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    अमेरिकी थिंक टैंक ने 'आतंकी समर्थक' मसूद खान की राजनयिक नियुक्ति पर जताई चिंता, कहा- देश में प्रतिबंधित संगठनों के दाखिल होने का खतरा

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Thu, 03 Feb 2022 11:40 PM (IST)

    अमेरिकी थिंक टैंक एफआइआइडीएस ने मसूद खान को अमेरिका में पाकिस्तान का राजदूत नियुक्त किए जाने पर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन से नियुक्ति को खारिज करने की मांग की है। राजनयिक खान पर आतंकियों के समर्थक होने का आरोप है।

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    अमेरिका में मसूद खान की राजनयिक नियुक्ति पर चिंता (जागरण.काम, फाइल फोटो)

    वाशिंगटन, प्रेट्र: अमेरिकी थिंक टैंक एफआइआइडीएस ने मसूद खान को अमेरिका में पाकिस्तान का राजदूत नियुक्त किए जाने पर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन से नियुक्ति को खारिज करने की मांग की है। राजनयिक खान पर आतंकियों के समर्थक होने का आरोप है। ‘द फाउंडेशन फार इंडिया एंड इंडियन डायसपोरा स्टडीज’ (एफआइआइडीएस) ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि 'जिहादियों और आतंकियों के समर्थक' मसूद खान की अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के रूप में नियुक्ति को खारिज किया जाना चाहिए।

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    एफआइआइडीएस के अनुसार, 'हमने गृह मंत्री एंटनी ब्लिंकन व विदेश मामलों की संसदीय समिति से भी खान की नियुक्ति को खारिज किए जाने की मांग के समर्थन का आग्रह किया है। खान ने लगातार जिहादी आतंकियों से अपनी नजदीकी का प्रदर्शन किया है। इनमें लेडी अलकायदा के नाम से कुख्यात आफिया सिद्दीकी भी शामिल है, जिसे अमेरिकी सैनिकों पर हमले के मामले में सजा हो चुकी है। वह अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन, हरकत-उल-मुजाहिदीन व जमात-ए-इस्लामी का समर्थन करते हैं।'

    अमेरिका-भारत की नीतियों का अध्ययन करने व जागरूकता फैलाने वाला संस्थान एफआइआइडीएस ने कहा, 'अमेरिका में खान की राजनयिक भूमिका देश के संस्थानों में आतंकी संगठनों के प्रवेश का द्वार खोल सकती है। गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति के रूप में खान की पहले की भूमिका अमेरिका-भारत के संबंधों में जटिलता पैदा कर सकती है। पाकिस्तानी राजनयिक तालिबान का समर्थन करते हैं, जिसके कारण अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।'

    एफआइआइडीएस ने आरोप लगाया है कि खान ने वर्ष 2019 में वैश्विक आतंकी फजलुर रहमान खलील के साथ मंच साझा किया था और वह जमात-ए-इस्लामी के समर्थक हैं, जिसके घातक दस्ते ने वर्ष 1971 में बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर नरसंहार को अंजाम दिया था, जिसमें हजारों अल्पसंख्यक मारे गए थे, महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ था और लाखों को लापता कर दिया गया था। खान ने अमेरिका द्वारा घोषित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुहरान बानी की पांचवीं बरसी पर उसे दुनियाभर में आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों का 'रोल माडल' बताया था। गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति के रूप में खान का कार्यकाल काफी विवादित रहा है। उन पर आतंकी संगठनों के समर्थन, स्थानीय लोगों की आवाज को दबाने और मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के आरोप रहे हैं।