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    ‘तिब्बत विवाद सुलझाने के लिए दलाई लामा के दूतों से चीन की बातचीत जरूरी’, अमेरिकी कांग्रेस कमेटी ने अहम विधेयक को दी मंजूरी

    By AgencyEdited By: Mohammad Sameer
    Updated: Sat, 02 Dec 2023 07:24 AM (IST)

    मैककौल ने कहा कि अमेरिका ने इस बात को कभी स्वीकार नहीं किया कि तिब्बत प्राचीन काल से चीन का भाग रहा है। कहा यह विधेयक अमेरिका की नीति को स्पष्ट करता है कि वह तिब्बतियों की विशिष्ट भाषा धर्म और संस्कृति का समर्थन करता है। वहीं चीन कहता है कि 88 वर्षीय दलाई लामा के धार्मिक नेता के अलावा कोई मायने नहीं है।

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    ‘तिब्बत विवाद सुलझाने को दलाई लामा के दूतों से चीन की बातचीत जरूरी’ (file photo)

    पीटीआई, वॉशिंगटन। अमेरिकी कांग्रेस की एक शक्तिशाली कमेटी ने चीन-तिब्बत विवाद को सुलझाने के लिए एक अहम विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसमें चीन को दलाई लामा के दूतों से बातचीत करने को प्रेरित करने के अमेरिकी प्रयासों को मजबूत करने की बात कही गई है।

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    इसके साथ ही तिब्बत के इतिहास को लेकर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रोपेगंडा की भी आलोचना की गई है। जिसमें वह दावा करता है तिब्बत पर कब्जा करने से पहले ही वह चीन का हिस्सा था। सदन की विदेश मामलों की कमेटी के चेयरमैन माइकल मैककौल ने कहा कि इस विधेयक में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और तिब्बत के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेताओं के बीच विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत की जरूरत बताई गई है। कहा, तिब्बती लोकत्रंत को प्यार करने वाले लोग हैं। वे चाहते हैं अमेरिकी की तरह ही उन्हें भी अपने धर्म और विश्वास को मानने की स्वतंत्रत्रा हो।

    चीनी सेना ने अक्टूबर,1950 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था

    इस संशोधित विधेयक को पिछले साल प्रतिनिधि सभा के सदस्य जिम मैकगवर्न और माइकल मैककौल के साथ ही सीनेटर जेफ मार्ककले और टाड यंग ने पेश किया था। जिसमें 2010 से रुकी हुई वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए चीन सरकार पर दबाव डालने का समर्थन किया गया है। उल्लेखनीय है कि चीनी सेना ने अक्टूबर,1950 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था।

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    तिब्बतियों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को तिब्बत छोड़ भारत में शरण लेनी पड़ी। मैककौल ने कहा कि अमेरिका ने इस बात को कभी स्वीकार नहीं किया कि तिब्बत प्राचीन काल से चीन का भाग रहा है। कहा, यह विधेयक अमेरिका की नीति को स्पष्ट करता है कि वह तिब्बतियों की विशिष्ट भाषा, धर्म और संस्कृति का समर्थन करता है। वहीं, चीन कहता है कि 88 वर्षीय दलाई लामा के धार्मिक नेता के अलावा कोई मायने नहीं है। वह लंबे समय से चीन विरोधी गतिविधियों में लगे हुए हैं।

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