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    टैगोर के ह्यूस्टन में आने के सौ वर्ष पूरे, राइस विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं को किया था संबोधित, पढ़ी गईं गुरुदेव की रचनाएं

    गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के फरवरी 1921 में ह्यूस्टन आने के सौ वर्ष पूरे होने पर टैगोर ग्रोव स्मारक पर जमा देने वाली ठंड के बीच कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान गुरुदेव के संगीत और उनकी कविताओं का ऑनलाइन पाठ भी किया गया।

    By Ramesh MishraEdited By: Updated: Wed, 17 Feb 2021 02:54 PM (IST)
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    टैगोर के फरवरी 1921 में ह्यूस्टन आने के सौ वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम आयोजित। फाइल फोटो।

    ह्यूस्टन, एजेंसी। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के फरवरी 1921 में ह्यूस्टन आने के सौ वर्ष पूरे होने पर 'टैगोर ग्रोव' स्मारक पर जमा देने वाली ठंड के बीच कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान गुरुदेव के संगीत और उनकी कविताओं का ऑनलाइन पाठ भी किया गया। टैगोर सोसाइटी ऑफ ह्यूस्टन (टीएसएच) द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम में ह्यूस्टन के महावाणिज्यदूत असीम महाजन सहित कुछ आमंत्रित अतिथियों और टीएसएच के सदस्यों ने भाग लिया।

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    कार्यक्रम का आयोजन कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए किया गया था। टैगोर ग्रोव मेमोरियल में टैगोर की कांस्य प्रतिमा है। इसका अनावरण वर्ष 2013 में एनर्जी कॉरिडोर स्थित रे मिलर पार्क में किया गया था। यह गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगौर की छठी ऐसी आदमकद प्रतिमा है,जो उनके जन्मस्थान कोलकाता से बाहर लगी हैं। अमेरिका में इस तरह की यह पहली प्रतिमा है। टीएसएच के अध्यक्ष गोपेंदु चक्रवर्ती के नेतृत्व में संस्था ने अतिथियों का स्वागत किया और टैगोर के सार्वभौमिक और विश्व शांति के संदेश को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में अपने दूसरे अंतर महाद्वीपीय व्याख्यान दौरे के तहत एक सदी पहले टैगोर ने ह्यूस्टन की यात्रा की थी।

    उन्होंने राइस विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं को संबोधित किया था। इसकी याद में कार्यक्रम आयोजित करना बेहद अच्छा है।' महाजन ने टैगोर के सीमारहित दुनिया के संदेश को रेखांकित करते हुए कहा, 'भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संबंधों और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए वाणिज्य दूतावास मिलकर काम करने को लेकर आशान्वित हैं। टैगोर ग्रोव सार्वभौमिक शांति और प्रेम के प्रतीक के रूप में शहर में सभी समुदायों के लिए समर्पित है। ग्रोव जनता के लिए खोला जाएगा और टीएसएच लोगों के यहां आने और टैगोर को श्रद्धांजलि अíपत करने का स्वागत करता है। टैगोर पर व्याख्यान देने वाली श्रेया गुहाठाकुरता और वक्ता ब्रातती बंदोपाध्याय ने रविवार को टैगोर की रचनाओं का पाठ किया।