'विरोध किया तो अंजाम भुगतोगे', विदेश में रहने वालों को भी धमकाती है चीन की खुफिया एजेंसी; ऐसे जुटाती है जानकारी
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) दुनिया भर में अपने खुफिया नेटवर्क का उपयोग कर रही है। इसका उद्देश्य विदेशों में असंतुष्टों की निगरानी करना उन्हें डराना-धमकाना तकनीक की चोरी करना और नैरेटिव को प्रभावित करना है। एमएसएस ने शिक्षाविदों कारोबारियों और स्थानीय अधिकारियों को भी एजेंट बनाया है।

एएनआई, वाशिंगटन। मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्यूरिटी (एमएसएस) के नाम से चर्चित चीन के खुफिया संगठन को दुनिया की सबसे बड़ी एवं सबसे सक्रिय खुफिया एजेंसी बताया गया है। द यूरेशियन टाइम्स के अनुसार, सीबीएस न्यूज सेगमेंट ने दुनियाभर में चीन के खुफिया उद्देश्यों की एक गंभीर तस्वीर प्रस्तुत की है।
यह बताती है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) अपनी सीमाओं से बाहर की घटनाओं पर नजर रखने और उन्हें प्रभावित करने के लिए अपने गुप्तचरों के नेटवर्क का उपयोग करती है, साथ ही अमेरिका में चीन के असंतुष्ट लोगों की निगरानी करने के साथ ही उन्हें डराती-धमकाती भी है।
शिक्षाविदों, कारोबारियों को बनाया एजेंट
सीबीएस की रिपोर्ट बताती है कि एमएसएस ने मानक खुफिया जानकारियां जुटाने से परे जाकर अपना दायरा बढ़ा लिया है और उसने अपने एजेंटों में पश्चिम के शिक्षाविदों, कारोबारियों एवं यहां तक कि स्थानीय अधिकारियों को भी शामिल कर लिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, महाशक्ति के तौर पर चीन के उभार के साथ उसकी गुप्तचर क्षमताएं अधिक परिष्कृत हुई हैं और वह न सिर्फ सरकारी गोपनीय जानकारियों को निशाना बना रहा है, बल्कि नैरेटिव को प्रभावित कर रहा है, तकनीक की चोरी कर रहा और विदेश में असंतुष्टों का दमन कर रहा है।
असंतुष्ट लोगों का करता है दमन
- चीन की खुफिया एजेंसियों से निपटने में तीन दशक से अधिक का अनुभव रखने वाले पूर्व अमेरिकी राजनयिक जिम लुइस ने कहा, 'एमएसएस का प्राथमिक लक्ष्य कोई विदेशी सरकार नहीं है, हालांकि अमेरिका दूसरे स्थान पर है। इसका सबसे ज्यादा ध्यान चीन की जनता पर है, खासकर जो लोग विदेश में रहते हैं, विशेषकर अमेरिका में।'
- अगस्त, 2023 में ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई-5 के महानिदेशक केन मैक्कलम ने कहा था कि एमएसएस ने खुफिया जानकारियां जुटाने के लिए लिंक्डइन के जरिये 20 हजार से अधिक ब्रिटिश नागरिकों से संपर्क किया। इसी तरह फ्रांस की खुफिया एजेंसी ने 2018 में देश के चार हजार नागरिकों एवं जर्मनी ने उसके 10 हजार नागरिकों से संपर्क की बात कही थी।
यह भी पढ़ें: विनाशकारी हथियारों की खरीद कर रहा पाकिस्तान, अमेरिकी खुफिया विभाग की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।