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    बैंक नोट पर ज्यादा देर जीवित नहीं रहता कोरोना वायरस, जानिए डेबिट और क्रेडिट कार्ड जैसे प्लास्टिक मनी पर कितने घंटे तक रहता है सक्रिय

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Fri, 13 May 2022 09:58 PM (IST)

    इसकी पड़ताल के लिए शोधकर्ताओं ने डालर नोट सिक्के और क्रेडिट कार्ड पर सार्स-सीओवी-2 संरोपित किया गया। इसके बाद इन नकदी नोटों सिक्कों तथा कार्डो की विभिन्न अंतरालों- 30 मिनट चार घंटे 24 घंटे तथा 48 घंटे पर जांच की गई।

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    ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया अध्ययन

    वाशिंगटन, प्रेट्र। कोरोना महामारी फैलने की शुरुआत में संक्रमण को फैलने से रोकने की दिशा में लाकडाउन से लेकर अन्य कई तरह के उपाय अपनाए गए। यह धारणा बनी कि बैंक नोट से भी कोरोना वायरस फैलता है। इसलिए आपसी लेन-देन में नकदी का व्यवहार कम हुआ और कई संस्थानों ने नकदी लेन-देन पर पाबंदी भी लगाई। यहां तक कि लोग नोट को सैनिटाइज भी करने लगे। लेकिन अब एक अध्ययन में सामने आया है कि बैंक नोट पर सार्स-सीओवी-2 (आम भाषा में कोरोना वायरस) तो तत्काल खत्म हो जाता है। उससे तो ज्यादा खतरा डेबिट, क्रेडिट से है, जिस पर वायरस काफी देर तक सक्रिय बना रह सकता है। पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए नकदी के बजाय क्रेडिट, डेबिट कार्ड से लेन-देन को बढ़ावा कतई उपयुक्त नहीं है।

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    शोधकर्ताओं ने पाया है कि वायरस प्लास्टिक मनी पर ज्यादा स्थिर रहता है और यह उस पर जमा होने के बाद 48 घंटे तक जिंदा रहता है। हालांकि अध्ययन के लिए एकत्र किए गए नकदी या कार्ड के सैंपल पर वायरस को सक्रिय नहीं पाया गया।

    कोरोना महामारी की शुरुआत में नकदी को लेकर हुआ बड़ा हो हल्ला

    इस अध्ययन के लेखक अमेरिका स्थित ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड रोबिसन ने कहा, महामारी की शुरुआत में इस बात को लेकर बड़ा हो-हल्ला हुआ कि कोरोबार में नकदी का इस्तेमाल बंद किया जाए। बहुत सारे प्रतिष्ठानों ने इसे अपनाते हुए एलान कर दिया कि वे नकदी नहीं बल्कि डेबिट, क्रेडिट कार्ड से व्यवहार करेंगे। इसलिए मैंने सोचा कि क्या डाटा भी इस धारणा का समर्थन करते हैं? लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। फिर हमने इसकी पड़ताल करने का निर्णय किया कि ये बातें तार्किक हैं या नहीं। इसमें भी वैसी कोई बात नहीं समझ में आई।

    इसकी पड़ताल के लिए शोधकर्ताओं ने डालर नोट, सिक्के और क्रेडिट कार्ड पर सार्स-सीओवी-2 संरोपित किया गया। इसके बाद इन नकदी नोटों, सिक्कों तथा कार्डो की विभिन्न अंतरालों- 30 मिनट, चार घंटे, 24 घंटे तथा 48 घंटे पर जांच की गई।

    48 घंटे बाद भी मनी कार्ड पर जिंदा वायरस थे मौजूद

    शोधकर्ताओं ने पाया कि डालर नोट पर महज 30 मिनट बाद ही सार्स-सीओवी-2 को खोजना या पता लगाना कठिन था। इतने कम समय में वायरस 99.9993 प्रतिशत कम हो गए। इसके बाद शोधकर्ताओं ने 24 घंटे और 48 घंटे बाद फिर से जांच की तो पाया कि बैंक नोट पर जिंदा वायरस था ही नहीं। इसके उलट 30 मिनट बाद मनी कार्ड पर वायरस 90 प्रतिशत ही कम हुए। चार और 24 घंटे में इसके कम होने की दर बढ़कर 99.6 प्रतिशत तक पहुंची। लेकिन 48 घंटे बाद भी मनी कार्ड पर जिंदा वायरस मौजूद थे।

    सिक्कों का मामला ही प्लास्टिक कार्ड जैसा ही रहा। शुरुआती समय में वायरस में तेजी से कमी आने के बावजूद 24 और 48 घंटे बाद जांच पाजिटिव आई।

    शोधकर्ता पेपर बैंक नोट पर वायरस की अस्थिरता देखकर हैरान थे। खास बात यह है कि अमेरिकी बैंक नोट में 75 प्रतिशत काटन और 25 प्रतिशत लिनन होता है। बैंक नोट पर करीब 10 लाख जीवित वायरस डाले जाने के 24 घंटे बाद उस पर कोई जिंदा वायरस नहीं बचा।

    कुछ इस तरह किया गया शोध

    शोधकर्ताओं की टीम ने वायरस की उपस्थिति का पता लगाने के लिए बीवाईयू के कैंपस के आसपास के क्षेत्रों तथा रेस्तराओं से एक अमेरिकी डालर कैश बिल्स और सिक्के एकत्रित किए। नकदी इकट्ठा करने के एक घंटा बाद शोधकर्ताओं ने नोट और सिक्कों को स्टेराइल काटन से पोछ दिया। इसके साथ ही उन्होंने कार्डो को पोछा और उन्हें सार्स-सीओवी-2 के आरएनए बैंक नोट और सिक्कों पर नहीं मिले, जबकि मनी कार्ड पर कम मात्रा में पाए गए।

    रोबिसन ने कहा कि यह महामारी इस बात के लिए भी कुख्यात हुआ कि लोगों ने बिना किसी डाटा के फैसले लिए। हुआ यूं कि कुछ लोगों ने कोई बात कही और अन्य लोगों ने बिना किसी तार्किक आधार के उसे फैला दिया तथा उस पर अमल भी करने लगे। इस तरह कई गलत फैसले लिए गए।