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    डोनाल्ड ट्रंप को कोर्ट से बड़ा झटका, अब अमेरिकी सेना में शामिल होंगे ट्रांसजेंडर्स; जज ने बताई वजह

    संघीय न्यायाधीश ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें ट्रांसजेंडरों को सैन्य सेवा से प्रतिबंधित किया गया था। वाशिंगटन डीसी में न्यायाधीश एना रेयेस ने अपने आदेश में कहा है कि ट्रंप का ट्रांसजेंडर सैनिकों को सैन्य सेवा से बाहर करने का आदेश संभवत उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। ट्रंप ने 27 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे

    By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Wed, 19 Mar 2025 03:39 PM (IST)
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    अमेरिकी सेना में शामिल होंगे ट्रांसजेंडर्स (file photo)

    वाशिंगटन, एजेंसी। एक संघीय न्यायाधीश ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें ट्रांसजेंडरों को सैन्य सेवा से प्रतिबंधित किया गया था। वाशिंगटन डीसी में न्यायाधीश एना रेयेस ने अपने आदेश में कहा है कि ट्रंप का ट्रांसजेंडर सैनिकों को सैन्य सेवा से बाहर करने का आदेश संभवत: उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

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    उन्होंने प्रशासन को अपील करने के लिए समय देते हुए अपने आदेश को तीन दिन के लिए टाल दिया।  दरअसल, ट्रंप ने 27 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया है कि ट्रांसजेंडर सैन्यकर्मियों की यौन पहचान सैनिकों की सम्मानजनक, सत्यनिष्ठ और अनुशासित जीवनशैली के प्रति प्रतिबद्धता के साथ टकराव करती है।

    रक्षा सचिव ने जारी की नीति

    आदेश को लेकर रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने एक नीति जारी की, जो संभावित रूप से लिंग डिस्फोरिया वाले लोगों को सैन्य सेवा से अयोग्य घोषित करती है। लिंग डिस्फोरिया वह संकट है जो एक व्यक्ति महसूस करता है क्योंकि उसका निर्धारित लिंग और लिंग पहचान मेल नहीं खाती है। 

    इस चिकित्सा स्थिति को अवसाद और आत्महत्या के विचारों से जोड़ा गया है। वादी के वकीलों का तर्क है कि ट्रंप का आदेश पांचवें संशोधन के तहत ट्रांसजेंडर लोगों के समान संरक्षण के अधिकारों का उल्लंघन करता है। सरकारी वकीलों का तर्क है कि सैन्य अधिकारियों के पास न्यायिक हस्तक्षेप के बिना सेवा सदस्यों को नियुक्त करने और तैनात करने का निर्णय लेने का व्यापक विवेक है।

    सेना में सेवा करते हैं हजारों ट्रांसजेंडर

    हजारों ट्रांसजेंडर सेना में सेवा करते हैं, लेकिन वे सक्रिय-ड्यूटी सेवा सदस्यों की कुल संख्या का एक प्रतिशत से भी कम का प्रतिनिधित्व करते हैं।