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    चिंपैंजी का मस्तिष्क खोलेगा इंसान बनने का राज, वैज्ञानिकों ने किया शोध

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 13 Feb 2019 10:32 AM (IST)

    मानव मस्तिष्क के नियोकार्टेक्स के बदलाव के बाद ही इंसान में सोचने की क्षमता विकसित हुई, वैज्ञानिक इन्हीं बदलावों का कर रहे अध्ययन।

    चिंपैंजी का मस्तिष्क खोलेगा इंसान बनने का राज, वैज्ञानिकों ने किया शोध

    लास एंजिलिस, प्रेट्र। हमारे मस्तिष्क की वजह से ही हम इंसान बन सके हैं। मस्तिष्क के विकास के बारे में वैज्ञानिकों ने कई शोध किए हैं, लेकिन अभी भी कुछ पुख्ता जवाब नहीं मिले हैं। अब वैज्ञानिकों ने इंसान के करीबी माने जाने वाले चिंपैंजियों के दिमाग से इसका पता लगाने की कोशिश की है। उन्होंने चिंपैंजी का ब्रेन ‘आर्गनाइड्स’ बनाया है। उनकी टीम में भारतीय मूल की एक वैज्ञानिक भी शामिल हैं।

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    सेल पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार मानव विकास के क्रम में कुछ छोटे से बदलावों ने मस्तिष्क के नियोकार्टेक्स को तीन गुना तक बढ़ा दिया। यह मस्तिष्क के ऊतक की बाहरी परत होती है जो आत्म जागरूकता से लेकर भाषा की समझ तक हर चीज के लिए जिम्मेदार होती है।

    वैज्ञानिक इस बात को समझना चाहते थे कि वह क्या चीज थी जिससे मस्तिष्क में यह बदलाव आया। चूंकि चिंपैंजी के मस्तिष्क पर लैब में अध्ययन के नैतिक प्रतिबंध है इसलिए वैज्ञानिकों को इसे समझने में कठिनाई हो रही थी। अमेरिका के सैनफ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अर्नाल्ड क्रिस्टीन ने बताया कि जन्म के समय ही मनुष्य की कार्टेक्स चिंपैंजी की तुलना में दोगुना होती है। इसलिए इस अविश्वसनीय विकास को समझने के लिए भू्रण के विकास से पहले भी जाने की जरूरत है।

    अर्नाल्ड की लैब की पोस्टडॉक्टरल अपर्णा भादुड़ी समेत अन्य शोधकर्ताओं ने चिंपैंजी के मस्तिष्क के ‘आर्गनाइड्स’ बनाए हैं। ये मस्तिष्क कोशिकाओं के छोटे समूह होते हैं जिनको स्टेम शेल की सहायता से लैब में विकसित किया जाता है। इनमें पूर्ण विकसित मस्तिष्क की तरह ही सारे गुण होते हैं। वैज्ञानिकों ने आठ चिंपैंजी और 10 मनुष्यों की त्वचा से लिए स्टेम सेल से 56 आर्गनाइड्स को विकसित किया। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह विज्ञान आधारित प्रयोग है जो 10 साल पहले तक संभव नहीं था।

    बताया कि चिंपैंजी के इन आर्गनाइड्स से मानव विकास के 60 लाख सालों का अध्ययन किया जा सकता है। भारतीय मूल की वैज्ञानिक अपर्णा ने मानव आर्गनाइड और चिंपैंजी के आर्गनाइड के विकास के क्रम में जीन गतिविधियों में अंतर की तलाश करके कई महत्वपूर्ण आनुवांशिक परिवर्तनों की पहचान की जो मानव मस्तिष्क के विकासवादी मूल को पहचानने में मदद कर सकते हैं।