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    फोर्डो, नतांज और इस्फहान... टूट गया ईरान का परमाणु सपना! क्यों खास थे तीनों न्यूक्लियर प्लांट्स, जिसे US ने किया तबाह

    Updated: Sun, 22 Jun 2025 10:06 AM (IST)

    US Attacks On Iran: इजरायल और ईरान के तनाव में अब अमेरिका की एंट्री हो गई है। अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर बम बसराए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार, अमेरिका ने ईरान की फोर्डो, नतांज और इस्फहान परमाणु साइट को निशाना बनाया है। इन तीनों साइट्स को तबाह करने के लिए अमेरिका ने B-2 Stealth Bombers फाइटर जेट का इस्तेमाल किया है। आइए जानते हैं कि यह अमेरिकी फाइटर जेट कितना खतरनाक है, जिसने ईरान में तबाही मचा दी। 

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    अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया।(फाइल फोटो)

    डिजिटलडेस्क, नई दिल्ली।  इजरायल-ईरान सैन्य संघर्ष (Us Attacks On Iran) में अमेरिका भी कूद पड़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उनकी वायु सेना ने ईरान के तीन न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले किए। अमेरिकी वायुसेना ने फोर्डो (Fordow Nuclear Plant), नतांज (Natanz  Nuclear Plant) और इस्फहान न्यूक्लियर साइट्स (Isfahan  Nuclear Plant) को निशाना बनाया।  इन तीनों साइट्स भी भीषण बमबारी करने के बाद अमेरिकी वायु सेना सुरक्षित तरीके से अमेरिका वापस रवाना हो गए।

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    अमेरिका और इजरायल ने इस सैन्य कार्रवाई पर खुशी जाहिर की है। वहीं, ईरान को इस हवाई हमले का पलटवार न करने की चेतावनी भी दी है। बता दें कि पिछले कई दशकों से ईरान के इन तीन साइट्स पर परमाणु कार्यक्रम को अंजाम दिए जा रहे थे। इन तीनों न्यूक्लियर साइट्स के तबाह हो जाने का मतलब है कि ईरान का परमाणु हथियार बनाने का सपने भी टूट गया है।

    आइए एक-एक करके समझें कि यह तीनों न्यूक्लियर साइट्स ईरान के लिए कितने अहम थे।

    फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट

    13 जून की सुबह से ही इजरायली सेना ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर हमले कर रही है। लेकिन ईरान के सबसे सुरक्षित न्यूक्लियर प्लांट फोर्डो को इजरायली सेना छू भी नहीं पाई थी।

    ईरान ने  फोर्डो प्लांट को मानों एक अभेद किला में तब्दील कर रखा था। इस प्लांट को तबाह करना का मतलब था कि किसी पहाड़ को हिला कर रख देना, जो अमेरिका ने कर दिखाया है। दरअसल,  ईरान ने इस संयंत्र को । एक पहाड़ के नीचे और जमीन में करीब 300 फीट गहराई में बनाया है। खास बात ये थी कि इस संयंत्र को खास तौर पर डिजाइन ही हवाई हमले से बचने के लिए किया गया था।

    माना जाता है कि साल 2006 में ईरान ने इस न्यूक्लिर प्लांट को बनाने की शुरुआत की थी। इस न्यूक्लियर प्लांट का उद्देश्य परमाणु हथियार विकसित करना था। ईरान ने इस प्लांट को वर्षों तक दुनिया से छिपा कर रखा था। हालांकि, साल 2009 में पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने इस संयंत्र का पता लगा लिया था।

    ईरान को डर था कि अमेरिका या इजरायल इस जगह को निशाना बना सकता है। इसलिए ईरान ने प्लांट के करीब रूसी एस-300 एअर डिफेंस सिस्टम इंस्टॉल कर रखा है।

    मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस संयंत्र में अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम (U-235) का उत्पादन किया जा रहा था, जो दो परमाणु बम बनाने के लिए काफी अहम थे।

     

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    फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट की तस्वीर

    विशेषज्ञों का मानना था कि अगर फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट को नुकसान पहुंचाना है तो इजरायली सेना को ईरान की धरती पर उतरना होगा। दुनिया को ये आशंका थी कि इस संयंत्र को तबाह करने के लिए अमेरिका कुछ बड़ा कर सकता है। अमेरिका ने ठीक वैसा ही किया।

    नतांज  न्यूक्लियर प्लांट

     
    अब बात की जाए नतांज न्यूक्लियर प्लांट की, जहां ईरान यूरेनियम एनरिचमेंट कर रहा था। बता दें कि यूरेनियम को इनरिच करने के बाद ही इससे परमाणु बम बनाया जाता है।  नातांज में हजारों एडवांस्‍ड सेंट्रीफ्यूज हैं, जिनमें से कुछ 60 फीसदी तक न्‍यूक्लियर को एनरिच कर सकते हैं।

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    नतांज न्यूक्लियर प्लांट की तस्वीर

    न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव (एनटीआई) के अनुसार, नतांज में 6 जमीन के ऊपर की इमारतें और तीन अंडरग्राउंड संरचनाएं हैं, जिनमें से दो में 50,000 सेंट्रीफ्यूज रखे गए हों।


     इस्फहान न्यूक्लियर प्लांट

    इस्फहान न्यूक्लियर प्लांट में तेजी से परमाणु हथियार बनाने का काम चल रहा था। इस संयंत्र पर येलोकेक को यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड में बदला जा रहा था। इस संयंत्र पर रिएक्टर फ्यूल को निर्मित की जा रही थी। वहीं परमाणु हथियारों के लिए यूरेनियम धातु बनाया जा रहा था।

    वहीं, ईरान की राजधानी तेहरान से करीब 350 किलोमीटर (215 मील) दक्षिण-पूर्व में स्थित इस्‍फहान सिटी में सैकड़ों परमाणु वैज्ञानिक काम कर रहे थे। इसी जगह में परमाणु कार्यक्रम से जुड़ तीन चीनी रिसर्च रिएक्टर्स और लैब्स भी हैं।

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     इस्फहान न्यूक्लियर प्लांट की तस्वीर

    ये तो कहानी थी उन तीन न्यूक्लियर प्लांट्स की जिसे अमेरिका ने तबाह कर दिया है। अब बात की जाए उस घातक हथियार की जिसकी वजह से ईरान का परमाणु हथियार बनाने का सपना चकनाचूर हो गया।

    अमेरिका ने इस सैन्य कार्रवाई के लिए B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स (B-2 Stealth Bombers) का इस्तेमाल किया है। इस बात की पहले ही पुष्टि हो चुकी थी कि अमेरिका ने  B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स को गुआम में तैनात कर दिए हैं।

    बी-2 अमेरिका का बमवर्षक जेट है। यह जेट एक साथ दो जीबीयू-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बम ले जा सकता है। इसमें से हर एक बम का वजन 30000 पाउंड (13.5 टन) है। फोर्डो जैसे सुरक्षित न्यूक्लियर प्लांट को तबाह करने के लिए ऐसी ही ताकतवर बम की जरूथी। इस बम को डिजाइन ही जमीन में गहराई में दबे लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए किया गया है।

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      B-2 स्टीलथ बॉम्बर्स फाइटर जेट की तस्वीर

    इस बम को बंकर बस्टर बम भी कहा जाता है।  जीबीयू-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बम किसी भी ताकतवर कंक्रीट और जमीन के अंदर स्थित 200 फीट का टेरगेट को तबाह करने की क्षमता रखता है।

    बम के अलावा  B-2 स्टीलथ बॉम्बर्स दूसरे युद्ध सामग्री भी ले जाने की काबीलियत रखता है। यह फाइटर जेट किसी भी पारंपरिक रडार को चकमा दे सकता है।

    इस फाइटर जेट की फ्लाइंग विंग डिजाइन, रडार-अब्जार्वेंट मटेरियल काफी अलग है। यह फाइटर जेट उस छोटी सी पक्षी के बराबर है, जिसे रडार ट्रेस नहीं कर सकता।  
    यह फाइटर जेट पारंपरिक और परमाणु हथियार, दोनों ले जाने में सक्षम है।

     B-2 स्पिरिट स्टील्थ बिना रिफ्यूलिंग यानी बिना जमीन पर उतरे और बिना ईंधन भरे 11 हजार किलोमीटर तक उड़ान भर सकते हैं। अमेरिका ने इराक युद्ध में इस बॉम्बर का इस्तेमाल किया था।

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