H-1B वीजा पर नई नीतियां लागू करेगा बाइडन प्रशासन, भारतीय आइटी पेशेवरों को मिलेगा फायदा
कमला हैरिस के उपराष्ट्रपति चुने जाने से उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा एच1बी वीजाधारकों के पति/पत्नी के वर्क परमिट के फैसले को पलटा जाएगा। ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रतिबंध के बाद बड़ी संख्या में अमेरिका में रहने वाले भारतीय परिवारों को परेशान होना पड़ा था।
वाशिंगटन, प्रेट्र। डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन का बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति चुना जाना एच1बी वीजाधारकों के लिए फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, बाइडन की योजना है कि अमेरिका में एच1बी वीजाधारक समेत उच्च कौशल (हाई स्किल्ड) वाले वीजा की संख्या को बढ़ाया जाए। साथ ही बाइडन प्रशासन किसी देश के कितने व्यक्तियों को रोजगार आधारित वीजा दिया जा सकता है, उसकी सीमा को भी खत्म करने की योजना बना रहा है। अगर बाइडन ऐसा कोई कदम उठाते हैं तो इससे हजारों भारतीय आइटी पेशेवरों को लाभ मिल सकता है।
बता दें कि ये सभी कदम बाइडन प्रशासन के इमिग्रेशन रिफॉर्म (आव्रजन सुधार) का हिस्सा होंगे। हालांकि आने वाले समय में ही इस बात का पता लगेगा कि इन सभी फैसलों को एक साथ लिया जाएगा या एक-एक फैसला होगा। बाइडन कैंपेन के पॉलिसी डॉक्यूमेंट के मुताबिक, 'उच्च कौशल अस्थायी वीजा को अमेरिका में पहले से रहकर काम कर रहे लोगों से नहीं छीना चाहिए। अगर इमिग्रेशन सिस्टम उच्च कौशल वाले वर्कर्स को निकालकर केवल एंट्री-लेवल के कामगारों को बढ़ावा देता है तो इससे अमेरिकी नवाचार और प्रतिस्पर्धा को खतरा हो सकता है।'
एच1बी वीजा अमेरिका में हाई स्किल्ड कामगारों की संख्या को बढ़ाने में मदद करता है। एच1बी वीजा एक नॉन इमिग्रेंट वीजा है, जिसकी मदद से अमेरिकी कंपनियां विदेशी कामगारों को विशेष तरह के तकनीकी काम के लिए नियुक्त करती हैं। प्रत्येक वर्ष अमेरिकी कंपनियां भारत और चीन के हजारों युवकों को नौकरी देती हैं।
बढ़ सकती है ग्रीन कार्ड वीजा की सीमा
रोजगार आधारित वीजा को ग्रीन कार्ड के नाम से भी जाना जाता है। इसकी मदद से अमेरिका में प्रवासियों को कानूनी रूप से स्थायी नागरिकता मिलती है। वर्तमान में प्रति वर्ष एक लाख चालीस हजार लोगों को ग्रीन कार्ड दिया जाता है। बाइडन के पॉलिसी डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि वे संसद के साथ मिलकर इस संख्या को बढ़ाने का प्रयास करेंगे। इसी साल जून में ट्रंप ने एच1बी वीजा समेत अन्य सभी विदेशी वीजा पर वर्ष के अंत तक रोक लगा दी थी। ऐसा इसलिए किया था ताकि अमेरिकियों को नौकरी मिल सके।
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