Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दुनिया पर मंडरा रहा बड़ा 'खतरा'! तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर; 2024 में लगातार तीसरे साल हुआ बड़ा नुकसान

    WMO ने कहा 2024 का जल विज्ञान वर्ष लगातार तीसरा वर्ष होगा जिसमें सभी 19 ग्लेशियर क्षेत्रों में हानि हुई है। एजेंसी ने स्विस-स्थित विश्व ग्लेशियर निगरानी सेवा (WGMS) के नए आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि कुल मिलाकर 450 अरब टन ग्लेशियर का नुकसान हुआ है। ग्लेशियरों के लिए प्रथम विश्व दिवस के अवसर पर WGMS ने एक अमेरिकी ग्लेशियर को वर्ष का पहला ग्लेशियर घोषित किया।

    By Jagran News Edited By: Prince Gourh Updated: Fri, 21 Mar 2025 10:16 AM (IST)
    Hero Image
    तेजी से पिघल रहे हैं ग्लेशियर्स (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया के सभी 19 ग्लेशियर क्षेत्रों में 2024 में लगातार तीसरे वर्ष काफी ज्यादा नुकसान होने की जानकारी दी है। यूएन ने चेतावनी दी कि ग्लेशियरों को बचाना अब हमारे लिए "अस्तित्व" का मामला है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संयुक्त राष्ट्र की विश्व मौसम विज्ञान संगठन की मौसम, जलवायु एवं जल एजेंसी ने विश्व ग्लेशियर दिवस के अवसर पर कहा कि पिछले छह वर्षों में से पांच वर्षों में ग्लेशियरों का सबसे तेजी से पिघलना रिकॉर्ड स्तर पर देखा गया है।

    'ग्लेशियरों का संरक्षण अस्तित्व का मामला है'

    विश्व मौसम संगठन की प्रमुख सेलेस्टे साउलो ने कहा, "ग्लेशियरों का संरक्षण केवल पर्यावरण, आर्थिक और सामाजिक जरूरत नहीं है, यह भविष्य का मामला है।" विश्व मौसम संगठन (WMO) ने कहा कि ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की आईलैंड की बर्फ की चादरों के अलावा, दुनिया भर में 275,000 से अधिक ग्लेशियर लगभग 700,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ रहे हैं।

    WMO ने कहा, "2024 का साल लगातार तीसरा वर्ष होगा, जिसमें सभी 19 ग्लेशियर क्षेत्रों में नुकसान हुआ है।" एजेंसी ने स्विस-स्थित विश्व ग्लेशियर निगरानी सेवा (WGMS) के नए आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि कुल मिलाकर 450 अरब टन ग्लेशियर का नुकसान हुआ है।

    50 वर्षों में हुआ भारी नुकसान

    साउलो ने कहा, "2022-2024 तक, हमने ग्लेशियरों का रिकॉर्ड तीन वर्षों में सबसे बड़ा नुकसान देखा है।" पिछले वर्ष कनाडा के आर्कटिक और ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों जैसे क्षेत्रों में ग्लेशियरों में कमी देखी गई थी। लेकिन स्कैंडिनेविया, नॉर्वे के स्वालबार्ड द्वीपसमूह और उत्तरी एशिया के ग्लेशियरों ने अब तक के अपने सबसे खराब वर्ष का अनुभव किया है।

    विश्व मौसम संगठन ने कहा कि पिघलने की वर्तमान दर के अनुसार, पश्चिमी कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका, स्कैंडिनेविया, मध्य यूरोप, काकेशस, न्यूजीलैंड के कई ग्लेशियर काफी ज्यादा खतरे में है।

    एजेंसी ने कहा कि बर्फ की चादरों के साथ मिलकर ग्लेशियर दुनिया के लगभग 70 प्रतिशत पीने के पानी का स्रोत बनाते हैं, जिनमें ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र जल मीनारों की तरह काम करते हैं। अगर वो गायब हो जाते हैं, तो इससे नीचे की ओर रहने वाले लाखों लोगों के लिए पानी की आपूर्ति को खतरा हो सकता है।

    'समस्या की अनदेखी'

    संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, हमें ग्लोबल वार्मिंग का मुकाबला करना होगा। विश्व मौसम संगठन के जल एवं क्रायोस्फीयर निदेशक स्टीफन उहलेनब्रुक ने कहा, "हम अंततः कई चीजों पर समझौता कर सकते हैं, लेकिन हम बर्फ के पिघलने से समझौता नहीं कर सकते।"

    ग्लेशियरों के लिए पहले विश्व दिवस के अवसर पर, WGMS ने एक अमेरिकी ग्लेशियर को वर्ष का पहला ग्लेशियर घोषित किया। वाशिंगटन में दक्षिण कैस्केड ग्लेशियर पर 1952 से लगातार निगरानी रखी जा रही है।

    2024 अब तक का सबसे गर्म साल रहा, टूटा 175 साल का रिकॉर्ड; मौसम वैज्ञानिक ने कहा- बदतर हो सकते हालात