'भारत कोई फुटबॉल नहीं, बल्कि गले लगाने वाला मित्र', पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने कनाडा को दिखाया आईना
पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने कनाडा को भारत के साथ संबंधों में मधुरता लाने के लिए ईमानदारी और परिपक्वता दिखाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारत कोई फुटबॉल नहीं है बल्कि एक मित्र है जिसे गले लगाना चाहिए। रुबिन ने जस्टिन ट्रूडो की तुलना में मार्क कार्नी के ²ष्टिकोण को अधिक रचनात्मक बताया।
एएनआई, वाशिंगटन। भारत के साथ संबंधों में मधुरता लाने के लिए कनाडा को ईमानदारी, सद्भावना और परिपक्वता दिखाने की नसीहत देते हुए पेंटागन के पूर्व अधिकारी एवं अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो माइकल रुबिन ने कहा कि भारत कोई फुटबॉल नहीं है जिसे आप इधर-उधर मारते रहें। यह एक ऐसा मित्र है जिसे आपको गले लगाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा के वर्तमान प्रधानमंत्री मार्क कार्नी द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य को लेकर अपने पूर्ववर्ती जस्टिन ट्रूडो की तुलना में अधिक गंभीर और रचनात्मक ²ष्टिकोण दिखा रहे हैं। रुबिन ने कहा, 'जस्टिन ट्रूडो के नक्शे कदम पर चलने के बजाय मार्क कार्नी संबंधों को सुधारने पर काम कर रहे हैं। इससे यह पता चलता है कि कार्नी पूर्व प्रधानमंत्री की तुलना में कहीं अधिक गंभीर व्यक्ति हैं.. कनाडा को अब अपनी सद्भावना दिखाने की जरूरत है। भारत कोई फुटबाल नहीं है जिसे आप इधर-उधर मारते रहें। भारत एक ऐसा मित्र है जिसे आपको गले लगाना चाहिए।'
भारत के प्रति पिछले कनाडाई नेतृत्व के रुख की आलोचना करते हुए रुबिन कहा, 'कनाडा का भारत के साथ संबंध, खास तौर पर जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में, सैद्धांतिक नहीं था। यह सब नैतिकता का दिखावा और राजनीति थी। असलियत यह है कि भारत, कनाडा के लिए महत्वपूर्ण है और कनाडा को यह तय करना होगा कि वह आखिरकार भारत और अमेरिका जैसे लोकतंत्रों का साथ देगा या फिर जस्टिन ट्रूडो की तरह ही रवैया अपनाएगा और चीन को तरजीह देगा जिसके भी कनाडा में महत्वपूर्ण हित हैं।'
खालिस्तानियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आह्वान
खालिस्तानियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आह्वान करते हुए रुबिन ने उनके आंदोलनों के बारे में चिंता जताई। उन्होंने कहा, 'जब आप किसी आतंकवादी संगठन को सुरक्षित पनाह देते हैं तो अंतत: आपके अपने हित नष्ट हो जाते हैं। जस्टिन ट्रूडो और उनसे पहले पियरे ट्रूडो ने 20वीं सदी में हुए सबसे भयानक आतंकवादी हमलों के बावजूद खालिस्तान आंदोलन को प्रश्रय देकर जो किया।'
कहा कि 'वह अंतत: कनाडा के नैतिक अधिकार और उसके रणनीतिक महत्व को कमजोर करने वाला था। हरदीप सिंह निज्जर और खालिस्तान आंदोलन के बारे में शिकायतें वास्तविक नहीं थीं। ये अतिशयोक्ति थीं जिन्हें जस्टिन ट्रूडो ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।' रुबिन ने ट्रूडो पर कट्टरपंथी खालिस्तानियों को खुश करने और घरेलू मुद्दों को स्वीकार करने के बजाय भारत पर दोष मढ़ने का आरोप लगाया।
पीएम मोदी की रणनीतिक कूटनीति की भी प्रशंसा की
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रणनीतिक कूटनीति की प्रशंसा करते हुए रुबिन ने कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन (15 से 17 जून तक) के लिए मार्क कार्नी के निमंत्रण को स्वीकार करने के उनके फैसले की प्रशंसा की है।
उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में भाग लेने में पीएम मोदी की उदारता से पता चलता है कि 'भारत के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। उनका यह दिखाना उचित है कि समस्या कनाडा नहीं, बल्कि जस्टिन ट्रूडो की अपरिपक्वता और गैर-पेशेवर रवैया था।' सच तो यह है कि मोदी की यह उदार रणनीति कनाडावासियों को यह सोचने पर मजबूर करती है कि समस्या हमेशा से कनाडा में थी, भारत में नहीं।
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