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    'चीन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता', भारत-पाक टकराव के बीच अमेरिका में थरूर का 'ड्रैगन' पर बड़ा बयान

    अमेरिका में भारतीय दूतावास में आयोजित थिंक टैंक के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान शशि थरूर ने कहा कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत सबसे बड़ी एकल परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि पाकिस्तान को व्यावहारिक समर्थन देने के मामला हो या सुरक्षा परिषद में भी समर्थन देना हो हमने एक अलग चीन को देखा है।

    By Agency Edited By: Prince Gourh Updated: Fri, 06 Jun 2025 10:12 AM (IST)
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    अमेरिका में शशि थरूर ने चीन पर दिया बयान (फोटो सोर्स- एएनआई)

    पीटीआई, वाशिंगटन। भारतीय डेलिगेशन के एक दल का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिका में चीन को लेकर एक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान टकराव के बीच चीन एक ऐसा कारक है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

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    उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से टकराव से पहले दिल्ली और बीजिंग के बीच संबंधों में नरमी आई थी, जो अच्छी प्रगति पर दिख रही थी। थरूर ने कहा कि पाकिस्तान में चीन का बहुत बड़ा हित भी है।

    पाकिस्तान पर थरूर का निशाना

    अमेरिका में भारतीय दूतावास में आयोजित थिंक टैंक के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान शशि थरूर ने कहा कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत सबसे बड़ी एकल परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा है।

    पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि, 81 प्रतिशत पाकिस्तान रक्षा उपकरण चीन से आते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि यहां रक्षा शब्द का इस्तेमाल करना गलत होगा, क्योंकि पाकिस्तान इन उपकरों का इस्तेमाल हमला करने के लिए करता है।

    गलवान झड़प के बाद भारत का रुख

    गलवान घाटी में भारत और चीन की सेना के बीच हुई झड़प को लेकर उन्होंने कहा कि, 2020 में झड़प के बाद भी हमने पिछले साल सितंबर में चीन के साथ संबंधों में नरमी बरती थी, जो भारत-पाकिस्तान टकराव से पहले अच्छी प्रगति कर रही थी।

    कांग्रेस सांसद ने कहा कि पाकिस्तान को व्यावहारिक समर्थन देने के मामला हो या सुरक्षा परिषद में भी समर्थन देना हो, हमने एक अलग चीन को देखा है।

    'हमें अपने पड़ोसियों के बारे में पता है'

    उन्होंने कहा, "हमारे पड़ोस में क्या चुनौतियां हैं, इस बारे में हमें कोई भ्रम नहीं है, लेकिन मैं आप सभी को याद दिलाना चाहता हूं कि भारत ने हमेशा अपने विरोधियों के साथ संवाद के लिए चैनल खुला रखने का रास्ता चुना है।"

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