयोग से दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसे हृदय रोगों (सीवीडी) के साथ-साथ मृत्यु का खतरा भी कम हो सकता है।
ओमेगा -3 करता है हृदय रोग से बचाव
खाद्य पदार्थो के मामले में ब्रिटेन के साथ-साथ कई अन्य विकसित देशों में मछली का तेल बेहद लोकप्रिय है। कई पूर्व अध्ययनों के निष्कर्ष बताते हैं कि मछली के तेल में मौजूद ओमेगा -3 हृदय रोग से बचाव करता है और मृत्यु दर को भी कम करने में मदद कर सकता है। हालांकि अभी ठोस सुबूत हासिल करना बाकी है।
31 फीसद प्रतिभागियों ने मछली के तेल बतौर सप्लीमेंट लेने की सूचना दी
चीन की सदर्न मेडिकल यूनिवर्सिटी और अमेरिकी की ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन बीएमजे नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन के बायो बैंक का डाटा विश्लेषण किया है। इसमें 40 से 69 साल की उम्र की 427678 महिला और पुरुषों को शामिल किया गया था। इन प्रतिभागियों को न तो सीवीडी की समस्या थी और न ही कैंसर की बीमारी। यह अध्ययन वर्ष 2006 से 2010 के बीच हुआ था। अध्ययनकर्ताओं ने प्रतिभागियों से इस दौरान उनके भोजन के संबंधित सवाल पूछे थे, जिसमें मछली के तेल के उपयोग से जुड़े सवाल भी शामिल थे। शोधकर्ताओं ने बताया कि लगभग 31 फीसद प्रतिभागियों ने अध्ययन की शुरुआत में नियमित रूप से मछली के तेल बतौर सप्लीमेंट लेने की सूचना दी।
16 फीसद तक कम हो जाता है सीवीडी का जोखिम
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि मछली के तेल के सप्लीमेंट से मृत्यु का जोखिम 13 फीसद तक कम हो सकता है और हृदय रोगों का जोखिम 16फीसद तक कम हो सकता है। अध्ययन में कहा गया है कि मछली के तेल के उपयोग और सीवीडी की घटनाओं के बीच का संबंध उच्च रक्तचाप वाले लोगों में अधिक देखा गया है।
बढ़ेगा उपयोग का दायरा
शोधकर्ताओं ने कहा कि ओमेगा -3 फैटी एसिड के सप्लीमेंट ने रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल के स्तर और हृदय गति पर अच्छा प्रभाव दिखाया। ये सभी कारक सीवीडी घटनाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं। अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं ओमेगा-3 इस प्रकार के जोखिमों से बचा सकता है और निकट भविष्य में इसके उपयोग का दायरा बढ़ सकता है।