Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या होता है Dragon Capsule जिससे ISS जाएंगे शुभांशु, चौंकाने वाली है खासियत; क्यों अपने साथ सॉफ्ट टॉय ले जाते हैं एस्ट्रोनॉट?

    Updated: Fri, 06 Jun 2025 04:11 PM (IST)

    शुभांशु शुक्ला का मिशन फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट पर लॉन्च होगा। शुभांशु इन 14 दिनों में ISS पर 7 से 9 वैज्ञानिक प्रयोग भी करेंगे। शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कदम रखने वाले पहले भारतीय होंगे। Axiom-4 या Ax-4 मिशन एक स्पेस मिशन है जिसका संचालन प्राइवेट कंपनी Axiom Space द्वारा किया जा रहा है।

    Hero Image
    ड्रैगन कैप्सूल से अंतरिक्ष जाएंगे शुभांशु (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 10 जून को भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने वाले हैं। शुभांशु पहले 8 जून को यात्रा पर जाने वाले थे, लेकिन इसकी तारीख में बदलाव किया गया है। शुभांशु ड्रैगन कैप्सूल से स्पेस में जाने वाले हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ड्रैगन कैप्सूल की खासियत

    • यह कैप्सूल SpaceX का एक अंतरिक्ष यान है।
    • इसमें क्रू ड्रैगन और कार्गो ड्रैगन शामिल है।
    • क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ले जाता है।
    • कार्गो ड्रैगन कैप्सूल में वैज्ञानिक उपकरण और सामान ले जाया जाता है।
    • क्रू ड्रैगन कैप्सूल को पहली बार साल 2020 में यात्रियों के साथ उड़ा था।
    • कार्गो कैप्सूल साल 2010 में पहली बार उड़ान भरा था।

    कैसे काम करता है ड्रैगन कैप्सूल?

    स्पेसएक्स का यह अंतरिक्ष यान इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से खुद जुड़ जाता है, इसलिए इससे किसी भी मिशन को अंजाम देना सेफ और आसान होता है। क्रू ड्रैगन को 15 मिशनों तक इस्तेमाल के लिए डिजाइन किया गया है।

    इसकी सबसे खास बात यह है कि इसमें 8 सुपरड्रैको इंजन है, जो इमरजेंसी में कैप्सूल को रॉकेट से अलग कर सकता है। इस कैप्सूल के ट्रंक पैनल में सोलर पैनल लगा है, जो बिजली बनाती है।

    ISS पर 14 दिन रहेंगे शुभांशु

    बता दें, शुभांशु शुक्ला का मिशन फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट पर लॉन्च होगा। शुभांशु इन 14 दिनों में ISS पर 7 से 9 वैज्ञानिक प्रयोग भी करेंगे। शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कदम रखने वाले पहले भारतीय होंगे।

    क्या है Axiom-4 मिशन?

    Axiom-4 या Ax-4 मिशन एक स्पेस मिशन है, जिसका संचालन प्राइवेट कंपनी Axiom Space द्वारा किया जा रहा है। यह इस कंपनी का चौथा स्पेस मिशन है, जो स्पेस एक्स और NASA के साथ मिलकर किया जा रहा है।

    यह मिशन 14 दिनों तक का है और इस दौरान वैज्ञानिक अलग-अलग तरह के प्रयोग करेंगे। यह स्पेस मिशन भारत, हंगरी और पोलैंड के लिए बेहद खास है क्योंकि 40 सालों के बाद इन देशों के अंतरिक्ष यात्री इसमें शामिल हो रहे हैं।

    शुभांशु शुक्ला के साथ स्पेस में जाएगा 'Swan'

    10 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन-9 रॉकेट सिर्फ चार अंतरिक्ष यात्रियों को ही नहीं लेकर जाने वाला है, बल्कि इनके साथ एक छोटा सा सॉफ्ट टॉय 'जॉय' भी जाने वाला है। लेकिन, सवाल यह है कि आखिर सॉफ्ट टॉय अंतरिक्ष में क्यों जा रहा है?

    दरअसल, जॉय नामक यह सॉफ्ट टॉय कोई साधारण सॉफ्ट टॉय नहीं है। यह Axiom-4 मिशन का शून्य गुरुत्वाकर्षण संकेतक (Zero Gravity Indicator) है। पुरानी परंपरा के अनुसार, अंतरिक्ष यात्री अपने साथ एक हल्का सा ऑब्जेक्ट ले जाते हैं, जो अंतरिक्ष यान के पृथ्वी गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होते ही हवा में तैरने लगता है।

    कब हुई इस परंपरा की शुरुआत?

    जब जॉय भी इसी तरह तैरने लगेगा तो यह संकेत होगा कि मिशन ने शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति हासिल कर ली है। यह परंपरा साल 1961 में सोवियत कॉस्मोनॉट यूरी गागरिन से शुरू हुई थी। तब से रूसी और अमेरिकी मिशनों में सॉफ्ट टॉय ले जाना परंपरा हो गई है।