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    COVID-19: जानिए कैसे गुड बैक्टीरिया कम कर देते हैं कोरोना संक्रमण की गंभीरता

    By AgencyEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Sat, 31 Dec 2022 12:03 PM (IST)

    COVID-19 शोध से पता चला है कि आंत में बैक्टीरिया की बनावट कोविड संक्रमण की गंभीरता को प्रभावित कर सकती है। साक्ष्यों से पता चलता है कि कोरोना संक्रमण आंत में बैक्टीरिया के संतुलन को प्रभावित कर सकता है।

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    COVID-19: जानिए कैसे गुड बैक्टीरिया कम कर देते हैं कोरोना संक्रमण की गंभीरता

    नॉटिंघम, एजेंसी। बैक्टीरिया, कवक और वायरस सहित सूक्ष्मजीवों की एक बड़ी संख्या हमारी आंत में रहती है। सामूहिक रूप से हम इसे माइक्रोबायोम या रोगाणु कहते हैं। अपने छोटे आकार के बावजूद इन रोगाणुओं का हमारे स्वास्थ्य पर बड़ा और अहम प्रभाव पड़ता है।

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    माइक्रोबायोम को कहते हैं दूसरा मस्तिष्क

    वास्तव में शरीर के अंगों और प्रणालियों के साथ व्यापक संबंध के कारण माइक्रोबायोम को अक्सर "दूसरा मस्तिष्क" कहा जाता है। विशेष रूप से हमारी आंत में रोगाणुओं की एक भूमिका प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना है। वे स्थानीय और प्रणालीगत सूजन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह एक प्रक्रिया है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली हमें हानिकारक बीमारियों से बचाती है।

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    कोरोना को प्रभावित कर सकता है बैक्टीरिया

    शोध से पता चला है कि आंत में बैक्टीरिया की बनावट कोविड संक्रमण की गंभीरता को प्रभावित कर सकती है। साक्ष्यों से पता चलता है कि COVID संक्रमण आंत में बैक्टीरिया के संतुलन को प्रभावित कर सकता है। इससे समझा जा सकता है कि कुछ लोगों में COVID संक्रमण के बाद लगातार लक्षण क्यों दिखाई देते रहते हैं।

    हर व्यक्ति में समान नहीं होते हैं आंतों के बैक्टीरिया

    हमारे आंत में मौजूद माइक्रोब्स फेफड़ों सहित पूरे शरीर में हमारी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक संकेत प्रदान करते हैं। एक "स्वस्थ" आंत के माइक्रोबायोम में बैक्टीरिया की एक विशाल श्रृंखला शामिल होती है। हालांकि, यह हर व्यक्ति में समान नहीं होती है। पहले किए गए अध्ययनों से पता चला है कि एक स्वस्थ आंत में मौजूद माइक्रोबायोम प्रतिरक्षा कोशिकाओं और संदेशों को नियमित करके श्वसन संक्रमण (respiratory infections) के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया यानी इम्यूनिटी में सुधार कर सकता है।

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    फेफड़ों से कीटाणुओं की निकासी हो जाती है कम

    वहीं, दूसरी तरफ साक्ष्य से यह भी पता चलता है कि पेट के जीवाणुओं की एक खराब संरचना फेफड़ों में इन्फ्लूएंजा संक्रमण की संवेदनशीलता को बढ़ाती है, और फेफड़ों से कीटाणुओं के निकालने को कम करती है। चूहों पर किए गए प्रयोगों में यह बात साबित हुई है।

    कोरोना संक्रमण की गंभीरता पर असर डालता है माइक्रोबायोम

    कोरोना के साथ भी ऐसा ही हो सकता है। पेट के माइक्रोबायोम की संरचना रोग को प्रभावित कर सकती है। इस शोध ने कोरोना के रोगियों में माइक्रोबायोम प्रोफाइल और इंफ्लेमेट्री मार्कर्स के स्तर के बीच एक संबंध दिखाया है। आंतों के बैक्टीरिया के खराब संयोजन वाले रोगियों में बहुत अधिक सूजन के लक्षण दिखाई दिए। इससे पता चलता है कि माइक्रोबायोम प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर प्रभाव के जरिये कोरोना संक्रमण की गंभीरता को प्रभावित करता है।

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