Move to Jagran APP

ईरान परमाणु समझौते से हटने का ट्रंप प्रशासन का फैसला सबसे बड़ी रणनीतिक भूल, अमेरिका अधिकारी ने किया दावा

Iran-US Nuclear Deal ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर एक महत्वपूर्ण समझौते ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) से पीछे हटने का पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फैसला हाल के वर्षों में अमेरिकी विदेश नीति की सबसे बड़ी रणनीतिक भूलों में से एक है।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi AvinashPublished: Tue, 10 Jan 2023 02:52 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jan 2023 02:52 PM (IST)
ईरान परमाणु समझौते से हटने का ट्रंप प्रशासन का फैसला सबसे बड़ी रणनीतिक भूल, अमेरिका अधिकारी ने किया दावा
ईरान परमाणु समझौते से हटने का ट्रंप प्रशासन का फैसला सबसे बड़ी रणनीतिक भूल

वॉशिंगटन, एजेंसी। ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर एक महत्वपूर्ण समझौते ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) से पीछे हटने का पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फैसला हाल के वर्षों में अमेरिकी विदेश नीति की सबसे बड़ी रणनीतिक भूलों में से एक है। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने यह बात कही है।

loksabha election banner

बताते चलें कि JCPOA को आमतौर पर ईरान परमाणु समझौते या ईरान सौदे के रूप में जाना जाता है। बराक ओबामा प्रशासन के दौरान 14 जुलाई 2015 को ईरान और यूरोपीय संघ के साथ P5+1 के बीच वियना में पहुंचा था। P5+1 में सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य यानी चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका - प्लस वन में जर्मनी शामिल हैं।

विदेश नीति की बड़ी रणनीतिक भूल

विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन जेसीपीओए से हटने के पिछले प्रशासन के निर्णय पर विचार कर रहा है। यह हाल के वर्षों में अमेरिकी विदेश नीति की सबसे बड़ी रणनीतिक भूलों में से एक है। उन्होंने सोमवार को अपने दैनिक समाचार सम्मेलन में यह बात संवाददाताओं से कही।

Nepal Politics: नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री 'प्रचंड' आज संसद में हासिल करेंगे विश्वास मत

सहयोगियों के साथ बनाया था ईरान पर आर्थिक दबाव

प्राइस ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने जेसीपीओए को एक राजनयिक व्यवस्था तक पहुंचने में सक्षम बना दिया था। इसका कारण यह था कि उसने ईरान पर महत्वपूर्ण आर्थिक दबाव बनाने के लिए दुनिया भर के सहयोगियों और भागीदारों के साथ काम किया। इसकी वजह से आखिरकार ईरान को वार्ता की मेज पर लाया गया। यह ईरान के शासन की ओर से मानसिकता में एक रणनीतिक परिवर्तन नहीं था। मुझे लगता है कि ईरान को अहसास था कि वह जबरदस्त आर्थिक दबाव में है और उस समय उनका परमाणु कार्यक्रम ही एक रणनीतिक दायित्व था।

ऐसी स्थिति में सबसे प्रभावी होता है आर्थिक दबाव

प्राइस ने कहा कि लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था कि ईरान तब तक दबाव महसूस करता रहे, जब तक कि वह रास्ता नहीं बदलता। अब आप ऐसा कर सकते हैं क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका, पिछले प्रशासन ने अधिकतम दबाव की रणनीति के साथ ऐसा करने का प्रयास किया। इतिहास हमें क्या सिखाता है कि जब अन्य सहयोगियों और भागीदारों के साथ मिलकर लगाया जाता है, तो आर्थिक दबाव सबसे प्रभावी होता है।

Hajj Yatra 2023: अब पहले की तरह हज यात्रा कर सकेंगे मुस्लिम, सऊदी अरब ने हटाए प्रतिबंध; उम्र सीमा भी खत्म की

Pakistan Wheat Crisis: मुश्किल वक्त में रूस ने पहुंचाई मदद, जानें- पाकिस्तान में कैसे हैं हालात


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.