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    तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का वारिस चुनने की प्रक्रिया पर US ने चीन को घेरा, कही ये बात..

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Wed, 10 Mar 2021 05:20 PM (IST)

    अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन ने कहा है कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का वारिस चुनने की प्रक्रिया में चीन सरकार की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। अमेरिका ने कहा कि पंचेन लामा के उत्तराधिकार की प्रक्रिया में बीजिंग ने हस्तक्षेप करके धार्मिक स्वतंत्रता का घोर उल्लंघन किया था।

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    दलाई लामा का वारिस चुनने की प्रक्रिया पर अमेरिका ने चीन को घेरा। फाइल फोटो।

    वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन ने कहा है कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का वारिस चुनने की प्रक्रिया में चीन सरकार की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा, '25 वर्ष से अधिक समय पहले पंचेन लामा के उत्तराधिकार की प्रक्रिया में बीजिंग ने हस्तक्षेप करके धार्मिक स्वतंत्रता का घोर उल्लंघन किया था। ऐसे में दलाई लामा का वारिस चुने जाने में उसकी कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।'

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    बता दें कि चीन ने पंचेन लामा को बचपन में गायब करने के साथ ही पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) सरकार द्वारा चुने गए उत्तराधिकारी को उनका स्थान देने का प्रयास किया था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिसंबर में एक कानून पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें तिब्बत में वाणिज्य दूतावास स्थापित करने और एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की बात की गई है, ताकि यह सुनिश्चत किया जा सके कि अगले दलाई लामा केवल तिब्बती बौद्ध समुदाय द्वारा चुने जाएं और इसमें चीन का कोई हस्तक्षेप नहीं हो। कानून में चीन के उन अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है जो दलाई लामा के उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया में रोड़े अटका रहे हैं।

    गौरतलब है कि चीन के विरोध के बावजूद अमेरिकी सीनेट ने एक विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया था। इस कानून में तिब्बतियों को उनके आध्यात्मिक नेता का उत्तराधिकारी चुनने के अधिकार को वर्णन किया गया है। इसमें तिब्बत के मुद्दों पर एक विशेष राजनयिक की भूमिका का भी विस्तार किया गया है। इसके तहत अमेरिका के विशेष राजनयिक को यह अधिकार दिया गया है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन कर सकता है कि अगले दलाई लामा का चयन सिर्फ तिब्बती बौद्ध समुदाय करें। इसमें तिब्बत में तिब्बती समुदाय के समर्थन में गैर-सरकारी संगठनों को सहायता का प्रस्ताव है।

    बता दें कि तिब्बत पर कब्जे के 70 साल बाद भी चीन की पकड़ उतनी मजबूत नहीं हो पाई है, जितना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चाहती है। इसी कारण जिनपिंग प्रशासन अब तिब्बत में धर्म का कार्ड खेलने की तैयारी कर रहा है। तिब्बत में बौद्ध धर्म के सबसे ज्यादा अनुयायी रहते हैं, जबकि चीन की कम्युनिस्ट सरकार किसी भी धर्म को नहीं मानती है। इसलिए, यहां के लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए चीन अब पंचेन लामा का सहारा लेने की तैयारी कर रहा है।